For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Neeraj Dwivedi
  • Male
  • Gurgaon, Haryana
  • India
Share on Facebook MySpace

Neeraj Dwivedi's Friends

  • बृजेश नीरज
  • Neelkamal Vaishnaw
  • सूबे सिंह सुजान
  • राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
  • deepti sharma
  • Rekha Joshi
  • Dr.Prachi Singh
  • दिव्या
  • Sarita Sinha
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
  • minu jha
  • pardeep yadav
  • राज़ नवादवी
  • Rajiv Gupta

Life is Just a Life

Loading… Loading feed

 

Neeraj Dwivedi's Page

ये तो बस कुछ पल होते हैं,

जब इतना वैचैन होते हैं,

और वो साथ नही ये जान,

हम तो बस मौन होते हैं।


होंठ विवश समझ,

चल पडती है लेखनी इन पन्नों पर,

कोशिश खुशी बाँटने की,

पर पन्ने बस दर्द बयाँ करते हैं


Website: Life is Just a Life

Neeraj Dwivedi's Blog

भारत और रेल का जनरल डब्बा

भारत और रेल का जनरल डब्बा

 

भरी ठसी बोगी में अक्सर मेरा देश चला करता है,

जनरल के डब्बे में जीकर बचपन रोज पला करता है।

 

हो चाहे व्यवसाय दुग्ध का,

रोज रोज का ऑफिस…

Continue

Posted on January 3, 2014 at 11:00pm — 8 Comments

काँटों का जीवन: शोषित और उपेक्षित

काँटे, काँटे  क्यों  बनते  हैं,

बन  सकते हैं  जब वो फूल,

एक डाल पर एक रस पीकर,

कैसे  बन   जाते  हैं  शूल?…

Continue

Posted on May 4, 2012 at 8:30am — 7 Comments

मानव स्वयं सम्पूर्ण रहा है

दो चार दिनों का जीवन मेरा,

क्या पाया है  मैंने  अब तक,

मुझसे  कोई   क्या  सीखेगा,

कितनी दुनिया देखी अब तक।…

Continue

Posted on May 1, 2012 at 10:03pm — 5 Comments

उद्वेलित मानस

अरुणिम सूरज जिस दिन  मुझसे शर्त लगा झुक जाएगा,

जिस दिन सपनों के कानों में कोई सर्द आह भर जाएगा,

उस दिन भारत को  भेंट करेंगे  कफन एक सो जाने को,

जिस दिन बहता शोणित अपना  क्षार क्षार  हो जाएगा।।

 

तब तक चुप  कैसे हम हों  जब तक  छाती में गर्मी है,

जब  तक  स्वप्न  बाँध  पैरों में  भावों में  सरगर्मी है,

तब  तक  बेकल  इंतजार  करता…

Continue

Posted on April 28, 2012 at 8:30am — 6 Comments

Profile Information

Gender
Male
City State
गुडगाँव, हरियाणा
Native Place
कन्नौज, उत्तरप्रदेश
Profession
Software Engineer

Neeraj Dwivedi's Photos

  • Add Photos
  • View All

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:02am on March 20, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

mitra banane ke liye dhanyvaad. snehi niraj dwedi ji.

At 8:23am on March 1, 2012, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
yesterday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service