कभी जब तुम नही रहते ,
तुम्हारा कोई "अहसास" रहता है
कि जैसे बंद कमरे मे
कोई आहट गुजरती हो
कि जैसे हवा के साथ कोई
ख़ुशनुमा ठंडा झोंका
मेरे कमरे में आता , जाता
पर
ठहरता नहीं है
कि जैसे किसी बंद क़िताब के पन्ने
कोई सदा देते हों
कि जैसे पुराने खतों की खुश्बू
गुदगुदाती हो
कोई पुरानी तस्वीर
जैसे बोलने को बे-करार हो
कि जैसे वक़्त का टुकड़ा कोई ,
गुज़र कर भी नहीं गुज़रता है
कभी जब तुम नहीं रहते ,…
Added by ajay sharma on November 16, 2013 at 11:00pm — 12 Comments
जो रख हाथ तू माथे पे मेरे
मैं रोना भूल जाऊँगा
जो दे दे हाथ तू हाथों में मेरे
मैं उठ कर खिल खिलाऊँगा
ना जाने दे मुझे उस पर तक
ना फिर मैं लौट पाऊँगा
ये क्या ज़िद है मेरी बच्चों के तरह
कि मैं फिर से लड़खड़ाऊँगा
तू झिड़क दे हाथ मेरा
मैं फिर अंगुली बढ़ाऊँगा
मैं बैठा याद करने अंगुलियों पर
मैं किसको भूल जाऊँगा
रही है मेरी हमसफ़र मेरी ये ज़िंदगी
मैं कैसे भूल जाऊँगा
अप्रकाशित अमुद्रित
अजय कुमार…
Added by ajay sharma on November 13, 2013 at 9:30pm — 12 Comments
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