For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shayar Raj Bajpai's Blog (3)

माज़रा क्या है? (कुछ सवालो कि दुनिया में चला जाए)

सदा हिजाब में रहते हो माज़रा क्या है?

बड़े रुबाब में रहते हो माज़रा क्या है?





बना दिया आखिर मुझे गुलशन पसंद....

हरेक गुलाब में रहते हो माज़रा क्या है?



हुदूद कोई बना लो हुस्न-ए-शबनम की....

खुले शबाब में रहते हो माज़रा क्या है?



कभी दुआ कभी मुराद में महसूस किया....

कभी अज़ाब में रहते हो माज़रा क्या है?



शकाफत भरा है तुम्हारा कोहिनूर बदन....

हया-ओ-आब में रहते हो माज़रा क्या है?



जबसे दीदार…

Continue

Added by Shayar Raj Bajpai on July 3, 2012 at 12:48pm — 7 Comments

एक नया कलाम : भलाई के नाम....

कर भला कर भला गर भला कर सके....

नफरतो को मिटा गर भला कर सके....



नाउम्मीदी भरा कोई जब भी मिले....

आस उसको बंधा गर भला कर सके....



जब कभी कोई अंधा दिखे राह में....

पार उसको लगा गर भला कर सके....



हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....

भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....



तन किसी का खुला देख ले गर कभी....

पेरहन कर अता गर भला कर…

Continue

Added by Shayar Raj Bajpai on May 15, 2012 at 7:30pm — 19 Comments

ज़माने को रुला जाते

तुम्हारे दिल में बस जाते, अगर तुम रास्ता देते....
तबाह-ए-ख़ाक हो जाते, अगर तुम वास्ता देते ....
दिल को एहसास ही रहा, मगर तेरे ना हुए हम....
ज़माने को रुला जाते, अगर हम दास्ताँ कहते ....


Added by Shayar Raj Bajpai on May 11, 2012 at 8:00pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service