Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 5, 2018 at 7:11pm — 3 Comments
प्यार का सारांश कोई छान कर लाये वहाँ से
पारदर्शी प्यार के सन्दर्भ दिखते हों जहां से
कृष्ण केवल राधिका का है दिवाना मान लूं तो
मोर का फिर पंख तेरी सेज पर आया कहाँ से
( 2122 2122 2122 2122 )
जो सहारों के सहारे हैं, सरसते वे नही
फाड़ देते जो धरा को हैं तरसते वे नही
चापलूसों की हकीकत है मुझे बेशक पता
जानता हूँ जो गरजते हैं, बरसते वे नही
…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 3, 2018 at 3:30pm — 7 Comments
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