For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना बदले है हम ?

टेबल घडी की टनटनाहत से
नहीं उठता वह ।
डोन्ट ब्रेक माय हर्ट
मोबाइल के रिंग -टोन से
उसकी नींद टूटती है ....

उंघते हुए बाथ रूम की ओर
रुख किया उसने
पाश्चात्य शैली के टोइलेट पर बैठ कर
वह ब्रुश भी कर लेता है ॥

डेली सेव करना उसकी आदत में है
जबकि उसके माँ ने कहा था
मंगल और गुरुवार को सेव मत करना ....

कैसे न करे वह
कम्पनी का फरमान
ऊपर से गर्ल फ्रेंड की चाहत भी

जैसे -तैसे
ब्रेड पर लगाया क्रीम ...
गटागट किया ......
फिर एक गोली खाया
यह गोली दिनभर उसे
सरदर्द से दूर रखेगा ॥

अख़बार भी देखना
तो सिर्फ टेंडर की सूचना
फिर शुरू हो गया
मैनेज करने की तिकड़म की जद्दोजेहद .....

अरे ऑफिस क्या है ...
कभी ट्रेन तो कभी प्लेन

शाम को फ़ोन किया
सारी,...नहीं आ पाउगा
ओ के .....मैं भी नहीं आ पाऊँगी ..बाय
घर एक , मगर रास्ते अलग - अलग

चलते -चलते
लैप -टॉप पर ही चैत्तिंग
कुछ कम मोबाइल से
कम्पनी ने दिया है ....
साथ ही हितायत भी
नो स्विच ऑफ .......

शाम का खाना
किसी रेस्टोरेंट में
वियर की दो बोतल
गटक गया
शायद नींद आ सके ॥

फिर एक दिन
माँ के निधन की खबर मिली
ओल्ड -एज होम में रहती थी वह
पोता बोर्डिंग स्कूल में था
किराये की कोख का पोता
बहु ने गर्भवती होने से मना किया था .....

ऑफिस में फ़ोन किया
सर !..माँ मर गयी है
मुनिस्पैलिटी वाले को बुलाया है
डेड बॉडी उठते ही आ जाउगा
दाह-संस्कार के बिल का पेमेंट शाम को करुगा
आधे घंटे लेट होगी ॥

यह कह .....
उसने अपना मोबाइल बंद कर लिया
आधे घंटे के लिए
शायद ,...मृत -आत्मा को शांति आ जाय ॥

कितना बदले है हम ....
१०%, २० % या .........??/

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on June 9, 2010 at 2:05pm
बबन भाई बहुत ही दूरगामी दृष्टि है आपकी concrete के जंगल मे रहने वाला मनुष्य धीरे धीरे पासाड़ बनते जा रहा है, प्रधान संपादक महोदय ( श्री योगराज प्रभाकर ) जी ने बहुत ही सही कहा है, की आज की Rat race ने इंसान को कैसे एक ह्रदय विहीन रोबोट में परिवर्तित कर दिया है उसको बहुत सुन्दरता से चित्रित किया है आपने ! "किराये की कोख का पोता", "माँ के दाह-संस्कार का बिल", "बतौर श्रधान्जली आधा घंटा फ़ोन को स्विच ऑफ़ करना" वाकई बहुत ही अच्छी रचना है,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 9, 2010 at 1:29pm
बबन भाई कमाल कर जाते हैं आप भी अक्सर, आज की Rat race ने इंसान को कैसे एक ह्रदय विहीन रोबोट में परिवर्तित कर दिया है उसको बहुत सुन्दरता से चित्रित किया है आपने ! "किराये की कोख का पोता", "माँ के दाह-संस्कार का बिल", "बतौर श्रधान्जली आधा घंटा फ़ोन को स्विच ऑफ़ करना" - हद है बबन भाई हद ! इंसान शायद इतना बदल गया है कि कोई भी प्रतिशतता बहुत छोटी पड़ जाती है ! अंतर्मन को झिंझोड़ कर रख देने वाली इस रचना के लिए मुबारकबाद देता हूँ आपको दिल से ! कहीं कहीं टाईपिंग की गलतियां हैं - ज़रा देख कर सुधार लीजियेगा !
Comment by aleem azmi on June 9, 2010 at 12:57pm
waah baban bhai lajawaab ...umda bemisaal ..bahut achcha likhte hai aap
likhte rahiyeeeeeeeeee
shukriya aapka
Comment by baban pandey on June 9, 2010 at 11:46am
गणेश भाई , अभी सब कुछ नहीं खोल पाया हू....अगली रचना में रही सही कसर पूरी कर दूंगा ...पढ़ते रहिये ...कमेन्ट लिखते रहिये ...आपका मित्र

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 9, 2010 at 9:08am
क्या बात है बबन भैया ...
भिगो भिगो के मारते हो........नेट पर चैटिंग......साथ में डेटिंग.....माँ के मरने पर भी सेटिंग..........??????????????

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 9, 2010 at 7:59am
यह कह .....
उसने अपना मोबाइल बंद कर लिया
आधे घंटे के लिए
शायद ,...मृत -आत्मा को शांति आ जाय ॥

बबन भैया आप तो हाई प्रोफाइल लोगो की कलई खोल दी है, आज वो कहते है की वो मोडर्न हो गये है, मैं तो कहता हू की एक कंप्यूटर operated मशीन हो गये है जहा अपना दिल, दिमाग, भावना ,प्यार-मुहबत , अपनापन आदि का कोई जगह नहीं है, मशीन जब तक चला ठीक नहीं तो कबाड़ खाना मे डाल दिया जायेगा, यदि यही है आधुनिकता की पहचान तो हमे नहीं बनना आधुनिक , बहुत ही बढ़िया रचना है बबन भईया , एक दम आँख खोलने वाली है, इस शानदार रचना के लिये मेरी बधाई स्वीकार करे ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service