बूढ़े ने आँखें बंद किये-किये ही करवट ली I उसका ध्यान किचन से आती आवाज की ओर चला गया I
‘कैसा बना है ?’– बहू ने पूछा I
‘बहुत बढ़िया‘- बेटे ने कहा –‘थोड़ा चटनी और डालो I हाँ बस--बस I’
‘अच्छा लगा---? नमक ठीक पड़ा है न ?’
‘हाँ, बहुत मजेदार है I थोडा और कुरकुरा करो I’
‘जल जायेंगे ---‘
‘जलेंगे नहीं, बस थोड़ा लाल हो जाय I ‘- लडके ने उकसाया I फिर जैसे उसे कुछ याद आया –‘पापा कहाँ हैं ?’
बूढ़े की आँखों में चमक आयी I कम से कम बेटे को तो उसकी फ़िक्र है I उसके…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 18, 2019 at 2:30pm — 7 Comments
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