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रपट - बनारस को मिला ''मेरा शहर मेरा गीत''

            दैनिक जागरण के राष्ट्रीय आयोजन ‘’ मेरा शहर मेरा गीत ‘’ के लिए गत वर्ष अप्रैल २०१३ में वाराणसी शहर से प्राप्त करीब पांच सौ प्रविष्टियों में से बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी के नेतृत्व वाली ज्यूरी द्वारा चयनित गीत की दिनांक ०९ फरवरी २०१४ को वाराणसी के संपूर्णानंद स्टेडियम में समारोहपूर्वक भव्य लॉन्चिंग की गयी | इस गीत को दिल्ली एन. सी. आर. स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (भारत सरकार) में बी.टेक . द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी वाराणसी निवासी नीलाभ उत्कर्ष ने रचा है | ‘क़यामत से क़यामत तक ‘, ‘बोल राधा बोल ‘, ‘दिल’, और ‘बेटा’ जैसी कई सुपर हिट फिल्मों के लिए कामयाब मधुर संगीत देनेवाले संगीतकार आनंद - मिलिंद (प्रसिद्द संगीतकार चित्रगुप्त के सुपुत्र) के संगीत निर्देशन में ‘जब तक है जान ‘ , ‘ अजब प्रेम की गज़ब कहानी ‘ जैसी अनेक फिल्मों में पार्श्वगायन करने वाले चर्चित युवा गायक जावेद अली ने अपनी खूबसूरत आवाज़ दी है | गीत में काशी की कला संस्कृति और पहचान घाट , गली , कचौड़ी , ठंडई, प्रसाद , नजीर , शहनाई आदि को अपने शब्दों से नीलाभ ने बखूबी उकेरा है |

             गीत के लोकार्पण समारोह में वाराणसी के डी. एम. (जिलाधिकारी) श्री प्रांजल यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे | आयोजन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर और ख्यात लब्ध शास्त्रीय गायिका डॉ रेवती साकलकर ने गीत को प्रस्तुत कर अद्भुत समां बाँधा | इस अवसर नगर के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ,गणमान्य नागरिक ,पत्रकार ,साहित्यकार और कला – संस्कृति कर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित थे |

              गीतकार नीलाभ उत्कर्ष की अनुपस्थिति में पुरस्कार उनके पिता आकाशवाणी वाराणसी के वरिष्ठ उदघोषक एवं चर्चित युवा साहित्यकार अरुण पाण्डेय ‘’अभिनव अरुण ‘’ ने ग्रहण किया | नीलाभ उत्कर्ष की शिक्षा के साथ साथ अन्य गतिविधियाँ भी प्रशंसनीय रही हैं | उनके आलेख और कवितायेँ स्कूल कालेज की पत्रिकाओं में प्रकाशित और पुरस्कृत होती रही हैं | अपने वर्तमान संस्थान www.niftem.ac.in का कुल गीत भी नीलाभ ने लिखा है | स्पिक मैके , मैक फेयर आदि आयोजनों में सक्रियता से जुड़े नीलाभ ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्मित फिल्म ‘’ धरती के लाल ‘’ में भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्व. लालबहादुर शास्त्री के किशोर वय की भूमिका भी निभायी थी | इस फिल्म का लोकार्पण नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री महोदय द्वारा किया गया था | इस फिल्म को दूरदर्शन के राष्ट्रीय नेटवर्क पर कई बार प्रदर्शित किया गया है | नीलाभ ने इसके अलावा नेशनल साइंस एवं कंप्यूटर ओलंपियाड में भी स्वर्ण पदक हासिल किये हैं | शहर एवं राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रश्नोत्तरी एवं संभाषण प्रतियोगिताओं में सफलतापूर्वक प्रतिभाग करने वाले नीलाभ को समारोह में उपस्थित अतिथियों ने उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनायें दीं |

गीत का यू ट्यूब लिंक –

https://www.youtube.com/watch?v=utRL5suhO20&feature=youtu.be

                                                                          ‘’मेरा शहर मेरा गीत’’

घुलीं पान सी मस्तियाँ इस शहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में

 

इसे गुनगुनाओ सजाओ संवारो

मोहब्बत से इसको ज़रा तुम निहारो

कबीर और तुलसी गले मिल रहे हैं

प्रसादों नजीरों के दिल खिल रहे हैं

गली घाट सब ठंडई की लहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

रईसों मलंगों की बस्ती बनारस

कई घाट गंगा गुज़रती बनारस ,

नहीं आपाधापी नहीं भागादौड़ी

यहाँ अल सुबह रोज़ छनती कचौड़ी

अजब सी है मस्ती यहाँ की ठहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

कला संस्कृति का यहाँ ऊँचा परचम

बनारस ने सबको सिखाया है हर फन

यहाँ वेद गूंजे तो शहनाइयाँ भी

गए दौर की जिंदा परछाइयां भी

बुलाती है आवाज़ दे हर पहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

मेरी सादगी में छिपी मेरी पहचान

यही रूप मेरा यही मेरी है जान ,

बनारस तो जीने का एक फलसफा है

समंदर पे तटबंध कब बन सका है

मुझे ढूंढ लो हर  ध्वजा हर फहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

             - नीलाभ उत्कर्ष

              ( सुपुत्र - अभिनव अरुण )

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 12:36am

होनहार बिरवान के होत चिकने पात ..

नीलाभ उत्कर्ष को हृदय से बधाई और आशीष .. .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 21, 2014 at 7:31pm

बनारस शहर के विविध रंगों और पहचान को पूरी शान से जिन्दादिली से प्रस्तुत करता बहुत खूबसूरत गीत लिखा है नीलाभ नें...

आ० अभिनव अरुण जी, आपको आपके सुपुत्र नीलाभ की इस गर्व से भर देने वाली उपलब्धि पर बहुत बहुत बधाई.

NIFTEM जैसे इंस्टिट्यूट का कुल गीत भी नीलाभ नें लिखा ये जान बहुत अच्छा लगा... नीलाभ को बहुत बहुत शुभाशीष और उसके लेखन के लिए बहुत सी शुभकामनाएं 

Comment by Abhinav Arun on February 19, 2014 at 9:49pm

श्री Neeraj Kumar 'Neer' जी एवं श्री आशीष नैथानी 'सलिल' जी हार्दिक रूप से आभारी हूँ !

Comment by Neeraj Neer on February 18, 2014 at 10:33pm

हार्दिक बधाई आदरणीय , वाकई उत्कृष्ट रचना है एवं पुरस्कार की हकदार भी ..

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2014 at 12:56pm

हार्दिक बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on February 18, 2014 at 12:48pm

आदरणीय श्री जितेन्द्र गीत जी , अनिल कुमार जी , अतुल जी , शिज्जू जी ,डॉ आशुतोष जी , अखिलेश कृष्ण जी एवं आदरणीया मीना जी आप सबका आभार !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 17, 2014 at 11:01pm

हार्दिक बधाई आदरणीय अभिनव अरुण जी

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 10:06pm

हार्दिक बधाई...............................बहुत खूब...............

Comment by atul kushwah on February 16, 2014 at 7:02pm

बहुत सारी बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 5:10pm

पुत्र पिता का नाम रौशन करेगा। बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अभिनव अरुण जी।

कृपया ध्यान दे...

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