For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Hariom Shrivastava's Blog (45)

दुमदार दोहे --

जिसको जो मिलता नहीं, वही लगे बस खास।
वह सब लगता तुच्छ सा, जो है जिसके पास।।
कभी संतुष्टि न होती।

जीवनभर होता नहीं, इच्छाओं का अंत।
जो इनको वश में करे, उसे मानिए संत।।
सुखी रहता संतोषी।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Added by Hariom Shrivastava on June 27, 2017 at 11:44pm — 10 Comments

कुण्डलिया छंद

पाकिस्तानी टीम को, मिली करारी हार।
दौडा़ दौड़ाकर उन्हें, भारत ने दी मार।।
भारत ने दी मार, मैच इकतरफा जीता।
यूवी और विराट, , लगाते रहे पलीता।।
हारा पाकिस्तान, पड़ी है मुँह की खानी।
जंग रहे या मैच, पिटेंगे पाकिस्तानी।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Added by Hariom Shrivastava on June 5, 2017 at 12:07am — No Comments

दोहे -

सैनिक हुए शहीद फिर, और हुआ उपहास।
अपनी ही सरकार से, रही न कोई आस।।1।।

इसमें कोई शक नहीं, हम हैं निंदा वीर।
अगली निंदा के लिए, दिल्ली का प्राचीर।।2।।

कोई पत्थर मारता, कोई काटे शीश।
विजयी भव का क्यों नहीं, दे देते आशीष।।3।।

समय वार्ता का नहीं, होने दें यलगार।
बिना मार करता नहीं, गलती वह स्वीकार।।4।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Added by Hariom Shrivastava on May 2, 2017 at 4:30pm — 6 Comments

कुण्डलिया छंद -- (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर विशेष)

1-

उत्पादन को चाहिए, पाँच प्रमुख जो तत्व।

उनमें श्रम का मानिए, सबसे अधिक महत्व।।

सबसे अधिक महत्व, भूमि श्रम साहस पूँजी।

और संगठन खास, बात मैं खरी कहूँ जी।।

श्रमिक दिवस पर आज, करें उनका अभिनंदन।

करता देश विकास, तभी जब हो उत्पादन।।

2-

रोटी की खातिर खटे, श्रम साधक मजदूर।

सुख सुविधाओं से परे, रहता जो मजबूर।।

रहता जो मजबूर, और भूखा सो जाता।

उसके श्रम का मोल,नहीं उसको मिल पाता।।

श्रम के भी कानून, मगर नीयत है खोटी।

इस कारण भरपेट, न उसको… Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 1, 2017 at 1:28pm — 8 Comments

कुण्डलिया छंद

1-

पीने में आनंद है, मिथ्या है संसार।

पीने से बढ़ता सदा, आपस में है प्यार।।

आपस में है प्यार,भेद सारे मिट जाते।

टकराते जब जाम,स्वर्ग का सुख तब पाते।।

मदिरा के बिन यार,मजा क्या है जीने में।

जीवन है दिन चार, हर्ज फिर क्या पीने में।।

2-

किसने पाई आजतक, मद्यपान से शांति।

पीने वाला पालता, मन में फिर क्यों भ्रांति।।

मन में फिर क्यों भ्रांति'शांति देगी ये हाला।

खोकर अपना होश,बने फिर क्यों मतवाला।।

हुआ नशे से मुक्त, विचारा मन में जिसने।…

Continue

Added by Hariom Shrivastava on April 18, 2017 at 6:00pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
52 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
55 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service