For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१२२२ १२२२ १२२२ १२२ 

तेरी हर शै मुझे भाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

मुझे तू देख शरमाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

कभी हो इश्क़ तो रुन-झुन कहीं महसूस होगी

इशारे कर के समझाए तो क्या वो इश्क़ होगा 

 

पिए ना जो कभी झूठा, मगर मिलने पे अकसर

गटक जाए मेरी चाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

सभी से हँस के बोले, पीठ पीछे मुंह चिढ़ाए

मेरे नज़दीक इतराए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

हज़ारों बार हाए, बाय, उनको बोलने पर   

पलट के बोल दे हाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

सभी रिश्ते, बहू, बेटी, बहन, माँ, के निभा कर

मेरे पहलू में इठलाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

तुझे सोचा नहीं होता अभी, पर यक-ब-यक ही

नज़र आएं तेरे साए तो क्या वो इश्क़ होगा

 

तेरी खातिर कहे हैं शेर, मैंने ज़िन्दगी के

तेरा दिल ही न छू पाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

हवा मगरिब, मैं मशरिक, उड़ के चुन्नी आसमानी

मेरी जानिब चली आए तो क्या वो इश्क़ होगा

 

उसे छू कर, मुझे छू कर, कभी जो शोख तितली 

उड़ी जाए उड़ी जाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

नदी, झरने, पवन, झींगुर, सितारे, मेघ, तितली

जिसे देखूं वही गाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

मुझे तू एक टक देखे, कहीं खो जाए, पर फिर

अचानक से जो मुस्काए, तो क्या वो इश्क़ होगा

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on February 24, 2019 at 9:48pm

आदरणीय नासवा जी सूंदर पेशकश । बधाई ।

Comment by दिगंबर नासवा on February 21, 2019 at 8:56am

बहुत आभार समर कबीर साहब आपका इस मार्ग दर्शन के लिए ...

Comment by Samar kabeer on February 20, 2019 at 10:08pm

जी,यही बहतर है,सहीह निर्णय ।

Comment by दिगंबर नासवा on February 20, 2019 at 8:18pm

सहमत हूँ आदरणीय समर जी ... इस शेर को खारिज करना ही उचित है ...

Comment by Samar kabeer on February 20, 2019 at 2:13pm

मेरे नज़दीक "चाये" क़ाफ़िया उचित नहीं है ।

Comment by दिगंबर नासवा on February 20, 2019 at 12:05pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब ... चाय, चाये ... मैंने चाए  बना के इस्तेमाल किया है ... वैसे चाय ही ठीक शंड है शायद ...

उम्मीद है ख़ारिज नहीं होगा ये शेर ... 

Comment by Samar kabeer on February 19, 2019 at 2:26pm

जनाब दिगंबर नासवा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'गटक जाए मेरी चाए, तो क्या वो इश्क़ होगा'

'चाय' कि "चाये"?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,जल्दबाज़ी में मतले को परिवर्तित करने के चलते अभी संभावनाएं बन रही हैं कि समय के साथ…"
1 minute ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से…"
15 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
31 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
33 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
49 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service