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Rajesh kumari's Blog – November 2012 Archive (7)

शक्ति धन (कुण्डलिया छंद)

धन से पत्थर पूजते ,मन में लेकर पाप 

ये आडम्बर देखकर ,निर्धन देगा श्राप 

निर्धन देगा श्राप ,उलट फल देगी पूजा 

दीन  धर्म से श्रेष्ठ , कर्म  ना कोई दूजा 

मन में रख सद्भाव ,करो सभी भक्ति मन से 

निर्धन  का हर  घाव , भरो  उसी शक्ति धन से 

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Added by rajesh kumari on November 27, 2012 at 9:22am — 6 Comments

तरसते अम्बर धरती (कुण्डलिया छंद )

धरती अम्बर से कहे ,सुना प्रेम के गीत 

अम्बर धरती से कहे, दिवस गए वो बीत 

दिवस गए वो बीत ,मुझे कुछ दे न दिखाई 

 कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई 

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

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Added by rajesh kumari on November 23, 2012 at 12:30pm — 17 Comments

जहर उसने ज्यों प्याले से पिलाया दोस्तों

चुन चुन के  ख्वाब मेरे जलाया दोस्तों 

खूँ में उसने आज ये  क्या मिलाया दोस्तों 

रब से मिलती रही औ  घूँट भरती  रही 

 जहर उसने ज्यों  प्याले से  पिलाया दोस्तों 

चाहत घर की रही और मकाँ  मिल गया 

कैसा किस्मत ने   देखो  गुल खिलाया दोस्तों 

 जिस्म अपना रहा औ रूह उसकी मिली 

सब कुछ उसकी लगन में  है  भुलाया दोस्तों 

 पीर जमती रही  औ  पर्वत बनता रहा 

आंसुओं की तपन  ने ना पिघलाया दोस्तों 

खुद ही रख दूँ  मैं    लकड़ी   चिता…

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Added by rajesh kumari on November 22, 2012 at 1:37pm — 16 Comments

चौंच में लेकर तिनका ( कुण्डलिया )

लेकर तिनका चौंच में ,चिड़िया तू कित जाय

नीड महल का छोड़ के , घर किस देश बसाय

घर किस देश बसाय ,सभी सुख साधन छोड़े

ऊँची चढ़ती बेल , धरा पे वापस मोड़े

देख बिगड़ते बाल, माथ मेरा है ठनका

जाती अपने गाँव , चौंच में लेकर तिनका

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(अपने एक ख़याल के ऊपर बनाई यह कुंडली )

चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान में कितनी शानो शौकत से रहती हो तो वो बोली वहां मेरे बच्चे बिगड़ रहे…

Continue

Added by rajesh kumari on November 17, 2012 at 11:00am — 18 Comments

कुछ ख़याल

(1) घर की छत के दो बड़े स्तम्भ गिर चुके हैं देखो छोटे स्तंभों पर कब तक टिकती है छत !! 

(2)सबने कहा और तुमने मान लिया एक बार तो कुरेद कर देखते मेरी राख शायद मैं तुमसे कुछ कहती !!

(3)जिंदगी में बहुत दूर तक तैरने पर कोई नाव  मिली ,कुछ गर्म धूप  कुछ नर्म  छाँव  मिली !!

(4)अपनों के हस्ताक्षर के साथ जब कोई कविता आँगन से बाहर जायेगी ,तो जरूर नया कोई गुल खिलाएगी!!

(5)चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान में कितनी शानो…

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Added by rajesh kumari on November 16, 2012 at 11:14am — 15 Comments

ह्रदय से काला नेता (कुंडलिया )

नेता खुद करते फिरें, इधर उधर की ऐश

दीवाली पर ना मिले, तेल, कोयला,  गैस

तेल, कोयला,  गैस, चूल्हा जलेगा कैसे 

रंक भाड़ में जाय, भरलो  बैंक में पैसे 

वोट दियो पछताय, मनुज अब जाकर चेता 

उजले हैं परिधान, ह्रदय से काले नेता

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Added by rajesh kumari on November 7, 2012 at 8:30pm — 11 Comments

जिंदगी ने उसे छ्ला होगा

गैस होगी न कोयला होगा

चूल्हा ग़मजदा मिला होगा



पेट रोटी टटोलता हो जब

थाल में अश्रु झिलमिला होगा



भूख की कैंचियों से कटने पर

सिसकियों से उदर सिला होगा



चाँद होगा न चांदनी होगी

ख़्वाब में भी तिमिर मिला होगा



भोर होगी न रौशनी होगी

जिंदगी से बड़ा गिला होगा



लग रहा क्यूँ हुजूम अब सोचूँ

मौत का कोई काफिला होगा



बेबसी की बनी किसी कब्र पर

नफरतों का पुहुप खिला होगा



अब बता "राज"दोष है किस…

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Added by rajesh kumari on November 6, 2012 at 2:00pm — 20 Comments

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