ईद का तोहफ़ा – लघुकथा –
"चलो ना बाबा, देर हो रही है। मेरा दोस्त इंतज़ार कर रहा होगा, उसके लिये तोहफ़ा भी लेना है"
रघु के छह साल के नाती ने जैसे ही रघु के सामने अपने दोस्त के घर ईद की बधाई देने जाने की ज़िद की तो उसके सामने पचास साल पहले की वह घटना चलचित्र की तरह घूम गयी।
रघु उस समय छटी कक्षा में था। असलम भी उसी के साथ पढ़ता था। उस दिन ईद के कारण स्कूल की छुट्टी थी। शाम को सब बच्चे खेल रहे थे कि तभी इंदर ने सुझाव दिया कि चलो असलम को ईद की बधाई देकर आते हैं। सब इकट्ठे होकर…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on June 28, 2017 at 11:15am — 14 Comments
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