For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Amod shrivastav (bindouri)'s Blog – May 2019 Archive (3)

आदमीं हूँ ख्वाहिशें होनी नहीं कम ऐ खुदा ...



2122-2122-2122-212

मतला:-

ख़ुश ही रहता हूँ शिकायत क्या करूँ क्या है अता।।

आदमी हूँ ख्वाहिशें होनी नहीं कम ऐ ख़ुदा।।

हुश्न-ए-मतला:-

तेरे ज़ानिब से मुझे जो भी मिला अच्छा लगा ।

मैं तो मुफ़लिस था मेरी हिम्मत कहाँ कुछ माँगता।।

मेरा दम घुटने लगा जब महफिलों की शान में ।

यार आया हूँ उठा कर दूर खुद का मकबरा।।

मेरी मैय्यत में गुलों की बारिशें अच्छी नहीं।

शाइरी के भेष में करने लगा था इल्तिज़ा।।

देख़ो उल्फ़त के…

Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on May 31, 2019 at 12:20pm — No Comments

मेरी ओर से भी दरवाजा लगता है,,,

बहर :- 22-22-22-22-22-2



तुम हो शातिर तुमको ऐसा लगता है ।।

मेरी ओर से भी दरवाजा लगता है।। 

मैं करता तुमसे कैसे दिल की बातें।

तुमको मेरा प्रेम ही' सौदा लगता है।।

वो मंदिर में गिरजाघर में मस्जिद में।

मुझमें तुझमें पहरा जिसका लगता है।।

वो पत्थर ख़ुद को समझे क़िस्मत वाला।

जिसको छैनी और हथौड़ा लगता है ।।

आन पड़े जब मुश्किल घड़ियां जीवन में।

एक रु'पइया एक हजारा लगता है ।।

हिन्दू मुस्लिम भाई…

Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on May 24, 2019 at 5:46pm — No Comments

कुछ और नहीं बस सताया गया मुझे.....

1211-22-1221-212


दरोज बुझाया जलाया गया मुझे।।
कुछ और नहीं बस सताया गया मुझे।।

यूँ पहली नजर की मुहब्बत ही नेक थी ।
गलत है क़े रस्ता दिखाया गया मुझे।।

मुँड़ेर से महताब जैसा दिखाई दूँ।
वही एक रोगन चढ़ाया गया मुझे।।

मुझे भी यही दौर आसान कह रहा ।
वो दौर बता जो बताया गया मुझे।।

गुलाब सी खुश्बू बिखेरुं कभी कहीं।
कलम से कलम कर लगाया गया मुझे।।

आमोद बिन्दौरी /मौलिक अप्रकाशित

Added by amod shrivastav (bindouri) on May 24, 2019 at 1:28pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service