For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समर्थन मूल्य पर अनाज बेचकर , किसान हुए बेहाल
उत्पादों का स्वं मूल्य लगाकर , पूंजीपति हुए निहाल ॥

अरहर दाल ९० रूपये किलो , बोल- बोलकर लोग खूब चिल्लाते
५ रूपये के टैबलेट को , पूंजीपति १०० रूपये का मूल्य दिखाते ॥

मंहगाई का दीया दिखाकर , पूंजीपति खूब कमाते
कड़े -कड़े नोटों की माला , नेताओं को पहनाते ॥

चुनाव के वक़्त दिया था , नेताओं को चंदा
जी भर कर दाम बढाओ , कर लो गोरखधंधा ॥

दवा, सीमेंट और लोहा पर , सरकार की कुछ नहीं चलती
मंहगाई -मंहगाई बोलकर ,किसानों की छाती पर दाल दलती ॥

इन्ही कारणों से देश में , अमीरी -गरीवी की खाई बढ़ रही है
धीरे -धीरे अब , मजदूर -किसानों की त्योरी भी चढ़ रही है ॥

Views: 308

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by baban pandey on July 12, 2010 at 7:37am
rana bhai .. ...samarthan mulya ka chammmch kisano ko n jine deta hai n marne ....dhanyabad

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 11, 2010 at 7:20pm
बिल्कुल सही कहा बबन भैया. सरकार ने समर्थन मूल्य नाम की तुतुही किसानों के मुंह में थमा दी है....बजाते रहो . उधर महंगाई की सुरसा अपना मुंह फैलती जा रही है. सत्ता में बैठे सोते लोगों को जगाने के लिए इसी कविता का प्रयोग होना चाहिए.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 10, 2010 at 10:04pm
समर्थन मूल्य पर अनाज बेचकर , किसान हुए बेहाल
उत्पादों का स्वं मूल्य लगाकर , पूंजीपति हुए निहाल ॥

किसानो की दशा को बयान करती, और कृत्रिम महंगाई को दिखाती यह कविता बहुत ही अच्छी बनी है,
Comment by Rash Bihari Ravi on July 9, 2010 at 1:08pm
jai ho jai man mohan bhai ,
chini mill ke malik ko ,
diye krisi mantri banai,
chini ke dam asman pe,
khub huaa kamai,
jai ho jai man mohan bhai ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service