For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manan Kumar singh's Blog – September 2017 Archive (6)

गजल(कह रहे,...)

2122 2122 212

कह रहे,घर को सजाया जा रहा

लग रहा सच को दबाया जा रहा।1



खून का धब्बा पड़ा गहरा बहुत

अब पसीने से मिटाया जा रहा।2



हो गयी पहली रपट रद्दी वहाँ

जाँच दल फिर से लगाया जा रहा।3



आदमी अब आदमी से तंग है

'नाम' ले-लेकर डराया जा रहा।4



मुजरिमों की हो गयी बल्ले यहाँ

बेगुनाहों को फँसाया जा रहा।5



मर्सिया माकूल होता ,क्या कहूँ?

गीत परिणय का सुनाया जा रहा।6



घिर गयी काली घटा, कहते सभी-

अब सबेरा को… Continue

Added by Manan Kumar singh on September 24, 2017 at 11:00am — 10 Comments

गजल(आज तो हर शख्स इतना पूछता)

2122 2122 212

आज तो हर शख्स इतना पूछता

हो गया क्या कत्ल? दिखता उस्तुरा।1



चंद घड़ियों में खबर देती रुला

मौत का मंजर यही हासिल हुआ।2



'वह' खड़ा है जुर्म के इकरार में

लग रहा अब यह जरा-सा अटपटा।3



जानते हैं लोग लगता मर्म भी

भेद कितना चुप्पियों में है छिपा!4



न्याय का डंडा खुदाया मौन क्यूँ?

देखना है,सच कहाँ तक साधता।5



चोर बन बैठे सिपाही आजकल

हो गया कितना कठिन यह भाँपना?6



रोशनी का दान भी व्यापार… Continue

Added by Manan Kumar singh on September 17, 2017 at 8:00am — 12 Comments

हिंदी की हकीकत(लघु कथा)

हिंदी की हकीकत

*****

विभाग(संस्था) में राजभाषा के कार्यान्वयन की समीक्षा का कार्यक्रम चल रहा था। बुलाया तो सभी अधीनस्थ विभागों के आला अधिकारियों को गया था।पर कुछ विभागों से जरा उच्च पदस्थ अधिकारियों को छोड़ दिया जाय,तो शेष विभागों से कुछ कम वरीय अधिकारी ही उपस्थित हुए थे।किसी विभाग का कार्यकलाप पूर्व में रिपोर्ट किये गए स्तर से बेहतर था,तो किसीका ले देकर यथावत।यथोचित टिप्पणियाँ प्रेषित की जा रही थीं।राजभाषा में किये गए अच्छे कार्यों की सराहना के शब्द उच्चरित हो रहे थे।यथाक्रम एक विभाग… Continue

Added by Manan Kumar singh on September 14, 2017 at 7:56am — 7 Comments

गजल(तंज कसे...)

22 22 22 22

तंज कसे फिर हाथ हिलाये।

लगता खुद पर ही पछताये।1



हाथ मिलाना,ख़ंजर लेकर,

यह चीनी लहजा कहलाये।2



बेमतलब का घुसपैठी बन

अरुणाचल पर आँख गड़ाये।3



बासठ बासठ करता रहता

सतरह में वह पीठ दिखाये।4



भारत के अंदर वह अपने

देश बने सामां बिकवाये।5



'आतंकी सब ढ़ेर करेंगे',

कह लेता,फिर फिर सहलाये।6



पाँच दिशा के दोस्त बुलाकर(ब्रिक देश)

अपना ही बाजा बजवाये।7



भूल गया सब चाल-बिसातें

पाँच… Continue

Added by Manan Kumar singh on September 9, 2017 at 12:03pm — 10 Comments

गजल(मैंने दिल .)

22 22 22 22

मैंने दिल की बात कही है

उनको लगती खूब खरी है।1



मंदिर-मंदिर भटके हैं सब

बाबाओं की धूम मची है।2



दाढ़ी ने है नाच नचाया

जब-जब लक्ष्मी हाथ लगी है।3



कितने डेरे उजड़े अबतक

डेरों की सरकार चली है।4



भूखे-नंगे बढ़ते जाते

भक्तों की बारात सजी है।5



चुनकर जाते जो संसद में

लगता उनकी साँस टँगी है।6



निर्वाचक ऊँघते, परते हैं

जात-धरम की खाट पड़ी है।7



न्याय बड़ा डंडाधारी है

ले-देकर यह आस… Continue

Added by Manan Kumar singh on September 3, 2017 at 5:57pm — 8 Comments

गजल(ताप मसीहे...)

22 22 22 22
ताप मसीहे हरने आते
प्यार दिलों में भरने आते।1

फूल टपकते झोली-झोली
बेमौसम वे मरने आते।2

पाँव पखाड़ेंगे बाबा के
नेता जी बस धरने आते।3

पाँच बरस अहिवात बनें बस
नेता नर को वरने आते।4

सूखी प्यासी रहती धरती
बादल प्लावित करने आते।5

हार गये जो दाँव जुआरी
जन-मंडल में तरने आते।6

बिन पानी के जो बदरा,वे
बेमतलब के टरने आते।7
@मौलिक व अप्रकाशित

Added by Manan Kumar singh on September 1, 2017 at 10:00am — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
26 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service