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Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह
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वंदे~मातरम :::
2 Replies

वंदे~मातरम :::ये सिर्फ दो शब्द मात्र नहीं हैं जिन्हें जैसे चाहा मुँह खोल कर उगल दिया.....…Continue

Started this discussion. Last reply by Rash Bihari Ravi Dec 23, 2010.

बचपन की संवेदना ::: ©
4 Replies

बचपन की संवेदना ::: ©मेरे मित्र अशोक जी ने अपनी वॉल पर संवेदना को साझा किया.......जिसके अनुसार उन्होंने लिखा "**** आज सवेरे घर से बाहर निकला तो एक जगह देखा कि कुतिया के छोटे-छोटे पिल्लै,कडकडाती ठण्ड…Continue

Started this discussion. Last reply by Bhasker Agrawal Nov 30, 2010.

मोरे सईंया भये कोतवाल.. अब डर काहे का..
19 Replies

मोरे सईंया भये कोतवाल.. अब डर काहे का..06 अगस्त 2010 के दिन मैं आगरा में था...अचानक एक शानदार वाकया सामने आ गया जिसमें कानून के दो रखवाले किसी तीसरे के साथ ट्रिपल सवारी का आनंद ले रहे थे...जिस…Continue

Tags: फोटोग्राफी, बाईक, रखवाले, व्यंग्य, पुलिस

Started this discussion. Last reply by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह Nov 8, 2010.

मेरी लेखनी,मेरे विचार..

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  प्यार में तुम.. Copyright © 2011Photography by :- Jogendra Singh   प्यार में तुम जीते रहो , प्यार में तुम मरते रहो , प्यार में धोखा देते रहो , प्यार में धोखा खाते रहो ,   प्यार कहाती इबादत है , हाँ…

 

प्यार में तुम.. Copyright ©

2011Photography by :- Jogendra Singh

 

प्यार में तुम जीते रहो ,

प्यार में तुम मरते रहो ,

प्यार में धोखा देते रहो ,

प्यार में धोखा खाते रहो ,

 

प्यार कहाती इबादत है ,

हाँ इस इबादत पर तुम ,

किसी की बली लेते रहो ,

प्यार पर बली…

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Posted on January 19, 2011 at 12:03am

फिर एक किनारा......? Copyright ©

 

फिर एक किनारा......? Copyright ©



फिर एक किनारा......?

इस ओर से उस ओर को जाने वाला एक खिवैया..

दो किनारों के बीच आवाजाही ही तो है जो समझ नहीं आती है..

रेत पर मेरे स्वागत को तत्पर..

बलुआ मिटटी और सीपियों से बनी तुम्हारी रंगोली..

मेरे आने से पहले ही बड़ी लहर उसे निगल…

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Posted on January 12, 2011 at 11:32pm — 2 Comments

फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©

 

फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©



फिर भी आँख है सूनी..

उस राह को तकते हुए..

जो जाती है सीधे तेरे दर पे..

तुमने कहा मैं भूल गया आना..

कहा तुमने मैं भूल गया तुमको..

सुना मैंने भी कुछ ऐसा ही था कि मैं..

पर तुम क्या जानो क्या बीती है मुझ पर..

सारा जमाना क्या , हम…

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Posted on January 10, 2011 at 11:00am

दायरे.. ©

 

दायरे.. ©



कुछ सवाल कुछ ज़वाबों के घेरे में , उलझा जीवनपथ..

सीमित दायरे , दरकता है जीवन उनमें पल-प्रतिपल..



दहकते दावानल, स्वप्नों का होता दोहन उनमें निरंतर..

पल-प्रतिपल , भसम् उठा ख्वाबों की भेंट चढा रहे हम..

चरणों में अर्पित करने लगे , सीमित दायरों भरा जीवन..

चरण उस पथिक के ,…

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Posted on January 3, 2011 at 8:18pm — 1 Comment

बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©

 

बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©



शुरू में गज़ल सी , फिर भटकती लय है क्यूँ जिंदगी......

हर रंग भरा इसमें तुमने , सवाल सी है क्यूँ जिंदगी.......

ज़वाब दिए खुद तुम्हीं ने , फिर अधूरी है क्यूँ जिंदगी.....

माना है डगर कठिन , कदम बहकाती है क्यूँ जिंदगी.....

मंजिल का पता नहीं पर , राह भटकाती है क्यूँ जिंदगी.....



Photography & Creation by :- जोगेन्द्र सिंह…

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Posted on December 21, 2010 at 11:30pm — 6 Comments

कैसा है यह नाते पर नाता..? Copyright ©

 

कैसा है यह नाते पर नाता..? Copyright ©



निकल कर देखा.. अपनी माँ के उदर से उसने,

अनजानी.. कुछ मिचमिचाती अपनी आँखों से,

सारा जहान था दिख रहा अजनबी सा उसको,

लग रही माँ भी उसकी.. अजनबी सी उसको,

बना फिर इक नया.. माँ से पहचान का नाता,

फिर भी अकसर.. क्यूँ लगती माँ अजनबी सी,

गोद…

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Posted on December 20, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

Comment Wall (12 comments)

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At 3:27pm on July 30, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 1:05pm on July 29, 2011, Rash Bihari Ravi said…

janamdin mubarak ho

At 12:06pm on September 2, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:38am on August 30, 2010, Deepak Sharma Kuluvi said…
JOGINDER JI

YAH HAMARI KHUSHKISMATI HAI

DEEPAK
At 11:38pm on August 28, 2010, sanjiv verma 'salil' said…
सबसे पहले तो जीने की ही बात की है भाई. जो जीता है वह मरता भी है इसलिए बाद में मरने की बात है. कैमरा तो महाकाल का नेत्र है जो जन्म-मृत्यु दोनों को समभाव से देखता है.
At 9:45pm on August 28, 2010, baban pandey said…
सहित्यतिक मंच पर आपका swagat hai ....aasha main aapke photo camra ka kamaal yaha bhi dekhega .....saadar
At 5:00pm on August 28, 2010, sanjiv verma 'salil' said…
कौन जिए कब कै मरे?
सच बतला दे कैमरे.
At 7:26am on August 28, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 10:32pm on August 27, 2010, ABHISHEK TIWARI said…
aapka bahut bahut dhanyawaad , mujhe apna mitra banane ke lye ,,,,,
At 3:10pm on August 27, 2010, Rash Bihari Ravi said…
aapka swagat hain obo pariwar me,
 
 
 

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Friday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आ. भाई सुशील जी, सादर आभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Friday

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