For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन का कर्फ्यू

जीवन का कर्फ्यू

रोजमर्रा की तरह टहलते हुये रामलाल उद्यान में गोपाल से मिला तो उसके चेहरे की झाईयां से झलकती खुशी कुछ और ही बयां कर रही थी।इससे पहले मैं कुछ पूछता कि उसने कहा, 'यार,कल जैसा दिन गुजारे जमाना हो गया।'
'पर यार कल तो कर्फ्यू लगा था।न किसी से मिलना-जुलना हुआ।कितना बोरियत भरा दिन था?'
'तेरे लिए था।पर इसने मेरी जिन्दगी के कर्फ्यू को हटा दिया।'
'कुछ समझा नही?'प्रश्न भरी निगाह से रामलाल ने गोपाल की तरफ देखकर कहा।
गोपाल ने पास पङी बेंच पर उससे बैठने का इशारा किया।उसके कंधे पर आत्मीयता से हाथ रखते हुये कहा, 'कल घर,घर जैसा लग रहा था....नही तो....।'
बीच में टोकते हुये कहा, 'ऐसा क्या हो गया? तेरा कितना ख्याल रखते हैं सब।'
'हां, सो तो हैं। दिनभर फोन से खबर लेते रहते हैं बहू-बेटे।खाना खाया कि नही,दवाई समय से ले ली।कोई परेशानी तो नहीं। सुबह-शाम हालचाल पूछते हैं,सब अपनी जिन्दगी में मस्त है। पर कल पूरे दिन जो सबके साथ समय बिताया।आस-पास चहकते बच्चों से मकान ,घर बन गया था। कितने अर्से बाद साथ में बैठकर बातें की।'कहते-कहते गोपाल की ऑखों से आंसू बहने लगे,गला रूंध गया।
तसल्ली देते हुये उसका हाथ दबाया।उसकी बात सुन रामलाल की ऑखें भी नम हो गई। सच तो कह रहा हैं, सब जगह कर्फ्यू लगा था,पर कल उसके जीवन का कर्फ्यू हट गया था।ठंडी पङी भावनाओं को संवेदनाओं ने,एहसासों ने गर्माहट दे दी थी।
'

मौलिक व अप्रकाशित हैं 

बबीता गुप्ता 

Views: 276

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 24, 2020 at 7:25pm

मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,अच्छी रचना है,बधाई स्वीकार करें ।

निवेदन है कि रचना के साथ उसकी विधा भी लिखा करें ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 23, 2020 at 3:26pm

बहुत खूब, मौज विषय है । बधाई हो 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
7 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
13 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
13 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service