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लेती है इम्तिहान ये उल्फ़त कभी. कभी ।
लगती है राहे इश्क़ में तुहमत कभी कभी ।।
आती है उसके दर से हिदायत कभी कभी ।
होती खुदा की हम पे है रहमत कभी कभी ।।
चहरे को देखना है तो नजरें बनाये रख ।
होती है बेनक़ाब सियासत कभी कभी ।।
यूँ ही नहीं हुआ है वो बेशर्म दोस्तों ।
बिकती है अच्छे दाम पे गैरत कभी कभी ।।
मुझ पर सितम से पहले ऐ क़ातिल तू सोच ले ।
देती सजा ए मौत है कुदरत कभी कभी…
Added by Naveen Mani Tripathi on August 14, 2019 at 6:42pm — 4 Comments
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