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बेहतरीन क्षणिकाएँ
एक से बढ़कर एक
आदरणीय, हार्दिक बधाई!
आदरणीय विजय सर ..आपका यह प्रयोग अच्छा लगा . चासनी में डुबोकर इशारों इशारों में बड़ी बात कह दी ..कोई दौड़ रहा है दो रोटियाँ पचाने के लिए
कोई दौड़ रहा है दो रोटी पाने के लिए
रोटी अपनी कीमत खूब जानती है ,
मुफ्त में तो नहीं ही मिलती है ,
मुफ्त में मिल भी जाये
तो पचाने के लिए
मेहनत मांगती है ..ये पंक्तिया मुझे बेहद पसंद आयीं ..रपके इस प्रयोग पर आपको हार्दिक बधाई सदर
आदरणीय विजयशंकर जी ,बहुत अच्छा प्रयोग साथ सत्य की सशक्त अभिव्यक्ति ,आपका हृदयतल से अभिनन्दन |सादर
सादर नमन सर , कमाल की रचना प्रस्तुत की आपने. हर एक बात चीख चीख कर सच बयां करती, बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डा. विजय जी
प्रयोग को पसंद करने एवं क्षणिकाओं की प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी .
आपका ये प्रयोग काबिले तारीफ है ..सब क्षणिकाएँ बहुत कुछ कहती हैं ..एक से बढ़कर एक ..हार्दिक बधाई आपको आ० डॉ. विजय शंकर जी
विजय सर !
बेहतरीन i रोटी मेहनत मांगती है i खाने के लिय नहीं तो पचाने के लिये i वाह i
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