ख्वाब हरगिज न पूरे हमारे हुये I
हम तो बाजी मुहब्बत की हारे हुये II
दोस्त हमको भुलावा ही देते रहे
वक्त जब आ पड़ा तो किनारे हुये I
माफ़ जबसे हमारी खता हर हुई
हमने समझा कि गर्दिश में तार हुये I
उनका नजरे चुराने का ढब देखिये
कैसे-कैसे गजब के इशारे हुये I
इश्क नजरो में जब से नुमायाँ हुआ
कितने दिलकश जहाँ के नज़ारे हुये I
हुस्न अपनी खनक में…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 20, 2014 at 6:00pm — 4 Comments
तेरी सूरत बहुत खूबसूरत सही
तेरी सूरत सी कोई भी सूरत नहीं
तेरी सूरत से जो रूबरू हो गया
उसके बचने की कोई सूरत नहीं I
तेरी सूरत के जलवे फिजाओं में है
तेरी सूरत की चर्चा हवाओं में है
तेरी सूरत में है जैसी मस्ती भरी
वैसी कोई अजंता की मूरत नहीं I
तेरी सूरत में गंगा की पाकीजगी
तेरी सूरत में आशिक की आवारगी
तेरी सूरत ही सूरत ख्यालों में है
तुझसे मिलने का कोई महूरत नहीं…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 5:00pm — 10 Comments
देखा असूल मैंने अजब सर जमीन पर
जो ठोकरें लगाते रहे उम्र भर मुझे
शैतानियत ने किस कदर चोला बदल लिया
वे ही जनाजे में मेरी कन्धा लगा रहे I
चप्पल न थी नसीब छाले पाँव में पड़े
मै जिन्दगी में यूँ ही दर्दमंद हो चला
अल्लाह तूने मौत दी तेरे बड़े करम
इक बार आठ पाँव की सवारी तो मिली I
मैंने हयात में न कभी हार थी मानी
हर वक्त …
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2014 at 6:00pm — 14 Comments
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