For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Neeraj Neer's Blog – April 2014 Archive (6)

हम फिर से गुलाम हो जायेंगे

हमारे जीवन मूल्य

सरेआम नीलाम हो जायेंगें

हम फिर से गुलाम हो जायेंगें ..

स्वतंत्रता का काल स्वर्णिम

तेजी से है बीत रहा

हासिल हुआ जो मुश्किल से

तेजी से है रीत रहा.

धरी रह जाएगी नैतिकता,

आदर्श सभी बेकाम हो जाएँगे .

हम फिर से गुलाम हो जायेंगे ..

कहों ना ! जो सत्य है.

सत्य कहने से घबराते हो

सत्य अकाट्य है , अक्षत

छूपता नहीं छद्मावरण से

जो प्राचीन है , धुंधला,

गर्व उसी पर करके बार बार दुहराते हो.

टूटे…

Continue

Added by Neeraj Neer on April 23, 2014 at 8:30am — 10 Comments

क्यों गाती हो कोयल : नीरज नीर

क्यों गाती हो कोयल होकर इतना विह्वल

है पिया मिलन की आस

या बीत चुका मधुमास

वियोग की है वेदना

या पारगमन है पास

मत जाओ न रह जाओ यह छोड़ अम्बर भूतल

क्यों गाती हो कोयल होकर इतना विह्वल



तू गाती तो आता

यह वसंत मदमाता

तू आती तो आता

मलयानिल महकाता

तू जाती तो देता कर जेठ मुझे बेकल

क्यों गाती हो कोयल होकर इतना विह्वल



कलि कुसुम का यह देश

रह बदल कोई वेष

सुबह सबेरे आना

हौले से तुम गाना…

Continue

Added by Neeraj Neer on April 19, 2014 at 8:30pm — 9 Comments

स्वप्न और सत्य /नीरज नीर

कभी कभी खो जाता हूँ ,

भ्रम में इतना कि 

एहसास ही नहीं रहता कि 

तुम एक परछाई हो..

पाता हूँ तुम्हें खुद से करीब 

हाथ बढ़ा कर छूना चाहता हूँ.

हाथ आती है महज शुन्यता .

स्वप्न भंग होता है ..

पर सत्य साबित होता है

क्षणभंगुर.

स्वप्न पुनः तारी होने लगता है.

पुनः आ खड़ी होती हो

नजरों के सामने .. 

नीरज कुमार नीर 

मौलिक एवं प्रकाशित 

Added by Neeraj Neer on April 16, 2014 at 8:07am — 13 Comments

मेरे जीवन के मधुबन में : गीत /नीरज नीर

सुगंध बनकर आ जाओ तुम

मेरे जीवन के मधुबन में

प्रेम सिंचित हरी वसुंधरा

पल पल में जीवन महकाओ

परितप्त ह्रदय के मरुतल पर

मेघा दल बन कर छा जाओ

बस जाओ न प्रतिबिम्ब बनकर

मेरे जीवन के दर्पण में.

सुगंध बनकर आ जाओ तुम

मेरे जीवन के मधुबन में ..

तुझ से ही है मेरा होना

तुझ से मिलकर हँसना रोना

तुम चन्दा , मैं टिम टिम तारा

अर्पण तुझ पर जीवन सारा

तुझ से दूर रहूँ मैं कैसे

आसक्त बंधा हूँ बंधन में

सुगंध बनकर आ जाओ…

Continue

Added by Neeraj Neer on April 9, 2014 at 10:01am — 14 Comments

गाँव , मसान एवं गुडगाँव

गाँव की फिजाओं में

अब नहीं गूंजते

बैलों के घूँघरू ,

रहट की आवाज.

नहीं दिखते मक्के के खेत

और ऊँचे मचान .

उल्लास हीन गलियां

सूना दृश्य

मानो उजड़ा मसान.

नहीं गूंजती  गांवों में

ढोलक की थाप पर

चैता की तान

गाँव में नहीं रहते अब

पहले से बांके जवान.

गाँव के युवा गए सूरत, दिल्ली और

गुडगांव

पीछे हैं पड़े

बच्चे , स्त्रियाँ, बेवा व बूढ़े

गाँव के स्कूलों में शिक्षा की जगह

बटती है खिचड़ी.

मास्टर साहब…

Continue

Added by Neeraj Neer on April 6, 2014 at 12:30pm — 26 Comments

अलविदा

संध्या निश्चित है ,

सूर्य अस्ताचल की ओर

है अग्रसर ..

मुझे संदेह नहीं

अपनी भिज्ञता पर

तुम्हारी विस्मरणशीलता के प्रति

फिर भी अपनी बात सुनाता हूँ.

आओ बैठो मेरे पास

जीवन गीत सुनाता हूँ.

डूबेगा व सूरज भी

जो प्रबलता से अभी

है प्रखर .

तुम भूला दोगे मुझे, कल

जैसे मैं था ही नहीं कोई.

सुख के उन्माद में मानो

आने वाली व्यथा ही नहीं कोई.

सत्य का स्वाद तीखा है,

असत्य क्षणिक है,

मैं सत्य सुनाता हूँ…

Continue

Added by Neeraj Neer on April 1, 2014 at 9:24am — 12 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
46 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
54 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service