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कुण्डलिया छंद-(विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में)

1-
हरियाली  कम  हो  गई, हुई  प्रदूषित  वायु।
शनै-शनै कम हो रही,अब मनुष्य की आयु।।
अब मनुष्य की आयु, धरा पर  संकट भारी।
पर्यावरण   सुधार, विश्व  में  हैं  अब  जारी।।
दिवस मनाकर एक,मुक्ति क्या मिलने वाली।
इसका सिर्फ निदान, बढ़े फिर से हरियाली।।
2-
जीवन  को  संकट  हुआ, करते  सभी  प्रलाप।
पर्यावरण  बिगड़  गया, बढ़ा  धरा  का  ताप।।
बढ़ा   धरा  का   ताप, गर्क  होता  अब  बेड़ा।
पहले  बिना  विचार, प्रकृति को  हमने  छेड़ा।।
अब भी एक उपाय, करें हम विकसित वन को।
इस   धरती   पर   पेड़, बचा  लेंगें  जीवन  को।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

**हरिओम श्रीवास्तव**

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Comment by Samar kabeer on June 7, 2019 at 2:43pm

जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,पर्यावरण दिवस पर अच्छे छन्द लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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