For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एम.आई.ई.टी.-कुमाऊँ में आयोजित कवि सम्मलेन सह मुशायरे की विस्तृत रिपोर्ट

एम.आई.ई.टी-कुमाऊँ, हल्द्वानी  के परिसर में इंजीनियरिंग कॉलेज एवं ओपनबुक्सऑनलाइन के संयुक्त तत्वाधान में अखिल भारतीय कवि-सम्मलेन एवं मुशायरे का आयोजन हुआ. कार्यक्रम का शुभारम्भ वाग्देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप-प्रज्ज्वलन तथा माल्यार्पण-पुष्पार्पण से हुआ.

छात्राओं नें सामूहिक गान द्वारा माँ शारदा की

आराधना प्रस्तुत की. कवि-सम्मलेन

सह मुशायरे के मुख्य अतिथि आदरणीय श्री

बंसीधर भगत, विधायक, कालाढूंगी, पूर्वमंत्री उत्तराखंड सरकार रहे. विशिष्ट अतिथि के तौर पर भोला दत्त भट्ट जी, ब्लॉक प्रमुख हल्द्वानी, लाखन सिंह जी, कश्मीर सिंह जी व जसविन्दर सिंह 'जग्गा' जी 

रहे. एम.आई.ई.टी.ग्रुप के चेयर मैन इ० श्री विष्णु सरन जी, संस्थान के चेयरमैन इ० गौरव अग्रवाल जी, संस्थान के प्रबंध निदेशक डॉ० बहादुर सिंह बिष्ट जी ने सभी अतिथियों का एम.आई.ई.टी. प्रबंधन द्वारा स्मृति-

चिह्न तथा शाल से अभिनन्दन किया तथा कविसम्मलेन सह मुशायरे की सफलता हेतु शुभकामनाएं देते हुए सभी का प्रोत्साहन किया.


देश के विभिन्न स्थानों से आये 12 काव्य-साधकों व शायरों का सम्मान संस्थान की डीन (एकेडेमिक्स) डॉ० प्राची सिंह ने किया. इस काव्य-समारोह की अध्यक्षता इलाहाबाद से आये वरिष्ठ शायर मो.एहतराम इस्लाम ने की. कार्यक्रम का संचालन रायबरेली से आये शायर मारूफ रायबरेलवी जी ने किया.

कवि-सम्मलेन एवं मुशायरे का आगाज़ हुआ इलाहाबाद के ग़ज़लकार वीनस केसरी की ग़ज़लों से. वीनस की ग़ज़लों से मुशायरे को मानों अपेक्षित उड़ान मिल गयी. वीनस की ग़ज़लें जहाँ एक ओर अत्यंत संवेदनापूर्ण होती हैं, वहीं आप ग़ज़ल के अरुज़ पर भी गहन काम कर रहे हैं. 


ना मुकदमा ना कचहरी उसके मेरे बीच में
फिर भी खाई एक गहरी उसके मेरे बीच में

फिलहाल दिल्ली में निवास कर रहे इलाहाबाद के युवा शायर राणा प्रताप सिंह द्वारा प्रस्तुत ग़ज़लों को भी श्रोताओं से भरपूर दाद मिली. 

बड़ी मेहनत से जो पायी वो आजादी बचा लेना
तरक्की के सफ़र में थोड़ा सा माज़ी बचा लेना

बनाओ संगमरमर के महल चारों तरफ पक्के
मगर आँगन के कोने में ज़रा माटी बचा लेना

तूफ़ान दरियाबादी के शेरों में जोश और फ़िक़्र का अद्भुत संगम था. सुन कर श्रोता अश-अश कर उठे. तूफ़ान साहब के शेरों की बानग़ी - 

काटकर रोटियाँ अहले इफ़लास की
यादगारों की रौनक बढ़ा दी गयी

अपने टुकड़ों को हम जोड़ते क्यों नहीं
जबकि दीवार बर्लिन की ढा दी गयी

पटना से तशरीफ़ लाये ओपनबुक्सऑनलाइन के संस्थापक गणेश जी बागी का एक निराला अंदाज़ है. परिसर में श्रोताओं से आपको भरपूर समर्थन मिला. गणेश बाग़ी की छन्द प्रस्तुतियों, व्यंग्यात्मक घनाक्षरी तथा अशआर की उपस्थित सभी ने मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की. उनकी घनाक्षरी की प्रतिनिधि पंक्तियाँ - 

बार-बार लात खाए, फिर भी न बाज आये

 बेहया पड़ोसी कैसा देखो पाकिस्तान है
लड़ ले ऐलान कर रख देंगे फाड़ कर

ध्यान रहे बाप तेरा यही हिन्दुस्तान है

इलाहाबाद के फरमूद इलाहाबादी हास्य ग़ज़लों के लिए अखिल भारतीय स्तर पर जाने जाते हैं. उनकी हास्य ग़ज़लों ने श्रोताओं को लोटपोट कर दिया. श्रोताओं के बार-बार आग्रह पर फ़रमूद इलाहाबादी देर तक अपने अंदाज़ का लोहा मनवाते रहे. 

वो दारू जब भी लेता है तो ‘विद’ नमकीन लेता है
हटा कर लाई-चूरा सिर्फ काजू बीन लेता है

लखनऊ की संजीदा ग़ज़लकार डॉ० मंजू प्रीत ने नारी-विमर्श पर अपनी सामयिक तथा गहन प्रस्तुतियों से श्रोताओं का मन मोह लिया.
मैं वतन परस्त हूँ मैं ही इन्कलाब हूँ

खामोश रह के मुझसे जिया जाएगा नहीं

इसके पश्चात संस्थान की डीन (एकेडेमिक्स) व ओपनबुक्सऑनलाइन की प्रबंधन-सदस्या को मंच पर आवाज दी गयी. उन्होंने मंच का सम्मान करते हुए गुरु को समर्पित दोहावलियाँ प्रस्तुत कीं. साथ ही, उन्होंने अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए ‘संकल्प’ शीर्षक पर कुण्डलिया छन्द प्रस्तुत किया. श्रोताओं के विशेष आग्रह पर डॉ. प्राची ने एक गीत भी प्रस्तुत किया, जिसपर उन्हें भरपूर सराहना मिली.

सूर्यास्त नें चूमा उदय दे हस्त में तुझको हृदय
चिर प्रज्ज्वला तेरी प्रभा लौ दिव्य दिवसातीत है

मनमीत तेरी प्रीत की पदचाप मंगल गीत है
निर्भीत मन अभिनीत तन जीवात्मा सुप्रणीत है

कुशीनगर से पधारे डॉ. अक्स वारसी की शायरी में जोश और देशप्रेम का सुन्दर संगम था. बुद्ध की धरती से आये इस ग़ज़लकार ने संयत भावनाओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया. उनकी ग़ज़लों और शेरों को श्रोताओं का अच्छा प्रतिसाद मिला.

तुम्हारा दिल जो घबराए तो कहना
बियावाँ रास आ जाए तो कहना

लगाते रहते हो यादों का मरहम
दिलों का ज़ख्म भर जाए तो कहना

रायबरेली के मारूफ रायबरेलवी ने जिस कुशलता से मंच का संचालन किया वह प्रशंसनीय था. आपने सम्मेलन के दौरान शायरों-गीतकारों का उत्साहवर्धन करते हुए श्रोताओं से लगातार संवा दबनाए रखा. यह किसी सफल संचालक की कसौटी हुआ करती है. आपकी ग़ज़लों को भी भरपूर दाद मिली. 


हकीकत से हैं कोसों दूर अफसानों को क्या देखें?
हों जिसके हाथ नकली उसके दस्तानों को क्या देखें?

इलाहाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार छंदकार व गीतकार सौरभ पाण्डेय के गीत पर सभी श्रोता मंत्रमुग्ध दिखे. सौरभ की रचनाओं में जहां सूक्ष्म की सहज अभिव्यक्ति मिलती है, वहीं मानवीय स्थूल भावनाओं को भी आपकी रचनाएँ गहरे छूती हैं. 

उमा-उमा मन की पुलकन है, 
शिव का दृढ़ विश्वास मिले अब
तत्सम शब्द भले लगते थे,

अब हर देसज भाव मोहता
मौन उपटता धान हुआ तो,

अंग छुआ बर्ताव सोहता
मन्त्र गान से अभिसिंचित कर,

सृजन भाव सत्कार लगे अब
 

दिल्ली से आये वरिष्ठ गीतकार डॉ० धनञ्जय सिंह की सौम्य और सात्त्विक उपस्थिति ने आयोजन को जहाँ गरिमामय ऊँचाइयाँ दीं, वहीं उनके गीतों की सहजता नें सभी श्रोताओं को अपने साथ बाँध लिया. ‘गमले में उग आयी नागफनी’ गीत की हर पंक्ति से श्रोताओं ने तारतम्यता बैठा लिया था. उनके गीतों की संवेदना ने सबके मन को बहुत गहरे छुआ और सभी की दिली प्रशंसा प्राप्त की.

तुमको अपना कह कर मैंने अपना अपनापन दे डाला
तन पर तो अधिकार नहीं था मैंने अपना मन दे डाला
एक कलम का धन बाकी था लो तुमको वह धन दे डाला
पर कैसा प्रतिदान तुम्हारा मुझको सूनापन दे डाला

सिद्धार्थनगर के वरिष्ठ शायर डॉ० ज्ञानेंद्र द्विवेदी ‘दीपक’ जी ने अपनी काव्यात्मकता से श्रोताओं का मन जीत लिया. आपको शेर-दर-शेर दाद मिली.  

ए अब्र हमें तू बार बार सैलाब की धमकी देता है
हम तो दरिया की छाती पर तरबूज की खेती करते हैं

कविसम्मेलन एवं मुशायरे के अध्यक्ष मो० एहतराम इस्लाम की ग़ज़लें गंभीर और मानीख़ेज़ होती हैं. आपकी ग़ज़लों में तत्सम शब्दों का इस सहजता तथा कुशलता से निर्वहन होता है कि श्रोता झूम उठते हैं. 

अग्नि वर्षा है तो है, बर्फबारी है तो है
मौसमों के दरमयाँ इक जंग जारी है तो है

आयोजन के समापन पर एम.आई.ई.टी.कुमाऊँ संस्थान के प्रबंध-निदेशक डॉ० बहादुर सिंह बिष्ट जी नें  धन्यवाद ज्ञापन करने के क्रम में सभी आमंत्रित विद्वान कविगणों-शायरों को शारद-उपासक बताया. आपने साहित्य-साधना की भूरि-भूरि प्रशंसा की. आपने सभी कवियों और शायरों के प्रति उत्कृष्ट रचनापाठ के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया. उन्होंने प्रबंधन-मंडल के साथ-साथ कविसम्मलेन एवं मुशायरे के कुशल प्रबन्धन के लिए संस्थान की डीन (एकेडेमिक्स) डॉ० प्राची सिंह जी के योगदान पर भी विशेष तौर पर चर्चा की. आपने ऐसे सम्मेलनों को संस्कारों के बीजारोपण व पल्लवन के लिए अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन लगातार होते रहने चाहिए.

 

विशेष: एम.आई.ई.टी.कुमाऊँ के परिसर में कवि-सम्मलेन की बहुत सुन्दर व्यस्था की गयी थी परन्तु 3 अप्रैल की रात्रि व 4 अप्रैल की सुबह अप्रत्याशित आंधी व बरसात आने के कारण सारे टेंट गिरने पर वैकल्पिक व्यवस्था संस्थान के पुस्तकालय में की गयी.. इस कारण कविगणों व आगंतुकों को हुई किसी भी प्रकार की असुविधा के लिए एम.आई.ई.टी. प्रबंधन व ओबीओ प्रबंधन खेद प्रकट करता है.

~डॉ० प्राची सिंह 

Views: 2233

Reply to This

Replies to This Discussion

इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ,

आ० श्याम नारायण वर्मा जी 

आयोजन की रिपोर्ट से गुज़र कर इसे अनुमोदित कर मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

आदरणीया डॉ प्राची जी ,  इस शानदार आयोजन में आपके प्रतिभाग और उसके संयोजन हेतु आपको हार्दिक बधाई देता हूँ / उधृत पंक्तियों को पढ़कर ही जब इतना अच्छा लगा तो वाकई जिसने इस पूरे मुशायरे का लुत्फ़ उठाया होगा उनके आनंद की कल्पना ही की जा सकती हैं / कार्यक्रम की रिपोर्ट इस खूबसूरत अंदाज में हम सबसे साझा करने के आपके इस प्रयास के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद सादर 

आदरणीय डॉ० आशुतोष मिश्रा जी 

इस तरह के आयोजन की रिपोर्ताज वस्तुतः आयोजन के समय की साहित्यिक परिष्कृत सकारात्मक चेतना को साँझा करती हैं ..वह ऊर्जा आप तक अपने शुद्ध स्वरुप मैं पहुँची..आपकी ग्राह्यता के प्रति आश्वस्त होते हुए मैं शुभकामना सम्प्रेषण के लिए आपको धन्यवाद देती हूँ 

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी
आयोजन की रपट की प्रस्तुति हेतु हार्दिक आभार।
इस रपट की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा था। आदरणीय सौरभ सर ने कवि सम्मेलन और मुशायरे की चर्चा की तो और अधिक बेसब्र था। आपकी रपट ने उस आयोजन में जैसे शिरक़त करा दी। हार्दिक धन्यवाद सभी रचनाकारों को आपको संसथान प्रबंधन को और संस्थान के प्यारे प्यारे बच्चों को।

आदरणीय मिथिलेश जी,

आपकी हृदयतल से निस्सृत शुभकामनाओं को स्वीकार करते हुए आयोजन की रिपोर्ट के ज़रिये आयोजन में तारी हुए साहित्य सागर में सराबोर हो जाने की इस विशेषता को मैं नमन करती हूँ.

धन्यवाद 

सादर 

फिर से वो सुहाने क्षण मन में कौंध गये ! ..

आयोजन पर इस विस्तृत रपट के लिए हार्दिक आभार, आदरणीया प्राचीजी..

शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ जी 

आयोजन के पलों के संयोजन के क्रम में ओबीओ प्रबंधन का वेशेष योगदान रहा.... आपको भी धन्यवाद 

सादर.

हार्दिक आभार, आदरणीया डॉ प्राची जी.

आदरणीय प्रधान संपादक महोदय

आपके आशीर्वाद से आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.

मौसम की अन-अपेक्षित विसंगतियों से ध्वस्त हुई व्यस्थाओं के बावजूद भी अपनी काव्य-उत्कृष्टता के कारण आयोजन यादगार व अपने उद्देश्य में पूर्णतः सफल रहा.

सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"लोग क़ाबिज  अजीब हरक़त में वो दबाते  है   आँख    लानत में जो शऊर इक…"
49 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, प्रोत्सयाहन के लिए हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी हर ग़ज़ल मुझे पसंद आती है हालांकि आपके शब्दकोश के कई शब्दों का अर्थ मैं…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं। कुछ मिसरे तो अति सुंदर है।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।ग़ज़ल का मतला वैसे तो अच्छा है पर यह…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"रचना सार्वजनिक होने के बाद शायर की कहाँ रही.. आपकी हो गयी...आप जैसा चाहिए..सादर "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"शुक्रिया आदरणीय, मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है और उम्मीद करता हूँ कि आगे भी बहुत देर और दूर तक ये…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service