मेरा दिल वो मेरी धड़कन,
उसपे कुरबां मेरा जीवन !
मेरी दौलत मेरी चाहत
ऐ सखी साजन ? न सखी भारत !
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(२)
अंग अंग में मस्ती भर दे
आलिम को दीवाना कर दे
महका देता है वो तन मन
ऐ सखी साजन ? न सखी यौवन !
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(३)
मिले न गर, दुनिया रुक जाए
मिले तो जियरा खूब जलाए !
हो कैसा भी - है अनमोल,
ऐ सखी साजन ? न सखी पट्रोल !
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(४)
कर गुज़रे जो दिल में ठाने,
नर नारी उसके दीवाने !
वो इतिहास का सुंदर पन्ना
ऐ सखी साजन ? न सखी अन्ना !
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(५)
हरिक बेचैनी का सबब है,
उसे किसी की चिंता कब है ?
दुनिया भर के दर्द है देता
ऐ सखी साजन ? न सखी नेता !
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Comment
मेरे दिल का वो शान ,
उसपे बढ़ता हैं मेरा मान !
जिसने मुझे इज्जत दियो ,
ऐ सखी साजन ? न सखी OBO !
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(२)
मेरे मन में तेज वो भर दें ,
कुछ करने को तैयार कर दें !
उनको पाकर खुश हूँ आज
ऐ सखी साजन ? न सखी योगराज !
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(३)
मिले उनसे नेट पे हम जब ,
दोस्ती आगे बढ़ी थी तब !
मन बेचैन रहे उनके लागी ,
ऐ सखी साजन ? न सखी बागी !
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आप सभी गुनीजनों की रचनाएँ तो बस मोहित सी करती हैं :) मुझ अज्ञानी को कहाँ इस अथाह सागर का ज्ञान था..बस ओ बी ओ ने ये मौका दिया ..
आपका सादर आभार अविनाश बागडे जी !
मेरा दिल वो मेरी धड़कन,
उसपे कुरबां मेरा जीवन !
मेरी दौलत मेरी चाहत
ऐ सखी साजन ? न सखी भारत !.......bilku sahi PRABHAKAR ji....sunder vichar....maja aa gaya
Prabhakar ji bahut achchhi lagi ye vidha aur aapka andaze bayan.
//मेरा दिल वो मेरी धड़कन,
उसपे कुरबां मेरा जीवन !
मेरी दौलत मेरी चाहत
ऐ सखी साजन ? न सखी भारत !//
वाह आदरणीय संपादक जी वाह ! वही दिल वही धड़कन , वही दौलत वही चाहत , जान कुर्बान , उसी से राहत ऐसा ही है अपना भारत .........आपकी इस पवित्र भावना को हम सभी का प्यार भरा सलाम ..........इसके आगे नतमस्तक हैं हम .......
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(२)
अंग अंग में मस्ती भर दे
आलिम को दीवाना कर दे
महका देता है वो तन मन
ऐ सखी साजन ? न सखी यौवन !//
अय हय हय ! क्या बात है गुरुदेव ! गज़ब गज़ब!! यह मस्त-मस्त यौवन तन-मन को दीवाना बनाकर केवल महकाता ही नहीं अपितु बहका भी देता है .........इससे भला कौन बच पाया है ....:-))))
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(३)
मिले न गर, दुनिया रुक जाए
मिले तो जियरा खूब जलाए !
हो कैसा भी - है अनमोल,
ऐ सखी साजन ? न सखी पट्रोल !
बहुत खूब भाई ! वाकई में आजकल यह पेट्रोल तो आजकल हम सभी का जियरा ही तो जला रहा है ! क्योकि अब तो इसके आदी हो गये हम ! दुनिया को नहीं रोक सकते ना !
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(४)
कर गुज़रे जो दिल में ठाने,
नर नारी उसके दीवाने !
वो इतिहास का सुंदर पन्ना
ऐ सखी साजन ? न सखी अन्ना !
क्या बात है मित्रवर .......अन्ना जी का कारनामा ........वो तो इतिहास में एक सुन्दर सा स्वर्णिम पन्ना ही बनेगा ना ! इस मुकरी के माध्यम से आप ने तो हम सभी के दिल की बात ही कह डाली ...
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(५)
हर इक बेचैनी का सबब है,
उसे किसी की चिंता कब है ?
दुनिया भर के दर्द है देता
ऐ सखी साजन ? न सखी नेता !
वाह वाह वाह! आज के दौर के नेता की बेहतरीन व सारगर्भित परिभाषा दे दी है आपने ..........:-))
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कह-मुकरी जिसकी मुस्काई,
पीछे-पीछे है चौपाई
छंद सदा जिसके नीरोगी
क्यों सखि साजन? नहिं सखि योगी!
आदरणीय प्रधान संपादक जी ! सभी कह-मुकरियां एक से बढ़ कर एक हैं ! इस सृजन हेतु आपको हार्दिक बधाई !!! :-)))
sir sab ke sab ek se bad kar ek sandar jandar manmohak
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया बागी भाई !
आदरणीय प्रधान संपादक जी, आप ने ओ बी ओ वालों को मुकरने की लत लगा दी है, अब आने वाले आयोजनों में देखिएगा कितने मित्र मुकरेंगे, आपकी पांचो कह मुकरियां एक पर एक है, नए कलेवर में पुराना व्यंजन परोसना मन मोहक है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिये आदरणीय |
आदरणीय कैलाश शर्मा जी आपने मेरा प्रयास सराहा - सादर आभार !
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