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नाथ सोनांचली's Blog – February 2018 Archive (4)

सामाजिक विद्रूपताओं पर एक गीत (वीर रस)

देख दुर्दशा यार वतन की, गीत रुदन के गाता हूँ

कलम चलाकर कागज पर मैं, अंगारे बरसाता हूँ

कवि मंचीय नहीं मैं यारों, नहीं सुरों का ज्ञाता हूँ

पर जब दिल में उमड़े पीड़ा, रोक न उसको पाता हूँ

काव्य व्यंजना मै ना जानूँ, गवई अपनी भाषा है

सदा सत्य ही बात लिखूँ मैं, इतनी ही अभिलाषा है

आजादी जो हमे मिली है, वह इक जिम्मेदारी है

कलम सहारे उसे निभाऊं, ऐसी सोच हमारी है

काल प्रबल की घोर गर्जना, लो फिर मैं ठुकराता हूँ

देख…

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Added by नाथ सोनांचली on February 11, 2018 at 6:18am — 9 Comments

ग़ज़ल (तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते)

अरकान-1212  1122  1212  22

तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते

तो दुश्मनों के भी चहरे नज़र नहीं आते

सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से

लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते

भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा

सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते

बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के

भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते

हमेशा पीछे भी क्या देखना जमाने में

समय जो बीत गए लौट कर नहीं…

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Added by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 6:51pm — 8 Comments

एक गीत पिता के नाम

कभी पेट पर लेकर अपने, हमें सुलाते पापा जी

कभी बिठा काँधे पर हमको, खूब घुमाते पापा जी

छाया देते घने पेड़ सी, लड़ते वो तूफानों से

हो निष्कंटक राह हमारी, उनके ही बलिदानों से

विपरीत रहें हालात मगर, कभी नहीं घबराते हैं

ओढ़ हौसलों की चादर को, हँसते और हसाते हैं

हँसकर तूफानों से लड़ना, हमें सिखाते पापा जी

कभी बिठा काँधे पर हमको, खूब घुमाते पापा जी

बोझ लिए सारे घर का वो, दिन भर दौड़ लगाते हैं

हम सबके सपनो की…

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Added by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 6:16pm — 14 Comments

विरह गीत

साजन मेरे मुझे बताओ, कैसे दीप जलाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

इंतिजार में तेरे साजन, लगा एक युग बीता

हाल हमारा वैसा समझो, जैसे विरहन सीता

सूनी सेज चिढ़ाए मुझको, अखियन अश्रु बहाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

वे सुवासित मिलन की घड़ियाँ, लगता साजन भूले

बौर धरे हैं अमवा महुआ, सरसो भी सब फूले

सौतन सी कोयलिया कूके, किसको यह बतलाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज…

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Added by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 11:30am — 20 Comments

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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
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