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Vasudha Nigam's Blog – June 2011 Archive (4)

माँ





तुझे बाहों मे भर लेने का,

तेरे कंधे रख के सर रोने का,

तुझसे मॅन का दर्द कह देने का,

माँ बड़ा दिल करता है!

 

तेरी उंगली पकड़ फिर चलने का,

तेरे साए मे बैठे रहने का,

तेरी लॉरी सुन कर सोने का,

माँ बड़ा दिल करता है!

 

दूर है तू मुझसे,या छुपी हुई है मुझमे ही,

ढूंडती हून तुझको हर कही,

तेरे आँचल मे छुप जाने का,

माँ बड़ा दिल करता…

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Added by Vasudha Nigam on June 30, 2011 at 1:40pm — No Comments

बचपन

नन्हा सा, अल्हड़ सा, वो प्यारा बचपन,

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे

जब संग सबके हम खेला करते थे

दुखी होते थे एक खिलौने के टूटने पर

और छोटी सी ज़िद्द पूरी होने पर,खुश हो जाया करते थे

हँसता, खिलखिलता वो निराला बचपन

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

वो बारिश के मौसम का भीगना याद आता…

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Added by Vasudha Nigam on June 29, 2011 at 10:00am — 15 Comments

ज़िन्दगी तुझे जी लुंगी मैं..

ज़िन्दगी तुझे जी लूंगी मैं...

 

नाकामियों से ऊपर उठते हुए,

समय के आगे न झुकते हुए,

मुश्किलों से हंस कर मिलूंगी मैं!

ज़िन्दगी तुझे जी लूंगी मैं...

 

रुठेंगी कब तक मंजिलें मुझसे,

मायूस होगी कब तक महफ़िलें मुझसे,

तूफ़ान भी अब डिगा न सकेंगे,

लहरों के वेग से अब न डरूँगी मैं!

ज़िन्दगी तुझे जी लूंगी मैं...

 

भिगोया हैं बहुत आँचल को अपने,

अरसा गुज़र गया मुस्कुराहटो की तलाश में,

अब भीगी पलकों पर…

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Added by Vasudha Nigam on June 28, 2011 at 2:30pm — 4 Comments

विश्वासघात

विश्वासघात, क्या होता हैं यह विश्वासघात,

जो हिला देता हैं आपका संपूर्ण वजूद!

या फिर वो जो खोखला कर देता हैं आपकी जड़ो को,

और उठा देता हैं आपका विश्वास दुनिया से,

और क्या परिभाषा होता है विश्वास की,

जो बना देती हैं गिरो को भी अपना!…

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Added by Vasudha Nigam on June 27, 2011 at 12:00pm — No Comments

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