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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १३ (Now closed with 762 Reply)

परम आत्मीय स्वजन,
पिछले दिनों "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" तथा "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता में आप सभी ने जम कर लुत्फ़ उठाया है उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १३ और इस बार का तरही मिसरा जालंधर के प्रसिद्ध शायर जनाब सुदर्शन फाकिर साहब की गज़ल से हम सबकी कलम आज़माइश के लिए चुना गया है | तो आइये अपनी ख़ूबसूरत ग़ज़लों से मुशायरे को बुलंदियों तक पहुंचा दें |

चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें
फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन
१२२ १२२ १२२ १२२  
बहरे मुतकारिब मुसम्मन सालिम

कफिया: आ की मात्रा (बना, सजा, सिखा आदि)
रदीफ: दें

इस बह्र पर हम पहले भी तरही मुशायरा आयोजित कर चुके हैं अगर आप चाहें तो उसे यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं इससे बह्र को समझने में बहुत आसानी होगी| 

विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें | यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी की कक्षा में यहाँ पर क्लिक कर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें| 

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २९ जुलाई दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३१ जुलाई रविवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यों ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक १३ जो तीन दिनों तक चलेगा , जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में  प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं |  साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |


नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१३ के दौरान अपनी ग़ज़ल पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी ग़ज़ल एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर २९  जुलाई से पहले भी भेज सकते है, योग्य ग़ज़ल को आपके नाम से ही "OBO लाइव तरही मुशायरा" प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

फिलहाल Reply बॉक्स बंद रहेगा, मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह

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Replies to This Discussion

ब्रिज भूषण जी कोशिशें ही  कामयाब होती हैं

ये सबको बता दे .... बहुत खूब !!

ब्रिज भूषण जी प्रयास अच्छा है| जानकारी के लिए बता देता हूँ कि दिए गए मिसरे में रदीफ दिया गया था "दें" तो उसी का पालन अन्य शेरो में भी करना चाहिए| बस यही कमी है| बहुत बहुत शुभकामनाएं

 नफरतें मिटा फिर मुहब्बत फैला दें ,

 चलो फिर जहाँ को जन्नत बना दें |

 
 अगर तू कहे चाँद तारे ले आएं,
 कि फिर आज तेरी रातें सजा दें | 

 न जाने ये रात फिर कब हो हासिल ,
 सुलगती साँसों में जिस्मों को जला दें |

 ज़माना दे जिसकी मिसालें कुछ ऐसी ,
 चलो जिंदगी को मुहब्बत बना दें |

 लग जाएँ गले से इक दूजे के आओ ,
 रो लें जी भर के ये आँखें सुजा दें |

शिरकत करने के लिये बहुत-बहुत बधाइयाँ.

आपसे उम्मीद ग़लत नहीं है. प्रयासरत रहें भाई.

शुभेच्छा.

dhanyawad... Saurabh sir...

bahut bahut aabhar...Vandana ji...

 न जाने ये रात फिर कब हो हासिल'

सुलगती सासों में जिस्मों को जला दें , बेहतरीन शे"र  बधाई।

hausla afzai ke liye bahut bahut shukriya...Dr Sahab...

लग जाएँ गले से इक दूजे के आओ ,

रो लें जी भर के ये आँखें सुजा दें |
आय हाय , क्या बात है, युवा शायरों की भागीदारी वास्तव मे मन उत्साहित करता है, थोडा वजन पर ध्यान देने की जरुरत है भाई, बाकी चकाचक , बधाई स्वीकार करें |

protsahan ke liye bahut bahut shukriya... Ganesh bhaiya...sikhne ke liye prayasrat hoon....saath dijiyega...

//न जाने ये रात फिर कब हो हासिल ,

 सुलगती साँसों में जिस्मों को जला दें |

 ज़माना दे जिसकी मिसालें कुछ ऐसी ,
 चलो जिंदगी को मुहब्बत बना दें |//
बही वीरेंद्र जी ! बहुत अच्छा प्रयास है आपका ! कृपया बधाई स्वीकार करें !

shukriya ..Ambarish ji...

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