For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ सदस्यों की भोपाल में बैठक व काव्य-गोष्ठी : एक रिपोर्ट - 26 फरवरी 2017

ओबीओ सदस्यों की भोपाल में बैठक व काव्य-गोष्ठी : एक रिपोर्ट

 

आज दिनांक 26 फरवरी 2017 को आदरणीय तिलकराज कपूर जी के निवास साकेत नगर भोपाल में ओपन बुक्स ऑनलाइन ओबीओ सदस्यों की बैठक एवं काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया. बैठक का विषय आगामी माहों में भोपाल में आयोजित की जाने वाली ओबीओ साहित्यिक गोष्ठी के आयोजन की रुपरेखा/ कार्ययोजना बनाना था एवं उसे क्रियान्वित करने हेतु समिति का गठन किया गया.

इस बैठक सह काव्य-गोष्ठी में आ. सौरभ पाण्डेय जी (इलाहाबाद) आ. समर कबीर जी (उज्जैन), आ. नीलेश शेवगाँवकर जी (इंदौर) एवं आ. सुबूर अकमल जी(उज्जैन) से सम्मिलित हुए वहीँ मेज़बान आदरणीय तिलकराज कपूर जी सहित भोपाल से आ. हरिवल्लभ शर्मा जी, आ. नयना आरती कानिटकर जी, आ. कल्पना भट्ट जी, आ. सीमा शर्मा जी, आ. कपिल शास्त्री की बैठक में गरिमामय उपस्थिति एवं काव्य पाठ ने आयोजन को समृद्ध किया.

बैठक में ओबीओ भोपाल चैप्टर के वर्ष में चार आयोजन करने का निर्णय लिया गया जो वर्ष के जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में आयोजित किये जायेंगे. इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ नवोदित साहित्यकारों और ओबीओ सदस्यों को एक मंच पर लाना है ताकि आपसी मेलजोल से ओबीओ की “सीखने सिखाने की परम्परा” जमीनी स्तर पर साकार हो और ओबीओ के उद्देश्यों का प्रचार-प्रसार से साहित्य समृद्ध हो. इसके अतिरिक्त प्रतिमास एक ओबीओ सदस्य के निवास पर ओबीओ सदस्यों की मासिक काव्य-लघुकथा गोष्ठी के आयोजन का भी निर्णय लिया गया.

इस प्रकार बैठक में तीन बिंदुओं पर चर्चा एवं निर्णय हुए-

  1. ओबीओ साहित्यिक गोष्ठी का त्रैमासिक आयोजन
  2. ओबीओ काव्य-लघुकथा गोष्ठी का मासिक आयोजन
  3. कार्यकारी समिति का गठन

बैठक के उपरान्त उपस्थित ओबीओ सदस्यों ने रचना पाठ किया. काव्य गोष्ठी का सञ्चालन आ. सौरभ पाण्डेय जी ने किया.

1. काव्य पाठ का आरम्भ आ. समर कबीर जी ने किया. आपने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में गज़लें सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया-

 

ख़ुदा का कहर जब भी टूटता है हमने है देखा

तड़पकर सारी दुनिया पानी पानी बोल पड़ती है

 

इक ऐसा शेर कहना चाहता हूँ मैं जिसे सुनकर

‘समर’ दुश्मन के मुँह से कद्रदानी बोल पड़ती है

2.आ. नीलेश ‘नूर’ जी ने अपनी ग़ज़लों से काव्य गोष्ठी को नई उचाईयां प्रदान की-

 

जिंदगी हाल का सफ़र न हुई

यानी इस रात की सहर न हुई

 

पहले-पहले हया का पर्दा रहा

फिर ज़रा भी इधर उधर न हुई

3.आ. कल्पना भट्ट जी ने प्रेम और विरह की पीड़ा को शाब्दिक करती एक कविता सुनाई-

 

मुझसे तुम सहारा लेती हो

साथ चलने को कहती हो

हाथ छोडू तो रुक जाती हो

फिर रुक कर अपना हाथ बढ़ा देती हो.

4. इस नाचीज़ को भी अपना एक गीत सुनाने का अवसर मिला-

 

जिस गली के भाग्य में बस वेदनाएँ म्लान सी

राजपथ पर अब चलेगी वह गली सुनसान सी

5.आ. हरिवल्लभ शर्मा जी ने एक छंद और एक ग़ज़ल सुनाई –

 

चाल बदली है हाल बदला है

यार तू तो कमाल बदला है

 

तीरगी का जहाँ रहा आलम

उस गली का जमाल बदला है

6.आ. सुबूर अकमल जी ने अपनी गज़लें सुनाई-

 

महफ़िल में किसकी बात चली थी अभी अभी

सीने में कोई फांस चुभी थी अभी अभी

 

निकला है आफताब नए दुःख लिए हुए

मुश्किल से गम की रात ढली है अभी अभी

7.आ. तिलक राज कपूर जी ने अपनी ग़ज़लों से श्रोताओं को वाह वाह करने के लिए मजबूर कर दिया-

 

अँधेरे में उजाले जागते हैं

उजाले में अँधेरे सो रहे हैं

 

तरक्की आप जिसको कह रहे हैं

हकीकत में वो झूठे आंकड़े हैं

8. आ. सीमा शर्मा जी ने एक ग़ज़ल सुनाई –

 

शिकायत दिल करे जब भी जबां को बोलने दीजे

नहीं दिल से लगाकर बात कोई तोड़ने दीजे

 

न जाने लोग कैसे कानों से भी देख लेते हैं

सुनी बातें दिखाने से भी पहले तौलने दीजे

9.गोष्ठी के संचालक आ. सौरभ पाण्डेय जी ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ एक गीत और एक ग़ज़ल सुनाई-

 

इन आँखों में जो सपने रह गए हैं

बहुत जिद्दी मगर गमखोर से हैं

 

अमावस को कहेंगे आप भी क्या

अगर सम्मान में दीपक जले हैं

10.आ. कपिल शास्त्री जी ने अपनी लघुकथा “सेफ्टी-वाल्व” का पाठ किया. लघुकथा का अंश-

 

 

"बस कुकर ज़रा ठंडा हो जाने दो, फिर खाना लगाती हूँ।"

इस बार अनु की आवाज़ में कुछ ठंडक लगी।

अविनाश को लगा जैसे वो स्वयं इन वाष्परूपी ज़ख्मों के ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा हुआ एक ढक्कन है।

मेज़बान आ. तिलकराज कपूर जी ने आभार व्यक्त किया. इस आयोजन का मुख्य आकर्षण “लज़ीज़ स्वल्पाहार” के लिए सभी मेहमानों ने मेज़बान दंपत्ति का आभार व्यक्त किया.

 

 

-मिथिलेश वामनकर

 भोपाल

 

Views: 1292

Reply to This

Replies to This Discussion

सभी को सादर नमस्कार । पहली बार आदरणीय कपूर सर , समर साहब ,नीलेश जी से मिलने का अवसर मिला । आ. कपूर सर, आ सौरभ सर ,जनाब समर साहब ने गज़ल की बारीकियों पर रौशनी डाली । बहुत अच्छा लगा । आ मिथिलेश सर की इस पहल के लिए कोई शब्द नहीं हैं मेरे पास । ऐसी बैठकें और गोष्ठीयों से मेरे जैसों को कुछ सीखने का अवसर मिलेगा । सादर ।

ऐसे आयोजनों से हम सभी लाभान्वित होंगे आदरणीया कल्पना जी. सादर 

बधाई , सुन्दर आयोजन के लिए।

हार्दिक धन्यवाद आपका 

आदरणीय मिथिलेश जी, आपकी त्वरित रिपोर्ट से कल सायं के क्षण पुनः जीवंत हो उठे। सभी उपस्थित सदस्यों के प्रति हार्दिक धन्यवाद।

रिपोर्ट में भोपाल में आहूत आयोजनों की रूपरेखा के साथ-साथ लिए निर्णयों का भी उल्लेख होना था। ताकि एक प्रारम्भिक जानकारी से पटल के सदस्य जानकार हो सकें। ओबीओ का कोई चैप्टर ओबीओ मंच का भौतिक विस्तार होना चाहिए। इस विन्दु के प्रति इकाइयाँ सचेत रहें तो तो उनकी प्रासंगिकता अपरिहार्य होगी। उद्येश्य भी स्पष्ट रहेगा, जो कार्यविधियों को सदिश रखने का काम करेगा। 

//इस आयोजन का मुख्य आकर्षण “लज़ीज़ स्वल्पाहार” के लिए सभी मेहमानों ने मेज़बान दंपत्ति का आभार व्यक्त किया.//

यह विन्दु तनिक और विस्तार की अपेक्षा कर रहा था। वस्तुतः, जिस आत्मीयता से मुलायम रवा-इडली के साथ विभिन्न चटनियाँ, स्वादिष्ट कटलेट और लजीज छोलों के संग रसदार गुलाबजामुन प्रस्तुत किए गए थे, वह गोष्ठी की यादों से आने वाले कई-कई दिनों तक हमें तर करती रहेगी। इनके साथ-साथ ठण्डा और चाय का दौर तो आइसिंग ऑन द केक की तरह अपने प्राकट्य से वातावरण को रसमय बना रहा था। आदरणीय तिलकराज जी की नम्र मेहमाननवाज़ी उनकी ग़ज़लों की तरह निस्संदेह सर्वसमाही है। फिर, यह सूचना कि सारे व्यंजन घर के ही बने हैं, आदरणीया भाभी जी के प्रयासों के प्रति हमसभी को भावमय बना गया। आदरणीया भाभी जी के प्रति सादर धन्यवाद संप्रेषित है।

शुभ-शुभ

 

आदरणीय सौरभ सर, सदस्यों से तनिक चर्चा करनी थी इसलिए निर्णयों को अभी पूर्णतः सम्मिलित नहीं किया. यथा शीघ्र शामिल करता हूँ. सादर 

घर के बने व्यंजनों पर आपकी टिप्पणी ने मेरी रिपोर्ट को पूर्णता प्रदान कर दी. आपने एक एक व्यंजन का नाम लिखकर भी खूब किया है, अब जो बैठक में नहीं थे उनके मुँह में भी पानी...... हा हा हा 

उस दिन रतलाम भोपाल इन्टरसिटी न पकड़ पाने का मलाल आदरणीय सौरभ पाँडे जी की टिप्पणी पढकर और अधिक हो रहा है
आ प्रतिभा दी आपका इंतज़ार था । सादर ।

आदरणीय मिथिलेश भाई , रिपोर्ट पढ के सुखद अनुभूति  हुई , और वहाँ न पहुँच पाने का दुख भी । उज्जैन के लिये मुझे रिजर्वेशन 28 को मिला ।अगर 24 को मिल जाता तो मै भोपाल होते हुये उज्जैन जाने की सोच रहा था ।

सभी सदस्यों को गोष्ठी की सफलता के लिये हार्दिक बधाइयाँ । रचनाओं का थोड़ा थोड़ा स्वाद  आपने  चखाया , पढ के बहुत अच्छा लगा । भविष्य में होने वाले आयोजनों के लिये शुभकामनायें ।

आदरणीय गिरिराज सर, हार्दिक धन्यवाद 

इस सफ़ल आयोजन की हार्दिक बधाई सहित भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ।

हार्दिक धन्यवाद आपका 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service