For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul''s Blog – September 2014 Archive (8)

कल

यदि मैं आज हूँ

आज के बाद भी हूँ मैं

तो वह अवश्‍य होगा।

यदि जीवन की गूँज

जीने की अभिलाषा

लय भरा संगीत है, तो

वह अवश्‍य होगा।

यदि उसमें नदी का

कलकल नाद है

पंखियों का कलरव है

कोयल का कलघोष है, तो

वह अवश्‍य होगा।

यदि हम उत्‍तराधिकारी हैं

हमसे वंशावली है

हम योग का एक अंश हैं, तो

वह अवश्‍य होगा।

ब्रह्माण्‍ड की धधकती आग से

निकल कर शब्‍द ब्रह्म का

निनाद यदि है, तो

वह…

Continue

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 24, 2014 at 8:24pm — 1 Comment

3 क्षणिकाएँ

1-  शत्रु के सत्रह हार

काम1, क्रोध2, मद3, लोभ4, मोह5,

मत्‍सर6, रिपु  के संचार।

द्वेष7, असत्‍य8, असंयम9, गल्‍प10,

प्रपंच11, करे संहार12

स्‍तेय13, स्‍वार्थ14, उत्‍कोच15, प्रवंचना16,

विषधर अहंकार17

जो धारें ये अवगुण सारे 

सत्रहों हैं शत्रु…

Continue

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 23, 2014 at 10:01pm — 5 Comments

हाइकु

1-        

संस्‍कार होंगे

राम राज्‍य के स्‍वप्‍न

साकार होंगे !

2-        

बेच ज़मीर

बनता है तब ही

कोई अमीर !

3-        

स्‍वतंत्र हुए

बगल के नासूर

हैं पाले हुए !

4-        

है नारी वो क्‍या

न सिर पे पल्‍लू न

आँखों में हया !

5-        

क्‍या नाजायज

सत्‍ता, युद्ध, प्रेम में

सब जायज !

*मौलिक एवं अप्रकाशित*

 

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 14, 2014 at 10:51pm — 4 Comments

शहरों की भीड़ भाड़ में

शहरों की भीड़ भाड़ में

बस आदमी ही आदमी।

चलता ही जा रहा है

थकता नहीं है आदमी।

वाहनों की दौड़ भाग से

नहीं इसे परहेज

न है इसे प्रतिद्वंद्विता

न द्वेष रखता है सहेज

इसका तो अपना ध्‍येय है

पीढ़ियों से अपराजेय है

फि‍र भी देवताओं सा

लगता नहीं है आदमी।

इसकी अभिलाषाओं का

अभी न अंत होना है

अभी न तृप्‍त होगा यह

अभी न संत होना है

अभी इसे विकास के

सोपानों पर चढ़ना है…

Continue

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 10, 2014 at 9:40am — 1 Comment

भाईचारा बढ़े

भाईचारा बढ़े संग हम सब त्‍योहार मनायें।

इक ही घर परिवार शहर के हैं सबको अपनायें।

क्‍यूँ आतंक घृणा बर्बरता गली गली फैली है।

क्‍यों बरपाती कहर फज़ा यह तो यहाँ बढ़ी पली है।

पैठी हुईं जड़ें गहरी संस्‍कृति की युगों युगों से,

आयें कभी भी जलजले यह कभी नहीं बदली है।

भूले भटके मिलें राह में, उनको राह बतायें।

भाईचारा बढ़े---------------

 

दामन ना छूटे सच का ना लालच लूटे घर को।

हिंसा मज़हब के दम जेहादी बन शहर शहर…

Continue

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 6, 2014 at 12:23pm — 2 Comments

हिन्‍दी पखवाड़े पर 2 कुण्‍डलिया छंद

1-

मोबाइल की क्रांति से, सम्‍मोहित जग आज।

वैसी ही इक क्रांति की, बहुत जरूरत आज।

बहुत जरूरत आज, देश समवेत खिलेगा।

कितनी है परवाज, तभी संकेत मिलेगा।

आए वैसा दौर, अब हिन्‍दी की क्रांति से।

आया जैसे दौर, मोबाइल की क्रांति से।…

Continue

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 4, 2014 at 3:00pm — No Comments

हिन्‍दी दिवस पखवाड़े पर एक नवगीत

जन निनाद से ही

मंजिल तय हो

निश्चय ही। 

विश्‍वभाषाओं संग हो

हिंदी निश्‍चय ही। 

 

हिन्‍दी विश्‍वपटल पर चर्चित

पर्व मनायें 

अब समवेत स्‍वरों में

गौरवगाथा…

Continue

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 3, 2014 at 8:41am — 6 Comments

जनता जागरूक नहीं

विक्रमादित्‍य ने वेताल को पेड़ से उतार कर कंधे पर लादा और चल पड़ा। वेताल ने कहा-‘राजा तुम बहुत बुद्धिमान् हो। व्‍यर्थ में बात नहीं करते। जब भी बोलते हो सार्थक बोलते हो। मैं तुम्‍हें देश के आज के हालात पर एक कहानी सुनाता हूँ।

विक्रमादित्‍य ने हुँकार भरी।

वेताल बोला- ‘देश भ्रष्‍टाचार के गर्त में जा रहा है। भ्रष्‍टाचार की परत दर परत खुल रही हैं। बोफोर्स सौदा, चारा घोटाला, मंत्रियों द्वारा अपने पारिवारिक सदस्‍यों के नाम जमीनों की खरीद फरोख्‍त, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद की वोट…

Continue

Added by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 1, 2014 at 3:00pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
7 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
8 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
8 minutes ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
17 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
25 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
34 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service