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KALPANA BHATT ('रौनक़')'s Blog (122)

क्षितिज

यह कौन है वहां उस छोर पर

जो देख रहा बादलों के कोर से

बैठ गया है जो वहां सालों से

न वो कोई ज़मीन पर रहता है

न ही आसमान को कोई हिस्सा है

दिखता है वो बहुत करीब मगर

जाने किस जहां में बस्ता है

दूर है वो पर करीब ही दिखता है

जब पूछते है पता उसका

कुछ मुस्कुराकर वो यह कहता है

बांवरा मन यह तेरा क्यों मुझको

इस बेचैनी से क्यों मुझको तू देखता है

क्षितिज हूँ मैं ,

आसमान का नहीं ,ज़मीन का भी नहीं

यह मेरा जहां है जहाँ तू मुझको…

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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 9, 2016 at 3:30pm — 5 Comments

आहट

क्या कहा जो सुना नहीं

आँखों ने पढ़ लिया होगा

कह न सके वो जो बातें

आँखो ने पढ़ लिया होगा।



दूर दराज से आया कोई

अपनों ने जान लिया होगा

खो गया था जो उस जहाँ में

अपनों ने पा लिया होगा।



स्वप्न सा अँधेरे को वो

चीर कर वहाँ से जब आया

निशाँ अपने छोड़ कर वो

फिर अपनी दुनिया में गया होगा।



यादें है या है आहट उनकी

किसी ने तो यह जाना होगा

दिल से पूछा जब यह उसने

उसका दिल भी क्या वहाँ धड़का होगा।



(मौलिक एवं…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 20, 2016 at 9:00pm — 2 Comments

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