For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s Blog – February 2019 Archive (11)

ये दुआ है कि ख़ुशी आपके घर में आये (३२)

(२१२२ ११२२ ११२२ २२/११२ )

.

ये दुआ है कि ख़ुशी आपके घर में आये

हादिसा पेश न जीवन के सफ़र में आये

**

अश्क आँखों में अगर हों तो ख़ुशी के हों बस  

और सैलाब न अब दीदा-ए-तर में आये 

**

प्यार की राह को आसाँ न समझना कोई

हौसला हो वही इस राह-गुज़र में आये

**

कोशिशें लाख  करे तो भी नहीं है मुमकिन 

ताब-ए-ख़ुर्शीद तो हरगिज़ न क़मर में आये 

**

ग़ैर के ऐब को आसाँ है नज़र में रखना

ऐब ख़ुद का न किसी की भी नज़र में आये

**

अपने…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 24, 2019 at 7:00pm — 4 Comments

कभी सदा-ए-दिल-ए-यार जो सुनी होती (३१)



कभी सदा-ए-दिल-ए-यार जो सुनी होती 

तो दास्ताँ न मेरी दर्द से भरी होती 

**

रक़ीब पर न कभी रहम गर किया होता 

मेरी ये ज़िंदगी सहरा न फिर बनी होती 

**

तुम्हारी ज़िंदगी में ग़म कभी न आते गर 

रिदा-ए-आरज़ू थोड़ी सिकुड़ गई होती 

**

गुहर हयात में तुमको नसीब हो जाते 

ज़रा सी वक़्त से तैराकी सीख ली होती …

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 11:00am — 7 Comments

जल रही दिलों में आग हम बुझाएँ किसलिए (३० )



जल रही दिलों में आग हम बुझाएँ किसलिए 

और सब्र बार बार आजमाएँ किसलिए 

**

तोड़ता सुकून-ओ-चैन की हदें अगर कोई 

लोग हिन्द देश के सितम उठाएँ किसलिए 

**

क़त्ल जो करे यक़ीन का हबीब भी अगर 

फिर यक़ीँ उसी पे आज हम दिखाएँ किसलिए 

**

बार बार हो चुके ग़लत वतन के फ़ैसले 

फिर अदू की चाल में हम आज आएँ…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 1:30am — 8 Comments

जिस मुल्क में ग़रीब के लब पर हँसी नहीं (२९ )

जिस मुल्क में ग़रीब के लब पर हँसी नहीं 

तो मान कर चलें कि तरक़्क़ी हुई नहीं 

**

जुम्लों के दम पे जीत की आशा न कीजिये 

चलती है बार बार ये बाज़ीगरी नहीं 

**

तहज़ीब क़त्ल-ओ-ख़ून की परवान चढ़ रही 

लगता है आदमी रहा अब आदमी नहीं 

**

उम्मीद रहगुज़र कोई मिलने की मत करें 

मंज़िल के वास्ते है अगर तिश्नगी नहीं 

**

चाहें…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 16, 2019 at 4:30pm — 5 Comments

जब तिरंगे में लिपट गांव वो आया होगा (२८ )

शहीदों को ख़िराजे अक़ीदत 

------------------------------

वो  तिरंगे में लिपट गांव जब आया होगा |

तो हर इक शख़्स ने चुल्हा न जलाया होगा |

******

क्या न गुज़रेगी किसी दिल पे बयाँ हो कैसे 

आख़री फूल तिरे सर पे चढ़ाया होगा |

******

जब गए दोस्त उसे आज सलामी देने 

याद गुज़रा उसे  बचपन भी फिर  आया होगा |…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 15, 2019 at 1:00pm — 5 Comments

जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं (२७ )

(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )

जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं 

दिल में हमारे इश्क़ की अब आरजू नहीं 

**

रुसवा किये बिना किसी को हों जुदा जुदा 

गलती से प्यार को करें बे-आबरू नहीं 

**

रिश्तों की सीवनों पे ज़रा ग़ौर कीजिये 

उधड़ीं जो एक बार तो होतीं रफ़ू नहीं 

**

उस मुल्क की अवाम के बढ़ने हैं रंज-ओ-ग़म 

जिस मुल्क में मुहब्बतों की आबजू…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 14, 2019 at 2:00am — 5 Comments

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ (२५ )

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ 

क्यों परेशां हैं चमन में तितलियाँ 

***

साल सत्तर से भले आज़ाद हैं 

आज भी सजती बदन की मंडियाँ

***

अब घरों में भी कहाँ महफ़ूज़ हैं 

ख़ौफ़ के साये में रहती बेटियाँ 

***

ये बशर कैसी तेरी मर्दानगी 

मार देता क्यों है नन्ही बच्चियाँ 

***

कहते हैं हम बेटा-बेटी एक से 

फ़र्क़…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 13, 2019 at 12:30am — 4 Comments

ज़िंदगी ने कुछ सबक़ हमको सिखाकर दम लिया ( २४ )

ज़िंदगी ने कुछ सबक़ हमको सिखाकर दम लिया
ज़िंदगी जीने के लायक ही बनाकर दम लिया
***
साहिलों से जब मिले तूफ़ान का मुँह मोड़कर
साहिलों से फिर नये तूफाँ उठाकर दम…
Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 8, 2019 at 2:30pm — 7 Comments

रोशनी के सामने ये तीरगी क्या चीज़ है ( २३ )

रोशनी के सामने ये तीरगी क्या चीज़ है 

वक़्त की आंधी के आगे आदमी क्या चीज़ है 

***

जब थपेड़े ग़म के खाता है जहाँ में आदमी

तब उसे मालूम होता है ख़ुशी क्या चीज़ है 

***

एक बच्चे की कोई भी आरज़ू पूरी हो जब 

ग़ौर से फिर देखिये चेहरा हँसी क्या चीज़ है 

***

ग़ुरबतों से लड़ के जिसने ख़ुद बनाया हो मक़ाम 

बस वही तो जानता है…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 7, 2019 at 10:30am — 4 Comments

भले नीम जां मेरा जिस्म हो , अभी रूह इसमें सवार है (२२ )

भले नीम जां मेरा जिस्म हो  अभी रूह इसमें सवार है 

अभी जा क़ज़ा किसी और दर मेरी साँस में भी क़रार  है 

***

है जवाब देती लगे नज़र अभी है ख़याल की रोशनी 

रहे ज़ीस्त मेरी रवाँ दवाँ  ये तुम्हीं पे दार-ओ-मदार है 

***

जो पिलाई तूने थी चश्म से कभी मय जो बन के थी साक़िया

न उतर सका न उतार पर  चढ़ा अब तलक वो ख़ुमार है …

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 4, 2019 at 5:30pm — 7 Comments

हयात में तू मुहब्बत की आन रहने दे (२१)

(1212 1122 1212 22 )

हयात में तू मुहब्बत की आन रहने दे 

कतर न पंख ये दिल की उड़ान रहने दे 

***

न तोड़ सिलसिला तू इस तरह मुहब्बत का

वफ़ा का मुझको जरा सा गुमान रहने दे

****

न खोल राज़ सभी हो न मेरी रुसवाई 

कुछ एक राज़ सनम दरमियान रहने दे

***

मैं जानता हूँ हक़ीक़त में प्यार है मुझसे 

क़फ़स में क़ैद तेरे मेरी जान रहने दे…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 2, 2019 at 6:00pm — 2 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2020

2019

2018

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service