For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ चौसठवाँ योजन है।.   

 

छंद का नाम -  छंद मनहरण घनाक्षरी 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

22 फरवरी’ 25 दिन शनिवार से

23 फरवरी 25 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

मनहरण घनाक्षरी छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -

22 फरवरी’ 25 दिन शनिवार से 23 फरवरी 25 दिन रविवार तक रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 125

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है 

आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |

मनहरण घनाक्षरी छंद
++++++++++++++++++

कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग, मन में उल्लास है|
संगम के आस पास, देख भीड़ थे उदास, छोटी बड़ी नाव देख, जाग गई आस है||
जाना जो बीच धार है, खेवैया भी तैयार है, लहरों से जूझने का, आनंद उठाइए|
जहाँ भी चाहो घूमिए, नावों में होड़ देखिए, जी भर के डुबकियाँ, कहीं भी लगाइए||

सरस्वती लुप्त वहाँ, तीन का संगम जहाँ, गंगा और यमुना की, धार देख आइए|
नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो जाइए||
अभावों में जी लेते है, नागा मस्त रहते हैं, कहते हैं मन को ही, शिव में लगाइए|
राधे राधे बोलकर, कृष्ण नाम जोड़कर, भू में आवागमन से, छुटकारा पाइए||

++++++++++++++

मौलिक अप्रकाशित

  • आदरणीय अखिलेश जी 
    //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो जाइए//वाह..वाह..कुंभ घुमा दिया आपने...बहुत सुन्दर भावमय प्रवाहमय छंद रचना। हार्दिक बधाई आपको 

आदरणीया प्रतिभाजी, 

रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं आपकी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. गेयता की दृष्टि से द्वितीय दंडक प्रथम से अधिक अच्छा प्रवाह लिए हुआ है. सादर 

चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद

प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया,
उतरा मधुमास जो, प्रकृति सजी - धजी है ।
फूल खिले उपवन, वन बागीचे घाटी हैं,
ऋतुराज वसंत की,,महिमा वो सजी है।

पो बारह हुई अब, मजदूरों की घाटी में,
लौटी वो रौनक डल, झील और बोट है। ।
फर्राटे भरते नव, दम्पत्ति दौड़ाते डोंगी,
लोकतंत्र से आतंक, को वो लगी चोट है।

हँसती गाती धरती, खुश सारा काश्मीर है,
मिलन प्रिया से होता, वहाँ गूँजता भँवरा है।
नाव - डोगियों गुँथे जो, प्रेमी जोड़े बतियाते,
डाल - डाल कलरव है, माहौल सुधरा है।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में

धार जल की शांत है,या गर्म है विवाद से,सोच सारे छोड़ आओ,घूमते हैं नाव में
पुुण्य पाप से परे है,पर्व अपना खास है, बोलते कुछ लोग हैं,आँय बाँय ताव में
प्रश्न भी हैं उठ रहे,हैं व्यवस्था पर कई,पर नहीं कमी कहीं,जोश और चाव में
____
मौलिक व अप्रकाशित 

आदरणीया प्रतिभाजी, 

घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ|  हार्दिक बधाई|

प्रथम पंक्ति में जो प्रवाह है वो गेयता की दृष्टि  से  दूसरी तीसरी और चौथी में क्रमशः कम होती गयी है| 

आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और कार्य किये जाने की आवश्यकता है. कुम्भ आयोजन पर  चौपालों और विशेष रूप से राजनीतिक हलकों में हो रही चर्चा को भी आपने चिमटी से छूने का प्रयास किया है. सादर   

मनहरण घनाक्षरी

 

दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई, गंग  की  तरंग  पर, डोलती  उमंग है।

नाव-नाव  पर  बसे, गाँव  हैं  रंगीले  कई, और  गाँव-गाँव  दिखे, लिए  भिन्न रंग है।

कुम्भ के नहान स्नान को हैं आये लोग सभी, समझ न लेना होती, यहाँ कोई जंग है।

देख-देख  भरता है, विश्व यहाँ  आहें सारा, देख-देख  दृश्य भिन्न, दुनिया  ही दंग है।।

#

मौलिक/अप्रकाशित.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service