For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नदी के बीच वाला पाया (लघुकथा)

एक नदी पर एक पुल था , जिसमे सात पाये थे। एक बार सबसे बीच वाले पाए ने सबसे किनारे वाले पाए से कहा “जानते हो यह पुल मेरी वजह से ही है। नदी की जलधारा का सबसे ज्यादा प्रवाह मैं ही झेलता हूँ। मैं हमेशा पानी में डूबा रहता हूँ, तुमलोगों का क्या किनारे खड़े रहते हो, बरसात में कभी कभी नदी की जलधारा तुम तक पहुँचती है वरना सालो भर ऐसे ही खड़े रहते हो, तुम्हारी उपयोगिता ही क्या है। मेरे कारण ही लाखों लोग इस पुल का प्रयोग कर नदी के आर पार जा पाते हैं । “
किनारे वाले पाये ने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ दिनो बाद किनारे वाले दोनों पाये ढह गए। अब उस पुल का सड़क से संपर्क टूट गया। उस पुल का प्रयोग बंद हो गया। उसी पुल के बगल में एक नया पुल बन गया। लोग उसी पुल से आने जाने लगे । बीच वाला पाया चुपचाप पानी में खड़ा नए बने पुल और उस पर आते जाते लोगों को देखता रहता।
नीरज कुमार नीर
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 733

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on July 21, 2015 at 9:57pm

आदरणीय सौरभ जी इस प्रयास को सराहने एवं उत्साहवर्धन हेतू आपका आभार ॥ 

Comment by Neeraj Neer on July 21, 2015 at 9:57pm

आदरणीय श्री सुनील जी आपका आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 16, 2015 at 6:40pm

उचित परिणाम के साथ लघुकथा का अंत होता है. आपके प्रयास केलिए हार्दिक धन्यवाद.

शुभेच्छाएँ.

Comment by shree suneel on July 8, 2015 at 6:29pm
कुछ भी महत्वहीन नहीं होता. समय ये सिद्ध करता है.
बधाई आपको इस प्रस्तुति पर आदरणीय. सादर.
Comment by Neeraj Neer on July 8, 2015 at 11:15am

आपकी बधाई अनमोल है आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब .... आपका आभार. 

Comment by Neeraj Neer on July 8, 2015 at 11:14am

आदरणीया कांता रॉय जी रचना को समर्थन देने एवं उत्साह बढाए के लिए आपका बहुत आभार...  

Comment by Neeraj Neer on July 8, 2015 at 11:13am

आभार आदरणीय विनय जी ... आपको रचना पसंद आई इससे उत्साहवर्धन हुआ है ..

Comment by Neeraj Neer on July 8, 2015 at 11:12am

आपका आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी.... आपकी सलाह सर आँखों पर.... 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 8, 2015 at 9:37am

नीर जी

इस लघु कथा केलिए मेरी और सा आपको बधाई , सुन्दर .

Comment by kanta roy on July 7, 2015 at 9:00am
बहुत ही गंभीर चिंतन ...... उपयोगिता किसकी कितनी ... एक आस्तित्व का निर्माण के पीछे बहुत सारे पाये होते है । कुछ दूर से सपोर्ट करते है तो कुछ निकतम का आभास देते हुए , लेकिन बराबरी का भागीदारी सबकी ही रहती है । किसी एक की उदासीनता डूबो सकती है ..... ध्वस्त कर सकती है पूरे आस्तित्व को । इसलिए सजग रहो उन देखे अनदेखे हुए सभी पायो के प्रति , ना करो तिरस्कार , नतमस्तक रहो सबके लिए क्योंकि एक आस्तित्व के पीछे सभी पायो की सहभागिता बराबर है । बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय नीरज कुमार " नीर " जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service