For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 54 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-55

विषय - "अपेक्षाएँ"

(मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और उसके आचरण और व्यवहार को प्रभावित करती हैं उसकी अनगिन अपेक्षाएँ, कुछ अपेक्षाएँ वो रखता है समाज से, और कुछ अपेक्षाएँ समाज को होती हैं हर मनुष्य से. वैयक्तिक, व्यक्तिगत, सामाजिक, राजनैतिक, आध्यात्मिक, कार्मिक आदि-आदि अपेक्षाओं के इस ताने-बाने से बुने जाल को चलिए टटोलते हैं और देते हैं उसे कुछ शब्द....)

आयोजन की अवधि- 8 मई 2015, दिन शुक्रवार से 9 मई  2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो.  
  •  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 8 मई 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 11305

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

दोहे – अपेक्षायें

मन-आँगन में पल्लवित , चुभती बन कर शूल

सदा   अपेक्षा   दु:ख  का , बनती  कारण  मूल  |

नेकी   कर   संसार    में , और  नदी  में   डाल

इसी  तरह  से  काट  ले ,  जीवन  के    जंजाल  |

कर्म  किये  जा  बावरे , फल की  इच्छा  त्याग

जो  तेरा   है   ही  नहीं  ,  उससे  क्यों  अनुराग  |

मँडराती    रहती  सदा ,  सम्मुख  कभी  परोक्ष

जहाँ   अपेक्षा  है   वहाँ  ,  सम्भव  कैसे   मोक्ष  |

त्याग   अपेक्षायें  अरुण , मन  को  कर ले शुद्ध

अपना  मध्यम - मार्ग  को ,  तुझे  मिलेंगे बुद्ध  |

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

आ० अरुण जी

बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे .सादर

आदरणीय अरुण भाईजी 

अपना  मध्यम - मार्ग  को ,  हो जाएगा बुद्ध  |

सभी दोहे ज्ञानवर्धक । निष्काम कर्म ही करना है , गीता का यही कहना है॥

हार्दिक बधाई आदरणीय 

इस सुन्दर दोहावली हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें।

पाँचों दोहे पाँच बल, पाँच देव, पँच-गव्य
वृत्ति मुद्रिका के लिए प्रस्तुत है पँच-द्रव्य ॥ 

इन अत्यंत समृद्ध शब्द-मणियों के हृदयतल से आभार आदरणीय अरुण भाईजी..
स्वास्थ्य लाभ कर शीघ्र मंचासीन हों, आदरणीय..

अशेष शुभकामनाएँ.

आदरणीय अरुण कुमार निगम सर 

विषय के अनुरूप बहुत सुन्दर दोहावली हुई है 

इस दोहे में तो आपने सब समेट के रख दिया -

मँडराती    रहती  सदा ,  सम्मुख  कभी  परोक्ष

जहाँ   अपेक्षा  है   वहाँ  ,  सम्भव  कैसे   मोक्ष  |

इस प्रस्तुति हेतु आभार.... हार्दिक बधाई निवेदित है 

आदरणीय अरुण कुमार निगम जी, बहुत ही सुन्दर, विषय अनुरूप दोहावली,
मँडराती रहती सदा , सम्मुख कभी परोक्ष
जहाँ अपेक्षा है वहाँ , सम्भव कैसे मोक्ष |
बहुत ही गहरा भाव है, शायद इसीलिये , वानप्रस्थ और अंततः संन्यास की परम्परा बलवती रही है.
बहुत बहुत बधाई, सादर।
*** अपेक्षा-- बेटी की ***
( द्वितीय प्रस्तुति )

गर्भ से बेटी की चीत्कार ।
सुनो माँ मेरी करुण पुकार ।।
मुझे दुनिया मेँ आने दो ।
गीत जीवन का गाने दो ।।
मुझे भी जीने का अरमान ।
मारने का न करो सामान ।।
मैँ अपनी सुंदर आँखेँ खोल ।
आपको दूँगी मीठे बोल ।।
सुनो पापा मेरी यह बात ।
मचलते हैँ मेरे जज़वात ,
थके-हारे घर आओगे ।
मुझे जब हँसती पाओगे ।।
देख कर मेरी मृदु मुस्कान ।
आपकी होगी दूर थकान ।।
माँ तुम्हेँ नहीँ सताऊँगी ।
काम मेँ हाथ बटाऊँगी ।।
सहारा इतना सा देना ।
मुझे भी शिक्षित कर देना ।।
आत्मरक्षा कर लूँगी मैँ ।
किसी से नहीँ झुकूँगी मैँ ।।
मुझे अपने सँग पाओगी ।
तुम फूली न समाओगी ।।
ध्यान तुम्हारा धरूँगी मैँ ।
सहारा सदा बनूँगी मैँ ।।
गर्भ से बेटी की चीत्कार ।
सुनो माँ मेरी करुण पुकार ।।

( मौलिक एवं अप्रकाशित )

वाह्ह अति सुंदर 

आ० ज्योत्सना

वाह वाह   अति सुन्दर

आदरणीया ज्योत्सनाजी 

बेटी कहती आने दो, माँ भी कहती आ जाओ। 

पुरुष वर्ग पर कहता है, इस गर्भ से तुम जाओ॥

मेरी हार्दिक बधाई 

 

सहारा इतना सा देना ।
मुझे भी शिक्षित कर देना ।..अति सुन्दर..

आ० ज्योत्सना..वाह !!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

नग़्मा (टूटते यक़ीन तार-तार देखते रहे)

रिश्ते सब बिखर गयेदोस्त उज़्र कर गये वक़्त की हवा में रुख़ों से नक़ाब उतर गये हम तो बस वफ़ाओं का…See More
12 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') added a discussion to the group पुस्तक समीक्षा
Thumbnail

पुस्तक समीक्षा: सुर्ख़ लाल रंग (कहानी संग्रह)

पुस्तक का नाम : सुर्ख़ लाल रंगविधा: कहानी सँग्रहलेखक: विनय कुमार प्रकाशक: अगोरा प्रकाशन मूल्य :…See More
yesterday
Dr. Ashok Goyal posted a blog post

ग़ज़ल :-

ग़ज़ल :-आँखों के नूर,दिल के सुकूँ ,महरबाँ से लोग ।मौला ही जाने आते हैं ये ,किस जहाँ से लोग ।मिट्टी…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 146

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !! ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियालिसवाँ आयोजन है.…See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Ashok Goyal's blog post ग़ज़ल :-
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
AMAN SINHA posted a blog post

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? क्यों है तू फंसा…See More
Saturday
Nisha updated their profile
Jun 2
Nisha shared Admin's discussion on Facebook
Jun 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jun 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
Jun 1
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
Jun 1

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service