2122 1212 22
कोई समझाए माजरा क्या है
तीरगी क्या है यूँ कि रा क्या है
मिटना हर शय का तो मुअय्यन है
ज़िंदगानी में निर्झरा क्या है
इक समंदर के जैसे लगती हैं
नम सी आँखों में दिल भरा क्या है
टूट कर ख़्वाब गिरते रहते हैं
आँख में आईना सरा क्या है
देख कर उनको आरज़ू करना
दिल की हसरत का दिलबरा क्या है
इश्क़ में रूह गर जो महके, तो
मुश्क़ फ़िर क्या है मोगरा क्या…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 22, 2021 at 5:30pm — 4 Comments
2122 1212 22
देख कर मुस्कुराना शर्माना
इश्क़ समझे न कोई दीवाना
है कयामत हर इक अदा इनकी
जुल्फ़ें बिखराना हो या झटकाना
सिर्फ़ आता है इन हसीनों को
दिल चुराना चुरा के ले जाना
क्यों किसी का यूँ दिल जलाते हो
क्यों बनाते हो यूँ ही दीवाना
कितना मुश्किल है चाहतों में सनम
पास रहकर भी दूर हो जाना
बेक़रारी में आहें भरता है
जी न पाता है कोई दीवाना
साल हा साल लम्हा…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 16, 2021 at 9:00pm — 11 Comments
2122 1212 22
बे सबब हाव-हू सी रहती है
दाँव पर आबरू सी रहती है
इश्क़ जब भी किसी से होता है
इक अजब जुस्तजू सी रहती है
लम्हा दर लम्हा दिल मचलता है
हर पहर आरज़ू सी रहती है
यूँ लगे की हर एक चहरे पर
सूरत इक हू-ब-हू सी रहती है
मन भटकता है वन हिरन बनकर
खुशबु इक रू-ब-रू सी रहती है
ख़ुद से ही अब वो बात करता है
दिल में इक गुफ़्तगू सी रहती है
जलके सब ख़ाक हो…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 11, 2021 at 1:00pm — 7 Comments
अरकान- 2122 1212 22
सिर्फ़ इतना हुनर जो पा जाते
काश हम भी किसी के हो पाते
क्यों तुम्हें इतनी जल्दी रहती है
मेरी सुनते कुछ अपनी फ़रमाते
हर किसी से अदब से मिलते हो
अच्छा होता जो थोड़ा इतराते
चारा गर ही हमारा रूठा है
हम किसे ज़ख़्म अपने दिखलाते
फ़िर कहाँ कोई दिल में यूँ चुभता
गर जो रिश्ता सभी से तोड़ आते
चाहतों में भी यूँ तो दीवाने
जी ही पाते हैं की न मर…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 7, 2021 at 1:30pm — 4 Comments
2211 2122 1221 1222 12
चाहत में सिवा ही चाहत के क्या क्या न सनम हमको मिला
हर जख्म मिला है दिल को यूँ मरहम न सनम हमको मिला
किस को है पता यहाँ कौन कब हो जाये यूँ ही बे-वफ़ा
हम जान लुटा आये अपनी फिर भी न सनम हमको मिला
ता उम्र लगा रहा इश्क में भी यूँ तो मिलना बिछड़ना
मिलके न जुदा हो पर कोई ऐसा न सनम हमको मिला
थोड़ा तो क़रार आये या रब इस दिल ए बेजार को
थोड़ा भी सुकूँ गो चाहत में आखिर न सनम हमको…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 5, 2021 at 10:00pm — 2 Comments
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जब तन्हाई में यादों की बरसात ठहर सी जाती है
इक हूक सी उठती है दिल में ह'यात ठहर सी जाती है
चुपके चुपके आँखों ही आँखों में इश्क़ जवाँ होता है
गर जुम्बिश ना हो आँखों में शुरुआत ठहर सी जाती है
हर पल मिलने की चाहत में पल पल बेताबी रहती है
दिन ढलते ढलते ढल जाता है रात ठहर सी जाती है
होठों पर बात न आ जाये दिल बेचैनी में रहता है
होठों पर आते ही दिल की हर बात ठहर सी जाती है
रह रह कर आहें…
Added by Aazi Tamaam on March 2, 2021 at 9:30pm — No Comments
1212 222 212
चढ़ान में भी कोई क्यों रहे
ढलान में भी कोई क्यों रहे
सियासती हो रंग ए आसमाँ
उड़ान में भी कोई क्यों रहे
दुकान-ए-दिल ही जब हो लुट चुकी
अमान…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 1, 2021 at 10:30am — No Comments
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