For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ममता, दोस्ती और मुहब्बत" - गीतिका -[ 3] / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

[आधार छंद : 'विधाता']
1222 1222 1222 1222


कभी अपने मुसीबत में, ज़रा भी काम आये हैं,
जिन्हें समझा नहीं था दोस्त वे नज़दीक लाये हैं।

जिसे माना, जिसे पूजा, उसे घर से भगा कर के,
बुढ़ापे में, जताकर स्वार्थ, ममता को भुलाये हैं।

तुम्हारे पास दिल रख तो दिया गिरवी भरोसे पर,
पता मुझको चला तुमने, हज़ारों दिल दुखाये हैं।

कभी वे फोन पर बातें करेंगी, स्वर बदलकर के,
कभी वे नेट पर चेटिंग, झिलाकर के बुलाये हैं।

न जाने क्यों ,उन्हें आता, मज़ा शर्मा लजाकर के,
हमारी जान पर आती, रिझाकर के फँसाये हैं।

कमी मुझमें नहीं कोई, कमी तुझ में नहीं कोई,
ज़माने का चलन दोषी, मुहब्बत को डराये हैं ।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 3:29am
मेरी इस रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर साहब, आदरणीय सतविंदर कुमार जी, आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी, आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, और आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 3:24am
मेरी इस रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने व मार्गदर्शित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहब, आदरणीय सतविंदर कुमार जी, आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी, आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब व आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहब।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:38am

आदरणीय शहज़ाद भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , दिली मुबारक बाद आपको । बस - जा कर के , खा कर के इसे लेखन मे सही नही माना जाता , बोल चाल तक सही हैं , खयाल कीजियेगा ॥ वैसे मिथिलेश भाई जी ने भी याद दिलाया है ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 2:15pm

विधाता छंद में लिख्खी ग़ज़ल, शहजादजी बढ़िया

बधाई लें बहुत हमको हज़ज़ के रुक्न भाये हैं.

ग़ज़ल के तीन मिसरों में लिखा है आपने 'कर के' 

ज़रा सा ध्यान हो इन पर, सभी फिर खूब छाये हैं 

Comment by Ajay Kumar Sharma on October 27, 2015 at 2:16pm

बहुत सुन्दर उस्मानी साहब। उत्तम रचना।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 27, 2015 at 6:23am

//kami mujhme nahi koi ,kqmi tujhme nhi koi

zamane ka chlan doshi,muhbbt ko draye hain// umda lekhan aadrniy sheikh sahb

Comment by Samar kabeer on October 26, 2015 at 11:42pm
जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब,आदाब,आरंभिका से लेकर अंतिका तक आपकी गीतिका पसंद आई,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 26, 2015 at 7:43pm
अभी तो सीखना लिखना,हमारा हौसला यूं सब बढ़ाये हैं ! हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया Kanta Roy जी व हमारी नयी सक्रिय रचनाकार आदरणीया Rahila जी ,मेरी इस कोशिश पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए ।
Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 5:23pm

कमी मुझमें नहीं कोई, कमी तुझ में नहीं कोई,
ज़माने का चलन दोषी, मुहब्बत को डराये हैं ।---वाह ! वाह ! क्या खूब ये अंदाज़ आपने आज हमको दिखाए है। बधाई आपको की आपने बेहद शानदार ग़ज़ल की आमद की है। बधाई कबूल फरमाइए आदरणीय शेख शहज़ाद जी। .

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 3:57pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आद.उस्मानी जी । खासकर "तुम्हारे पास दिल.. .दुखाये है । बहुत गजब लगी । हार्दिक बधाई आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
6 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
11 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
12 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
12 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
13 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
15 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
17 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
31 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
55 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
59 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service