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दुनिया की सबसे छोटी कविता "एकादशी" (सिर्फ ११ अक्षर) का सूत्रपात OBO पर...

(१)          यमुना                                                                                           
निर्मल जल
खो गया
(२)
निशानी
ताज महल
प्यार की
(३)
आगरा
खुबसूरत
घूम लो
(४)
पत्थर
हुआ क्षरण
बचालो
(५)
योजना
कागज़ पर
सफल
(६)
यमुना
जल विहार
भूल जा
(७)
ओबीओ

साहित्य चर्चा
जय हो

(गणेश जी "बागी")

साथियों !
प्रतियोगिता "चित्र से काव्य तक" अंक ३ के तीसरे दिन श्री गणेश जी "बागी" ने साहित्य की एक नई विधा "एकादशी" का सूत्रपात किया, यह कविता का अति लघु रूप है, एकादशी तीन पक्तियों में लिखी गई ३+५+३=११ अक्षर की दुनिया की सबसे छोटी कविता है |

 

अब तक ज्ञात जानकारी के अनुसार दुनिया की सबसे छोटी कविता "हाइकु" कही जाती थी जिसका सूत्रपात जापान से हुआ, इसमें कुल तीन पक्तियों में ५+७+५=१७ अक्षर में कविता लिखी जाती है |

 

किन्तु अब सिर्फ ११ अक्षरों में एकादशी कविता लिख कर श्री गणेश जी "बागी" ने साहित्य की नई विधा का सृजन कर दिया है | ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार इस उपलब्धि पर गौरवान्वित है | आप सभी को बहुत बहुत बधाई |

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Comment by कमल वर्मा "गुरु जी" on June 21, 2011 at 3:47pm

bahut sunder aur safal prayaas........

wakai aapne ek naye dish di hai sahatiya ko ........ 

bahut bahut badhaai Bagi ji .

Comment by Neelam Upadhyaya on June 21, 2011 at 2:38pm

अ‌क्षर
ग्यारह मात्र
कविता

 

प्रशंसा
जितनी करें
है कम

 

अनूठा
व क्रान्तिकारी
कदम

 

समृद्ध
और हो धनी

साहित्य

 

रचना
नई विधा की
बधाई

 

ओबीओ
सपरिवार
मगन


 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2011 at 5:39pm
आदरणीया रंजना सिंह जी , सराहना हेतु आपका धन्यवाद |

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2011 at 5:39pm
आदरणीय शेखावत साहिब, आपके प्रशंसा हेतु ह्रदय से आभारी हूँ | बहुत बहुत धन्यवाद |

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2011 at 5:38pm
आदरणीय आलोक सीतापुरी जी , वास्तव मे जब आप जसे उच्च कोटि के द्वारा पीठ थपथपाई जाती है तब लगता है कि श्रम सफल हो गया | सदैव आपके आशीर्वाद के छत्र छाया में रहने को उत्सुक हूँ | स्नेह सदा बनाये रखे |
Comment by रंजना सिंह on June 20, 2011 at 5:31pm

 

वाह....लाजवाब !!!

योजना
कागज़ पर
सफल
..

यह सबसे बेजोड़ लगा...

आभार...

Comment by chain singh shekhawat on June 20, 2011 at 5:06pm
wah kya baat h...badhai ho..
prashanshneey....
sahitya ke kshetra me ye naya aavishkar h...
Comment by Yogendra B. Singh Alok Sitapuri on June 20, 2011 at 3:08pm
मैं वास्तव में आपके अभिनव प्रकृति की प्रशंसा कर रहा हूँ

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2011 at 12:05am
धन्यवाद विवेक भाई, लीक से हटकर कुछ करना भी तो एक बगावत ही है , और वो बगावत तो कर ही रहा हूँ , हा हा हा हा
Comment by विवेक मिश्र on June 19, 2011 at 11:36pm
अब यह सिद्ध हो गया कि आप शौकिया बगावती हैं. पहले ग़ज़ल, घनाक्षरी छंद और 'हाइकु' में हाथ आजमाना और अब सबसे छोटी कविता 'एकादशी' का सृजन.. ओबीओ का भविष्य बहुत उज्जवल है. जय हो!

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