आदरणीय साथिओ,
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बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय डॉ गोपाल सर जी , लग रहा है जैसे सब कुछ सामने घटित हो रहा है | बहुत ही सुंदर चित्रण किया है आपने , हार्दिक बधाई आदरणीय |
आभार आदरणीया .
आदरणीय. यह कथा है हकीकत नहीं , जहाँ तक विश्वास की बात है अ'ब तो साइंस भी अदृश्यमान जीवों की सच्चाई स्वीकार रही है . आ० योगराज जी ने इस और संकेत भी किया है , मैं स्वय 'साइको से आक्रांत हूँ और जेरे इलाज हूँ , मेरे इस विषय के अनुभव अलग है फिर जब बात फरिश्तों की है तो जाहिर है वे मानव तो नहीं है किसी देवलोक के ही प्राणी होंगे . सादर .
आभार आदरणीय .
बहुत बहुत शुक्रिया मान्यवर .
आ० विजय सर . अनुगृहित हुआ सादर .
आदरणीय गोपाल श्रीवास्तव जी लघुकथा का प्रस्तुतिकरण बहुत प्रभावशाली है, पूरा दृश्य आंखों के सामने घूम सा गया। बहरहाल नाटकीयता कुछ अधिक हो गई । सादर
आ० रवि जी , प्लाट ही ऐसा चुना गया नाटकीय तो होना ही था . सादर .
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