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आपलोग आश्चर्यचकित होंगे की मैंने अपनी परिचर्चा में बजाये ये पूछने के कि भाजपा अगले आम चुनावों में जीत पायेगी या नहीं, ये पूछा है की भाजपा अपनी वर्त्तमान सीटें बचा पायेगी या नहीं, तो सम्मानित सदस्यों…Continue
Tags: राजनीति
Started this discussion. Last reply by कुमार गौरव अजीतेन्दु May 19, 2012.
भींगते तकियों से आँसू पी रही हैं दूरियाँ
मस्त हो नजदीकियों में जी रही हैं दूरियाँ
अनदिखी कितनी लकीरें खींच आँगन में खड़ीं
अनसुनेपन को बना बिस्तर दलानों में पड़ीं
बैठ फटती तल्खियों को सी रही हैं दूरियाँ
तोड़ देतीं फूल गर खिलता कभी एहसास का
कर रहीं रिश्तों के घर को महल जैसे ताश का
इन गुनाहों की सदा दोषी रही हैं दूरियाँ
प्यार में जब घुन लगा तो खोखलापन आ गया
भूतबँगले सा वहाँ भी खालीपन ही छा गया
ऐसे ही माहौल में…
Posted on November 28, 2013 at 6:30pm — 11 Comments
चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है।
बेखबर इस रात में सारा जहाँ मदहोश है।
वक्त आगे भागता, जम से गये मेरे कदम,
हाँ, सहारा दे रहा तन्हाई का आगोश है।
हँस रहा चेह्रा मेरा तुम तो बस इतना जानते,
क्योंकि गम दिल संग सीने में ही परदापोश है।
माँगता मैं रह गया, दे दो बहारों कुछ मुझे,
अनसुना कर बढ़ गईं, इसका बड़ा आक्रोश है।
अब कहाँ रौनक बची "गौरव" उमंगों की यहाँ,
घट रहा साँसों सहित धड़कन का पल-पल जोश…
Posted on November 10, 2013 at 9:30am — 28 Comments
ख्वाब के मोती हकीकत में पिरोने के लिए।
लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए।
झोंपड़े में सो रहा मजदूर कितने चैन से,
है नहीं कुछ पास उसके क्योंकि खोने के लिए।
आसमां की वो खुली, लंबी उड़ानें छोड़कर,
क्यों तरसते हैं परिंदे कैद होने के लिए।
जिंदगी भर खून औरों का बहाते जो रहे,
जा रहे हैं तान सीना पाप धोने के लिए।
जगमगाते हैं दिखावे से शहर के सब मकान,
सादगी तो रह गई है मात्र कोने के लिए।
पुष्प सारे चल…
ContinuePosted on November 2, 2013 at 12:25pm — 28 Comments
जीवन में मत जमीर को पलभर सुलाइए।
सोने लगे तो फेंक के पानी जगाइए।
बेगैरतों के शह्र में रहते जो शौक से,
अपने घरों की लाज को उनसे बचाइए।
अनमोल रत्न शील ही होता जहान में,
यूँ कौड़ियों के मोल इसे मत लुटाइए।
जिसने दिये हों सात वचन सात जन्मों के,
केवल उसी के सामने घूँघट उठाइए।
बीमारियाँ चरित्र की लगती हैं छूत से,
पीड़ितजनों के पास जियादा न जाइए।
बस दागदार करते जो घर की दीवारों को,
वैसे चिराग हाथ से…
Posted on August 3, 2013 at 7:17pm — 16 Comments
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Comment Wall (13 comments)
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आदरणीय अजितेंदु जी,
बहुत बहुत आभार आपका, स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
गौरव जी , नमस्कार
मेरी ओर से आपको सपरिवार नववर्ष की बहुत बधाईयाँ और मंगलकामनाएं तथा प्रतियोगिता में विजयी होने के लिए भी आपको बधाई
अनुज कुमार गौरव जी, आपके व आपके समस्त परिवार के लिए लिए भी यह नव वर्ष २०१३ अत्यंत मंगलकारी हो |
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
नये साल में और बेहतर उपलब्धियाँ हासिल हों... .
स्नेही, गौरव जी, हार्दिक बधाई
माह के सक्रीय सदश्य चुने जाने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे कुमार गौरव अजितेंदु जी | मेरा गत माह का निजी अनुभव बताता है कि ओ बी ओ द्वारा प्राप्त पुरस्कार से उत्साहित होकर आपकी सक्रियता और उत्तरदायित्व के प्रति उत्साह और बढेगा जिससे आपकी लेखनी और निखरेगी | मेरी हार्दिक शुभ कामनाए
आदरणीय श्री कुमार गौरव अजीतेंदु जी आपको ओ बी ओ का माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं !!
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय कुमार गौरव अजीतेंदु जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम(जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका प्यार इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय कुमार गौरव अजीतेंदु जी
जन्म दिन की शुभ कामनाओं के लिए आपका हार्दिक आभार मित्रवर !
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