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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार पचासीवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

18 मई 2018 दिन शुक्रवार से 19 मई 2018 दिन शनिवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

शक्ति छंद और चौपई छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

चौपई छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 मई 2018 दिन शुक्रवार से 19 मई 2018 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय  सत्यनारायण जी

हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा के लिए

आदाब। पढ़ाई में ब्रेक के साथ क्षणिक झपकी (हेड डाउन) और योग के प्रयोग और महत्व पर व समानता और छात्र-स्वप्न-लोक पर बहुत बढ़िया चौपई छंद के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहिब।

आदरणीय शेख शहजादजी

हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा और विस्तार से प्रतिक्रिया के लिए

जनाब भाई अखिलेश साहिब, प्रदत्त चित्र पर सुंदर चौपई छन्द हुए हैं , मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

आदरणीय तस्दीकजी

हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा  के लिए

चित्र को अलग ही नजरिये से देखकर रचे गए चोपई छंद बहुत उत्तम बने हैं आद० अखिलेश जी बहुत बहुत बधाई लीजिये 

आदरणीया राजेशजी

हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा और विस्तार से प्रतिक्रिया के लिए

आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र को नया ही रूप और अर्थ दिया है। और चौपई छंद भी अपनी विधा के साथ उभर कर आया है। हृदयतल से बधाइयाँ लीजिए। 

सादर 

आदरणीय  सौरभ  भाईजी

हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा और विस्तार से प्रतिक्रिया के लिए। उत्साहवर्धन से लेखन कर्म सार्थक हो गया।

जय-जय !! 

शक्ति छंद

सही सोचते  पाठशाला  यहाँ ।

यहाँ से बड़ा झोलझाला कहाँ ।

पढ़ाना  जिसे है, नदारद हुआ ।

पढ़ा ना जमूरा , विशारद हुआ ।

सभी सो गये हैं भरी क्लास में ।

किताबें  पड़ी  हैं  भले  पास में ।

जहाँ  ज्ञान  का यूँ तमाशा बने ।

वहाँ क्यूँ न आशा निराशा बने ।

( मौलिक एवम अप्रकाशित )

आदाब। बहुत बढ़िया शक्ति छंद के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सतीश मापतपुरी साहिब। गेयता के लिए ज़रा बदलाव की आवश्यकता लगती है।

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