For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 161 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |

इस बार का मिसरा जनाब मुहसिन नक़वी साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

"मैं अपने आप से कम बोलता हूँ"

मुफ़ाईलुन  मुफ़ाईलुन  फ़ऊलुन
1222     1222     122
बह्र-ए-हजज़ मुसद्दस महज़ूफ़
रदीफ़ :- हूँ

क़ाफ़िया:-अलिफ़ का (आ स्वर)
देखता,आ गया,सोचता,मुब्तिला, दवा आदि...

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 24 नवंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 25 नवंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 नवंबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2924

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागत है आप सब का ।

नमस्ते आदरणीय समर कबीर साहब जी।

शुक्रिया सर जी। आदाब अर्ज़ है जी।

नमन मंच

अभिवादन आदरणीय

सादर अभिवादन, आदरणीय।

परम आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम को सादर चरण स्पर्श।

सुप्रभात सर 🙏

1222 1222 122

किसी भी इक जगह पर कब रुका हूँ।
हवा जैसे हमेशा मैं चला हूँ।।

सदा हक़ बात जो कहता रहा हूँ।
कोई साथी नहीं तन्हा खड़ा हूँ।।

कभी वादा निभाएगा नहीं वह।
उसे अच्छी तरह से जानता हूँ।।

मिलेगा एक दिन मुझको यक़ीनन।
दुआ में जो ख़ुदा से माँगता हूँ।।

गिरह कोई लगाता किस तरह मैं।
"मैं अपने आप से कम बोलता हूँ"

परेशानी मुझे कोई नहीं पर।
न जाने क्यों भला मैं अनमना हूँ।।

सहारा वो बना मेरा हमेशा।
कभी जो मैं मुसीबत में पड़ा हूँ।।

सभी खामोश हो जाते भला क्यों।
कभी हक़ बात जो मैं बोलता हूँ।।

ग़ज़ल होने लगे तब ख़ुद ब ख़ुद ही।
कभी उसको अगर मैं सोचता हूँ।।

दिखाई दे जिसे इंसाँ में इंसान।
कोई 'इंसान' ऐसा ढूँढता हूँ।।

मौलिक व अप्रकाशित।

भाई सुरेन्द्र इंसा जी,

अच्छी ग़ज़ल हुई है। दाद क़बूल कीजिए।

दो शेर में आपने "हक़ बात" का ज़िक्र किया। इनके बीच में "की" की ज़रूरत महसूस हो रही है। हक़ को "सच" करें तो मेरे विचार में अधिक अच्छा रहेगा । बाकी अन्य साथी बताएंगें ।

पुनः बधाई

आदरणीय भाई अजय गुप्ता जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल पर आने के लिए और हौसला अफजाई करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका। 

यह कुछ उदाहरण देखिये जिनमें हक़ बात  यूँ इस्तमाल किया गया है पहले भी।

हक़ बात तो ये है कि उसी बुत के वास्ते।
ज़ाहिद कोई हुआ तो कोई बरहमन हुआ।।

निज़ाम रामपुरी

हक़ बात आ के रुक सी गई थी कभी 'शकेब'
छाले पड़े हुए हैं अभी तक ज़बान पर

शकेब जलाली

आज गर बोले नहीं हक़ बात पर ।
कल सितम होंगे तुम्हारी ज़ात पर।।

महवर सिरसिव


हक़ बात सर-ए-बज़्म भी कहने में तअम्मुल ।
हक़ बात सर-ए-दार कहो सोचते क्या हो।।

वाहिद प्रेमी


रुस्वा हुए ज़लील हुए दर-ब-दर हुए
हक़ बात लब पे आई तो हम बे-हुनर हुए

खलील तनवीर।

हक़ बात पे मरता हूँ तो मरने नहीं देते।
ये अहल-ए-जहाँ कुछ भी तो करने नहीं देते।।

बूटा खान राजस

हक़ बात ही कहेंगे सर-ए-दार देखना
अहल-ए-क़लम की जुरअत-ए-इज़हार देखना

रागिब मुरादाबादी

हक़ बात कहूँगा मगर ऐ जुरअत-ए-इज़हार
जो बात न कहनी हो वही बात न कह दूँ

अहमद नदीम क़ासमी

सच की जगह ही हक़ का इस्तमाल किया है।

बहुत बहुत आभार आपका जी।

जी शुक्रिया

आदरणीय surender insan जी आदाब,

ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें।

किसी भी इक जगह पर कब रुका हूँ।

हवा जैसे हमेशा मैं चला हूँ।।

हवा जैसा, हवा के जैसा या हवा सा

सहारा वो बना मेरा हमेशा।

कभी जो मैं मुसीबत में पड़ा हूँ।।

मैं जब जब भी मुसीबत में पड़ा हूँ

ग़ज़ल होने लगे तब ख़ुद ब ख़ुद ही।

कभी उसको अगर मैं सोचता हूँ।।

सानी और उला  एक काल (Tense ) में नहीं हैं।

ख़ुद ब ख़ुद के साथ ही लिखने की आवश्यकता नहीं।

ग़ज़ल हो जाती है तब ख़ुद-ब-ख़ुद यार

गिरह कोई लगाता किस तरह मैं।

"मैं अपने आप से कम बोलता हूँ"

गिरह के लिए कोई और मिसरा सोचें 

// शुभकामनाएँ //

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"जी, धन्यवाद !"
16 seconds ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"जी, आ. रिचा यादव नमन ! आपको ग़ज़ल अच्छी लगी, मेरा प्रयास सफल हुआ।साधुवाद, सु श्री । सादर"
1 minute ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आ. समर कबीर साहब, आदाब, आपकी दृष्टि मेरी ग़ज़ल पर पड़ी और आपने इसका संज्ञान लिया मैं धन्य हुआ !"
8 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"उन्हीं को सौंप रखा है जिगर करें तो क्याहम उनके पास ही जाते हैं चोट खाने कोपता है प्यार का अंजाम…"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल के साथ मंच पर आपकी उपस्थिति ने हर्षित किया है। बहुत…"
31 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदाब, आदरणीय, भाई  Euphonic अमित जी, आपका अतिशय धन्यवाद कि आपने मेरी ग़ज़ल प्रस्तुति को अपना…"
38 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय नादिर जी, बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। गुणिजनों की इस्लाह के बाद आपकी ग़ज़ल बहुत…"
45 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय Tilak Raj Kapoor जी नमस्कार। आपने तरही मिसरे पर ख़ूब ग़ज़ल कही।बधाई स्वीकार करें। सर् की…"
48 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी नमस्कार ।हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
59 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय ऋचा यादव जी नमस्कार ।हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार ।हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी नमस्कार ।हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service