ग़ज़ल :- मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत
कैद बेशक है आज पिंजर में ,
हौसला है मगर अभी पर में |
मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत ,
जी रहे हम न जाने किस डर में |
हत परिंदों को बचाता है कौन…
ContinueAdded by Abhinav Arun on February 5, 2011 at 8:00am — 7 Comments
ग़ज़ल : - बनारस के घाट पर
कुछ था ज़रूर खास बनारस के घाट पर ,
धुंधला दिखा लिबास बनारस के घाट पर |
घर था हज़ार कोस मगर फ़िक्र साथ थी ,
मन हो गया उदास बनारस के घाट पर |
संज्ञा क्रिया की संधि में विचलित हुआ ये मन
गढ़ने लगा समास बनारस…
ContinueAdded by Abhinav Arun on February 1, 2011 at 9:00am — 13 Comments
ग़ज़ल :- डूब रहे से नाव की बातें
डूब रहे से नाव की बातें ,
थोथी है बदलाव की बातें |
राजनीति के दुर्दिन आये ,
सब करते अलगाव की बातें |
…
ContinueAdded by Abhinav Arun on January 30, 2011 at 10:30pm — 3 Comments
Added by Abhinav Arun on January 30, 2011 at 10:00pm — 2 Comments
Added by Abhinav Arun on January 26, 2011 at 7:00pm — 10 Comments
Added by Abhinav Arun on January 25, 2011 at 3:51pm — 10 Comments
लेख :-जाना बालेश्वर का
प्रख्यात लोक गायक बालेश्वर यादव का दिनांक ०९ जनवरी २०११ को लखनऊ में निधन हो गया | धन्य हो कुछ खबरिया चैनेलों का और अखबारों का जो उनके प्रशंसक इस समाचार वाकिफ हो सके | अन्यथा आज भोजपुरी संस्कृति जिस बाजारवाद की शिकार है उसमें इन पारंपरिक लोकगायकों को लोग भूल गये हैं | बालेश्वर १९४२ में मऊ जनपद में जन्में मुझे याद है मेरा गांव में गुज़रा बचपन जहां उनका 'निक लागे टिकुलिया…
ContinueAdded by Abhinav Arun on January 11, 2011 at 7:58am — 3 Comments
Added by Abhinav Arun on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments
ग़ज़ल :- चार पैसा उसे हुआ क्या है
चार पैसा उसे हुआ क्या है
पूछता फिर रहा खुदा क्या है |
हर जगह तो यही करप्शन है
रोग बढ़ता गया दवा क्या है |
तुम ही रक्खो ये नारे वादे सब
पांच वर्षों का झुनझुना क्या है |
तेरे जाने पर अब ये…
ContinueAdded by Abhinav Arun on January 5, 2011 at 4:16pm — 12 Comments
ग़ज़ल:- आकर्षक चमकीले लोग
आकर्षक चमकीले लोग
केंचुल में ज़हरीले लोग |
आत्ममुग्धता की परिणति हैं
सुन्दर सुघड सजीले लोग |
भूख की आंच पे चढ़ते हैं नित
खाली पेट पतीले लोग |
झंझावाती जीवन सागर
हम शंकित रेतीले लोग |
चीर हरण करते आँखों से
कुंठाओं के टीले लोग…
ContinueAdded by Abhinav Arun on January 2, 2011 at 10:45am — 3 Comments
Added by Abhinav Arun on December 22, 2010 at 10:30am — 4 Comments
..एक व्यथा ...कथा नहीं यह
नीलेश और रोमा आज कुछ जल्दबाजी में थे |कल रात को भी नीलेश अपनी ड्यूटी कुछ जल्दी छोड़कर घर आ गया था |और भोर से ही रोमा…
ContinueAdded by Abhinav Arun on December 18, 2010 at 10:00pm — 5 Comments
ग़ज़ल :- आदमी हो कि आदमी भी नहीं
तुझसे बर्दाश्त ये खुशी भी नहीं
घाट पर पूजा बंदगी भी नहीं |
जिसने बम फोड़ा उसका मकसद क्या
हम करें माँ की आरती भी नहीं |
स्वस्तिका पूछ रही है मरकर
आदमी हो की आदमी भी नहीं |
फाइलों…
ContinueAdded by Abhinav Arun on December 18, 2010 at 8:30pm — 2 Comments
ग़ज़ल : - याद तेरी में
याद तेरी में गुनगुनाता हूँ
ज़िंदगी को करीब पाता हूँ |
शीत कहती मुझे तू छू कर देख
और…
ContinueAdded by Abhinav Arun on December 18, 2010 at 8:00pm — 2 Comments
Added by Abhinav Arun on December 13, 2010 at 1:54pm — 4 Comments
कविता :- हमें माफ करना स्वस्तिका
हमें माफ करना स्वस्तिका
हमने भुला दी है इंसान होने की संवेदना
अब हमें तुम्हारे…
ContinueAdded by Abhinav Arun on December 10, 2010 at 4:51pm — 14 Comments
Added by Abhinav Arun on December 6, 2010 at 4:16pm — 9 Comments
Added by Abhinav Arun on December 6, 2010 at 3:57pm — 7 Comments
Added by Abhinav Arun on December 4, 2010 at 4:55pm — 6 Comments
Added by Abhinav Arun on December 4, 2010 at 4:05pm — 2 Comments
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