For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kalipad Prasad Mandal's Blog – September 2016 Archive (7)

ग़ज़ल-आरसी भी तरस जाता, तब मुहँ दिखाती हो |

बहर : २१२  २१२  २१२  २१२  २२

ना करो ऐसे↓ कुछ, रस्म जैसे निभाती हो

आरसी भी तरस जाता↓, तब  मुहँ दिखाती हो |

छोड़कर  तब गयी अब हमें,  क्यों रुला/ती हो   

याद के झरने↓ में आब जू, तुम बहाती हो |  

रात दिन जब लगी आँख, बन ख़्वाब आती हो

अलविदा कह दिया फिर, अभी क्यों सताती हो ? 

  

जिंदगी जीये हैं इस जहाँ मौज मस्ती से

गलतियाँ  भी किये याद क्यों अब दिलाती हो |

प्रज्ञ हो  जानती हो कहाँ  दुःखती  रग…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on September 29, 2016 at 10:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल

काफिया : कर चल दिए  रदीफ़: आ

बहर : २२१२ २२१२ २२१२ २२१२

थी जान जब तक वो लडे  फिर जाँ लुटा कर चल दिये

इस देश की खातिर वे खुद को भी मिटा  कर चल दिये|

लड़ते गए सब वीरता से टैंकरों  के सामने

झुकने दिया  ना देश को खुद शिर कटा कर चले दिए |

परिवार को कर देश पर  कुर्बान खुद लड़ने गए

वो वीर थे  जो देश की इज्जत बचा कर चल दिये |

एकेक ने मारा कई को फिर शहीदों से मिले

अंतिम घडी  तक फर्ज अपना सब निभा कर चल दिए…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on September 26, 2016 at 10:34pm — No Comments

ग़ज़ल

बहर : २१२ २१२ २१२ २१२

पेट को चाहिए  खाद्य, नारा नहीं

पेट जितने से भर जाय, सारा नही |

भावना की कमी,  जाँचना चाहिए

भूखे  को चाहिए खाना,चारा नहीं | 

सारे रिश्ते बिगड़ते हैं, तकरार से  

शत्रुवत  और हो जाता  यारा नहीं |

बात है कर्ण प्रिय ,’आयगा अच्छा दिन”

अब किसी को भी यह, लगता प्यारा नहीं |

देख कर ठण्ड वातावरण क्या कहें

पी गए मय मधुर किन्तु प्यारा नहीं |

सिन्धु जल मेघ बन फिर बरसता…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on September 25, 2016 at 8:30am — 6 Comments

हिन्दी दिवस पर दो कुकुभ छंद एक ताटंक

कुकुभ छंद -२

देश की एकता, अखण्डता, सबकी वाहक है हिंदी

भाव, विचार, पूर्णता, संस्कृति, सभी का प्रतिरूप हिंदी |

आम जन की मधुर भाषा है, भारत को नई दिशा दी

है विदेश में भी यह अति प्रिय, लोग सिख रहे हैं हिंदी ||

सहज सरल है लिखना पढ़ना, सरल है हिन्द की बोली

संस्कृत तो माता है सबकी, बाकी इसकी हम जोली |

हिंदी में छुपी हुई मानो, आम लोग की अभिलाषा  

जोड़ी समाज की कड़ी कड़ी, हिंदी जन-जन की भाषा ||

ताटंक -१

देश की…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on September 14, 2016 at 3:57pm — 4 Comments

लोक तंत्र -दोहे

प्रजातंत्र के देश में, परिवारों का राज

वंशवाद की चौकड़ी, बन बैठे अधिराज |

वंशवाद की बेल अब, फैली सारा देश

परदेशी हम देश में, लगता है परदेश  |

लोकतंत्र को हर लिये, मिलकर नेता लोग

हर पद पर बैठा दिये, अपने अपने लोग |

हिला दिया बुनियाद को, आज़ादी के बाद

अंग्रेज भी किये नहीं,  तू सुन अंतर्नाद |

संविधान की आड़ में, करते भ्रष्टाचार

स्वार्थ हेतु नेता सभी, विसरे सब इकरार |

बना कर लोकतंत्र को,…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on September 13, 2016 at 7:30am — 27 Comments

ग़ज़ल

बहर २१२२ २१२२ २१२२ २१२

दोस्तों के वेश में देखो यहाँ दुश्मन मिले

चाह गुल की थी मगर बस खार के दंशन मिले |

यारों का अब क्या भरोसा, यारी के काबिल नहीं

जग में केवल रब ही है, जिन से ही सबके मन मिले|

गुन गुनाते थे कभी फूलों में भौरों की तरह

सुख कर गुल झड़ गए तो भाग्य में क्रंदन मिले  |

कोशिशें हों ऐसी हर इंसान का होवे भला

उद्यमी नेकी को शासक से भी अभिनन्दन मिले |

देश भक्तों ने है त्यागे प्राण औरों…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on September 10, 2016 at 7:30am — 5 Comments

ग़ज़ल

बहर : २ १ २ २  २ १ २ २   २ १  २  

 

आई जब तू जिन्दगी हँसने लगी

तू मेरे हर  सपने में रहने लगी |

धीरे धीरे तेरी चाहत बढ़ गई

देखा तू भी  प्रेम में झुकने लगी |

जिन्दगी का रंग परिवर्तन हुआ

प्रेम धारा जान में बहने लगी |

राह चलते हम गए मंजिल दिखा

फिर भी जीना जिन्दगी गिनने लगी |

देखिये शादी के इस बाज़ार में

हाट में दुल्हन यहाँ  बिकने लगी |

शमअ बिन तो तम…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on September 7, 2016 at 7:30am — 8 Comments

Monthly Archives

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service