For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Baban pandey's Blog (78)

माँ ! तुम यहीं कहीं हो

माँ ....
मैं तुम्हें खोज लूँगा
तुम यहीं कहीं हो
मेरे आस -पास .... ॥

आपकी अस्थियां
प्रवाहित कर दी थी मैंने
गंगा में ॥
भाप बन कर उड़ी
गंगा -जल
और फिर बरस कर
धरती में समा गई

मैं सुबह उठकर
धरती को प्रणाम करता हू
इसे चन्दन समझ
माथे पर तिलक लगाता हू ॥

ऐसा कर
आपका
प्यार और वात्सल्य
रोज पा लेता हू .. माँ ॥
-------------बबन पाण्डेय

Added by baban pandey on June 19, 2010 at 6:20am — 5 Comments

गर्म खबरों में अब दम कहां

गर्म हवा की तपिश से
उठे ववंडरों ने
उनकी आँखों में धूल झोंक दी
उनके कपडे भी उड़ा ले गयी
वे नंगा हो गए ॥

मगर .....
गर्म खबरों ने
उनको नंगा नहीं किया
क्योकि .... उन्होनें
नोटों की माला से
अपना शारीर ढक रखा था ॥

अब
गर्म खबरों में
गर्म हवा जैसी ताकत कहां ??

Added by baban pandey on June 18, 2010 at 6:56am — 4 Comments

रिश्तों की नई परिभाषा ( आज के सन्दर्भ मे )

(१)

शादी ....

समझौते की गाडी मे

स्नेह की सीट पर बैठकर

अंतिम स्टेशन तक

पहुचने की चाह रखने वाले

दो सहयात्री ॥



(२)

गर्लफ्रेंड -बॉय फ्रेंड का प्यार .....

कसमों - वादों की सिलवट पर

लुका -छिपी की नमक के साथ

पिसी गई

मुस्कराहट की चटनी ॥



(३)

पत्नी का प्यार ........

उबड़ -खाबड़ रास्तो पर

रातों को उगने वाला

गंध -विहीन

कैक्टस के फूल

सूघने जैसा ॥



(४)

शाली (पत्नी की छोटी बहन ) का… Continue

Added by baban pandey on June 18, 2010 at 6:54am — 3 Comments

समय पीछे से गंजा है

समय को पकड़ना
मानों ......
हाथो की हथेलियों से
बने बर्तन में
पानी को ज़मा करना ॥

समय को पकड़ना
मानो ....
समुद्र के किनारे आयी
लहरों को रोकना ॥

समय को पकड़ना
मानो ......
मुट्टी में रेत को
बाँध कर रखना ॥

समय रुकता नहीं
किसी ने सच कहा है
समय पीछे से गंजा होता है ॥
समय के आगे बाल है
चाहो तो , आगे से पकड़ सकते हो ॥
------------बबन पाण्डेय

Added by baban pandey on June 13, 2010 at 6:37am — 1 Comment

समाचार का बनाना

(खुशवंत सिंह का लेख पढने के बाद कि सिक्खों ने पंजाब के समराला शहर में १९४७ में गिरी मस्जिद बनाई ...पर मेंडिया वालो ने इसे समाचार नहीं बनाया .)



कुत्ता ...

जब आदमी को काटे

तो समाचार नहीं बनता

पर ...आदमी

जब कुत्ता को काटे

तो समाचार बन जाता है ॥



जब ..किसी से प्यार से बोलो

तो समाचार नहीं बनता

पर जब बे -अदब से पेश आओ

तो समाचार बन जाता है ॥



शादी की बातें

समाचार नहीं बनती

पर तलाक की हवा भी

समाचार बन जाती है… Continue

Added by baban pandey on June 13, 2010 at 6:30am — 5 Comments

सुविधाभोगी

(प्रस्तुत कविता हिंदी के विद्वान कवि प० राम दरश मिश्र द्वारा सम्पादित पत्रिका ' नवान्न ' के द्वितीय अंक में प्रकाशित है, मेरी इस कविता को उन्होनें गंभीर कविता का रूप दिया था )



न तो ---

मेरे पास

तुम्हारे पास

उसके पास

एक बोरसी है

न उपले है

न मिटटी का तेल

और न दियासलाई

ताकि आग लगाकर हुक्का भर सकें ॥

और न कोई हुक्का भरने की कोशिश में है ।



सब इंतज़ार में है

कोई आएगा ?

और हुक्का भर कर देगा ।

आज !

हर कोई

पीना…
Continue

Added by baban pandey on June 12, 2010 at 5:53am — 2 Comments

हमलोग चोर है

(मित्रो , मैं लगातार मानव -मूल्यों में हो हरास के ऊपर लिखते जा रहा हू , प्रेम सम्बन्धी कविताये बनाना मेरे लिए कठिन कार्य है ...प्रस्तुत है एक और कविता ...आशा है आपका समर्थन मिलता रहेगा ॥)



चीर चुराना (चीर -हरण ) तो

हम महाभारत काल से जानते है ॥



बिजली की चोरी

मेरा शगल है ॥



इन्कम -टैक्स की चोरी

आम बात है ॥



बनिए द्वारा तौल की चोरी में

हर्ज़ क्या है ॥



परीछा में चोरी

लड़के -लडकियों का हक है ॥



रचनाये… Continue

Added by baban pandey on June 11, 2010 at 8:24am — 3 Comments

आँखे बोलती है

जिन आँखों में देखा था

प्यार का सागर

उसी में तलाक का तूफान देख

हैरान है आँखे ॥



जिन आँखों में देखा था

विस्वास का दरिया

उसी में बेरुखी देख

परेशान है आँखे ॥



जिन आँखों ने देखी थी

सच की किताब

उसी में झूठ का पुलिंदा देख

बेजुवान है आँखे ॥



घर लौट आओ , मेरे दोस्त

जंगलो में अब बहुत हो चूका

माँ का बेटे के वियोग में

लहू -लुहान है आँखे ॥



जिन आँखों ने देखे थे

घूँघट में चेहरा

नंगे हुस्न की तारीफ़… Continue

Added by baban pandey on June 11, 2010 at 5:45am — 4 Comments

झूला

कई बार झूला हुं

सावन के झूले में

कई बार झूला हू

यादों के झूले में

और तेरी बाहों के झूले में भी

कई बार झूला हू मैं ॥



पर अब ये झूले

कोई गर्मी नहीं देती



कई झूले है

झूलने को अब मेरे पास

धर्म के झूले में झुलना

मेरी नियति है

बातों और वादों के

झूले में झुलना

हमारी दिनचर्या में है ॥

हमारे नेता हमें

झुलाते है ...रोलर -कोस्टर के

झूले में ॥

त्रिया -चरित के झूले में झुलना

एक रोज नए अनुभव से गुजरना है… Continue

Added by baban pandey on June 10, 2010 at 11:56am — 2 Comments

आदमी एक दो मुहां साँप है

आदमी....

कभी बाघ बन दहाड़ता है

कभी कुत्ता बन लड़ता है

कभी गिद्ध बन मांस ग्रहण करता है

तो कभी

गीदर बन भाग खड़ा होता है

कभी गिरगिट की तरह रंग बदलता है



आदमी.....

कभी धर्म के लिए स्वं मरता है

कभी दूसरों को मारता है / काटता है



आदमी ......

कभी देश बाटता है

कभी जाती बाटता है

कभी भाषा बाटता है

तो कभी एकता का पाठ पढ़ाता है



आदमी ....

कभी कंजूस बन पैसे के लिए मरता है

कभी दानी बन पैसे लुटाता है

कभी… Continue

Added by baban pandey on June 9, 2010 at 3:00pm — 5 Comments

कितना बदले है हम ?

टेबल घडी की टनटनाहत से

नहीं उठता वह ।

डोन्ट ब्रेक माय हर्ट

मोबाइल के रिंग -टोन से

उसकी नींद टूटती है ....



उंघते हुए बाथ रूम की ओर

रुख किया उसने

पाश्चात्य शैली के टोइलेट पर बैठ कर

वह ब्रुश भी कर लेता है ॥



डेली सेव करना उसकी आदत में है

जबकि उसके माँ ने कहा था

मंगल और गुरुवार को सेव मत करना ....



कैसे न करे वह

कम्पनी का फरमान

ऊपर से गर्ल फ्रेंड की चाहत भी



जैसे -तैसे

ब्रेड पर लगाया क्रीम… Continue

Added by baban pandey on June 9, 2010 at 6:31am — 6 Comments

अक्ल बड़ी या भैस

पुल नहीं , तो वोट नहीं

रोड नहीं ,तो वोट नहीं ॥

सुनकर वोटरों की ये चिल्लाहट

बढ़ी नेताजी की घबराहट ॥



उड़ चले वो

वोटरों के गाँव

पहले खेला जाती का दावँ



जब वोटर न हुए

टस से मस

तब उन्होनें सवाल दागा

कितने लोगों के पास है

ट्रक्टर / ट्रक और बस

वोटर थे सब चुप ॥

फिर बोले .....

तब रोड का क्या फायदा

ऊँची जाती वालो के पास है

ट्रक्टर , ट्रक और बस

उनके ट्रक का चक्का टूटने दो

थोडा उनको और गरीब होने दो

फिर… Continue

Added by baban pandey on June 8, 2010 at 6:10pm — 6 Comments

खुल कर जातिवाद करो यार !!

(जातिगत जनगणना को लेकर लिए गए फैसले के ऊपर )



अरे यार !!

कान में मत फुस्फुसाओ

खुलकर जाती पूछो ।

सरकारी लाइसेन्स ही मिल गया ..

.संसद के अन्दर

नेताओ की मुहर लग गयी यार ...

जातिगत जनगणना को लेकर ॥



अब इंटरवेऊ में

नहीं पूछा जाएगा

आपके रिसर्च का ज्ञान

भोतिक और रसायन विज्ञानं ॥

आपसे पूछा जाएगा ....

आपके जातिगत पेशे

कैसे दुहते हो गाय

कैसे कराते हो पूजा

कैसे बनाते हो जूता ...

पुनः लौटो यार

मनुवाद की ओर… Continue

Added by baban pandey on June 7, 2010 at 8:01am — 3 Comments

दंभ से बचो , मेरे दोस्त !!

आसमान को

कौन छुना नहीं चाहता , मेरे दोस्त !!

तारे तोड़ने की ईच्छा

किसे नहीं होती ॥



परन्तु , आसमान छुने पर

दंभ मत भरना , मेरे दोस्त !!



हिमालय भी दंभ भरता था

अपनी ऊँचाई का .....

न जाने कितनी बार

तोड़ा गया उसका दंभ ॥



पहाड़ के शिखरों पर रखे

पथ्थरो की बिसात ही क्या

किसी भी दिन

कुचल दिए जायेगे

सडकों के नीचे

बड़े -बड़े मशीनों द्वारा ॥



और अंत में ....

यह भी याद रखना , मेरे दोस्त

दरखतो की उपरी… Continue

Added by baban pandey on June 6, 2010 at 9:54pm — 4 Comments

खेत खाय गधा, मार खाय जुलहा

ब्लॉग के शीर्षक से आपको लगता होगा कि यह कहानी कोई खाने - खिलाने से सम्बंधित है ..मगर नहीं ..यह कहानी ..न्याय से सम्बंधित है ..यह कहानी मुझे पटना विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने सुनाया था ..

प्रोफ़ेसर साहब एक बार भ्रमण के लिए रूस गए थे ... वहां उन्होंने नयायालय में हो रहे प्रकिरिया को देखना चाहा... वे एक न्यायलय में गए . एक नौकर ने अपने मालिक के घर से ४०० रुब्बल कि चोरी कर ली .थी . मालिक ने उस पर केश दर्ज करबा दिया था ..

जज ने नौकर से पूछा.." तुमने चोरी क्यों की"

नौकर ने कहा "… Continue

Added by baban pandey on June 6, 2010 at 12:18pm — 6 Comments

आओ, एक पुल बनाएं

पुल .....

अर्थात ...मिलन

दो गांवों का /दो देशों का

और

नदियों को लांघने का एक संरचना ॥



रिश्तों का पुल बनता है

जब दो परिवार

शादी के बंधन में बंधते है ।



कुछ दिनों पहले पढ़ा था

एक तलाक शुदा दंपत्ति के

१२ वर्षीय पुत्र ने

माता -पिता के दिलो को जोड़ा

पुल बनकर ॥





प्रजातंत्र में भी

पुल बनाया जाता है

नेताओ और वोटरों के बीच

भाषणों का / आश्वासनों का

जो तुरंत ही ढह जाता है ॥



दरअसल… Continue

Added by baban pandey on June 6, 2010 at 11:50am — 5 Comments

खुटे की गाय और प्रजातंत्र

वैसे तो
खुटे से बंधी चरती गाय
और प्रजातंत्र में
कोई समानता नहीं दिखती ॥
मगर
थोडा गौर फरमायें
तीन महत्वपूर्ण बिंदु ....
खूंटा , गाय और रस्सी ॥

खूंटा मतलब संबिधान
अपनी जगह स्थिर
गाय मतलब नेता
चारों ओर चरने वाला
और रस्सी यानी वोटर


इस रस्सी को जब चाहो
तोड़ दो , मोड़ दो , काट दो
है ना समानता ॥

क्या हम सब रस्सी
आपस में मिलकर .....
गाय को नियंत्रित नहीं कर सकते ॥

Added by baban pandey on June 1, 2010 at 8:03pm — 6 Comments

अन्दर की चिंगारी को खोजो

मैं

समुद्र की उन लहरों की तरह नहीं

जो बार -बार गिरती है / उठती है

और

किनारे तक आते - आते

दम तोड़ देती है ॥



मैं

उन घोड़ो की तरह भी नहीं

जिसे

चश्मा लगा देने पर

सुखी घास भी

हरी दूब समझ खा लेते हैं ॥





मैं

उन दिहाड़ी मजदूरों की तरह भी नहीं

जो १०० रुपया और एक पेट खाना पर

बुला लिए जाते है ....

राजनेताओ की रैलियो में

भीड़ जुटाने के लिए ॥



मैं तो चिंगारी हु मेरे दोस्त !!

सबके दिल में रहता… Continue

Added by baban pandey on June 1, 2010 at 12:49pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service