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Neelima Sharma Nivia's Discussions (9)

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"लघुकथा  दुनियादारी (शीर्षक ) 'बेटा निशा को २१०० तो देदेना ,तुम्हारे  पापा के देहावस…"

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

"सर कहानी अच्छी हैं प्रोढ़  शिक्षा का भी सुझाव साथ में दिया जा सकता था "

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

"सकारात्मक रचना  , नयी बहु कुछ दिन बाद अफ़सोस न करे फैसले पर इसलिय सास ने बार बार  प्र…"

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

"वर्ग भेद जाति प्रथा समाज ने  खुद बनायीं और खुद ही समाज को विषाक्त किया बच्चो के मन म…"

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

"  कहा जाता हैं  अपने जाए मुख मोड़ ले तो दुनिया  भी मुँह मोड़ लेती हैं | इक साड़ी माँ के…"

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

"बालमन पर पड़े  निशान उमरभर कायम रहते . वैसे सोच का विषय हैं ऐसे कम अक्सर दादियाँ ही क…"

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

"त्रसाद विडंबना  हैं  बुढ़ापे में अकेले होना | जीवन प्रत्याशा बढ़ गयी हैं युवाओं कीसोच…"

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

"मुखोटे ओढ़े  बहुत लोग घूमते हैं आस- पास ,  .... अच्छा लगा  आपके लिखे को पढना ,"

Neelima Sharma Nivia replied Jul 30, 2015 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

1356 Jul 31, 2015
Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

प्रधान संपादक

"एक सशक्त  लेख लघु कथा विधा  पर ,"

Neelima Sharma Nivia replied Apr 8, 2015 to लघुकथा विधा : तेवर और कलेवर

106 May 13, 2023
Reply by योगराज प्रभाकर

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