For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Archana Tripathi's Blog (10)

लघुकथा

प्रतिफल

चन्द दिनों मे ही पर्याप्त नींद लेकर मैं स्वस्थ सी लगने लगी थी। उसमे करना भी कुछ ना था बस एकाग्रचित्त होकर मंत्र का मानसिक जाप करना था। आज पुनः उनके पास जाना था ।निलय किसी भी सूरत चलने को तैयार ना थे।दरअसल उन्हें विश्वास भी ना था इन बातों पर। मेरे अंदर की लालसा ने, कुछ धर्मगुरुओं द्वारा किये गलत आचरण को भी परे कर दिया था।

" गुरुजी मेरे विवाह को दस वर्ष हो चुके हैं,लेकिन हम संतान सुख से वंचित हैं और इलाज कराते कराते थक गए हैं।"

कुछ गणना के पश्चात , " आपको दवा, दुआ…

Continue

Added by Archana Tripathi on June 17, 2019 at 3:18am — No Comments

औपचारिक्ता की दरकार

औपचारिक्ता की दरकार "

" पागलों की तरह भागते हुए लेक्चरर शिल्पी ने कॉलेज में आये उस नवयुवक को आलिंगन में यूँ जकड़ लिया जैसे वह भाग ना पाये।यह बात पुरे कालेज में जंगल में आग की तरह फैल गयी।जितने मुँह उतनी बातें और उतने ही लांछन!

अपने ऊपर लगते लांछनों ने उसे भीतर तक तोड़ दिया और आज तो उनकी पराकाष्ठा हो गयी थी ।लेकिन कभी-भी हार ना मानने वाली शिल्पी सभ्य सहयोगियों से दो-चार हो ली।



" मैं क्यों बदचलन आवारा हूँ कोई बताएगा मुझे ? क्योकि मैं सबसे हँसकर बात करती हूँ? क्योकि मैंने… Continue

Added by Archana Tripathi on February 18, 2016 at 3:34pm — 8 Comments

कंगली (लघुकथा )

साक्षी ने सारी सीमाएं विवाह पूर्व ही तोड़ दी थी ।विवश हो उसके प्रेम विवाह को सहमति देनी पड़ी लेकिन विवाह के मात्र आठ माह बाद तीन माह की पुत्री को लेकर लौट आयी थी । बिटिया तीन वर्ष की हो गयी थी ।साक्षी ने पुनः विवाह कर लिया बेटी ननिहाल में ही पल रही थी।इसी बात से संतोष था की वह ससुराल में रम जाय लेकिन -

" माँ अब मैं उस घर नहीं जाउंगी।"



"क्यों ? अब क्या हो गया ?"



"उसे पत्नी नहीं माँ के लिए नौकरानी चाहिए थी और वह तो पूरा कंगला हैं ,मैंने तो उसकी चमक देख ब्याह किया… Continue

Added by Archana Tripathi on October 27, 2015 at 11:52pm — 13 Comments

वंश वृद्धि (लघुकथा)

कवि सम्मेलन के आगाज़ के साथ ही नवांकुर कवि के कविता पाठ करते ही मरघट सा सन्नाटा पसर गया।बामुश्किल नामी कवी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा -

" इन्हें कलम चलानी तो आती नहीं फिर माहौल खराब करने के लिए यहाँ किसने आमन्त्रित किया हैं ?"

" अरे , शर्मा जी इन नवांकुरों को मैंने आमन्त्रित किया हैं ।इन्हें सिखाना भी तो जरुरी हैं।"

" ये केवल नाम बटोरना चाहते हैं ,लगन मेहनत से कोई वास्ता नहीं इनका।इन्हें मंच से हटाया जाय "

"शर्मा जी, ये हमे अपना आदर्श मानते हैं "

" तो हम ही मंच छोड़ देते…

Continue

Added by Archana Tripathi on September 14, 2015 at 12:46am — 24 Comments

सामन्जस्य की परिभाषा (लघुकथा )

प्रतियोगी परीक्षाओं में मिली असफलता से निखिल अवसादग्रस्त हो चला था। पत्नी स्नेहा को मिली नौकरी से गृहस्थी की गाडी सुचारू रूप से चलने लगी थी।लेकिन दोहरी जिम्मेदारी के बोझ तले वह बुरी तरह पीस रही थी। जिसका असर उसके व्यवहार में भी परिलक्षित हो रहा था ।

आज घर में घुसते ही साफ -सुथरा घर , और टेबल पर लगे खाने से आती खुशबू से स्नेहा भौचक्की थी, की निखिल कहने लगा -



"पढ़ते-पढ़ते थक गया था सो खाना बना लिया। शायद तुम्हे पसंद आ जाए। "

पसंद-नापसन्द से परे वह अपने घर में पति-पत्नी के मध्य… Continue

Added by Archana Tripathi on August 27, 2015 at 4:34pm — 9 Comments

पराश्रित तो नहीं (लघुकथा )

"मम्मी स्कूल की नौकरी , बिट्टू को पढ़ाने के बाद रात का खाना बनाना मेरे बस की बात नहीं हैं।"
"लेकिन बहू घर का अन्य काम तो इस उम्र में भी मैं ही करती हूँ तो क्या तुम एक समय का खाना भी नहीं बना सकती ?"
"नहीं बना सकती क्योकि मैं नौकरी करती हूँ , आपकी तरह घर में नहीं बैठी रहती "
ससुरजी हस्तक्षेप करते हुए -
"बस बहुत हो गया बहू , आज से तुम अपनी गृहस्थी देखो और हम अपनी जिम्मेदारी खुद उठा लेंगे और फिर हम पराश्रित भी तो नहीं हैं ।"

मौलिक और अप्रकाशित

Added by Archana Tripathi on August 21, 2015 at 12:00am — 15 Comments

मौका नहीं सौदा (लघुकथा)

"मैं तुम लोगों को लेने आया हूँ "
"इतना गलत कार्य करने के बाद भी इतनी हिम्मत!"
"क्या पुरानी बातों को भुला कर, नया जीवन नहीं शुरू नहीं कर सकते "
"क्या भरोसा की तुम उन बातों की पुनरावृत्ति नहीं करोगे?"
"एक मौका दे दो मुझे"
"अब तुम्हे मौका नहीं दिया जा सकता बल्कि एक सौदा किया जा सकता हैं ,मेरे जेवर उतना धन दोनों बेटियों के नाम बैंक में जमा करों जो तुम जुऐं में लूटा चुके हो।अन्यथा मेरे दरवाजे तुम्हारे लिए सदैव बंद हैं।"

मौलिक और अप्रकाशित

Added by Archana Tripathi on July 26, 2015 at 2:00am — 2 Comments

भूस्खलन इंसानियत का (लघुकथा)

लगातार हो रही वर्षा के पश्चात पुनः विद्यालय सुचारू रूप से चलना शुरू ही हुआ था कि चीख-पुकार मच गयी सभी अपनी -अपनी जान बचाकर भाग रहे थे।नया विवादित भवन पहली ही बरसात में विद्यार्थी और शिक्षकों की कब्र में परिवर्तित हो गया ।अधिकारीयों का तांता लगा रहा तत्काल प्रभाव से भेजी गयी रिपोर्ट में भवन का खण्डहर होने का कारण -
" अत्यधिक वर्षा से भूस्खलन " था।

और ठेकेदार की बहुमंजिली कोठी बरसते सावन में घी के दीयों से जगमगा रही थी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Archana Tripathi on July 13, 2015 at 11:30pm — 13 Comments

काश (लघु कथा )

वह आकाश में परिंदे की तरह उड़ रही थी ।माँ निश्चिन्त थी की बेटी तरक्की कर रही और पिता आजादी दे समय से ताल मिला रहे थे।बेटी के सोने -जागने , आने जाने से किसी का कोई सरोकार नहीं था।

" पापा मेरी तबियत खराब हो गयी है ।"

मुँह अँधेरे होटल पंहुचे पिता अपनी पुत्री को अस्त व्यस्त और नशे में डूबी देख समझ चुके थे की क्या घट चुका है।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Added by Archana Tripathi on April 24, 2015 at 8:30am — 21 Comments

चेहरे पे चेहरा ( लघुकथा )

स्त्री का सम्मान , आजादी और शिक्षा के लिए भरपूर प्रयास करने जैसी ढेरों आदर्श वादी बातों से प्रभावित स्नेहा लेक्चरर साहब घर जा पहुंची।
दस्तक से पूर्व ही कर्कश आवाज " खबरदार बिना मेरी अनुमति के कोई परिवर्तन किया तो लात मार घर से निकाल दूंगा I"

(मौलिक और अप्रकाशित)

Added by Archana Tripathi on April 24, 2015 at 1:00am — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
23 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
31 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service