For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

              ग़ज़ल 

गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ
अब सुने कौन गणतंत्र की सिसकियाँ

इसलिए आज दुर्दिन पड़ा देखना
हम रहे करते बस गल्तियाँ गल्तियाँ

चील चिड़ियाँ सभी खत्म होने लगीं
बस रही हर जगह बस्तियाँ बस्तियाँ

पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए
भावना खत्म करती हैं तकनीकियाँ

कम दिनों के लिए होते हैं वलवले
शांत हो जाएंगी कल यही आँधियाँ

अब न इंसानियत की हवा लग रही
इस तरफ आजकल बंद हैं खिड़कियाँ

क्रोध की आग है आग से भी बुरी
फूँक दो आग में मन की सब तल्ख़ियाँ

इक नज़र खुश्क मौसम पे जो डाल दो
बोलना सीख जायेंगी खामोशियाँ

रास्ता अपने जाने का रखने लगीं 

आजकल घर बनाती हैं जब लड़कियाँ 


प्रश्न यह पूछना आसमाँ से "सुजान"
निर्धनों पर ही क्यों गिरती हैं बिजलियाँ. 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 31, 2019 at 5:44am

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया , जनाब आपने मेरा ध्यान मेरी गलती की ओर दिलवाया आपका बेहद शुक्रिया । कोई जल्दबाजी में ऐसी गलती हो गई हो शायद ।लेकिन जनाब मेरा ऐसा कहीं कोई आशय नहीं रहा है ।

ग़ज़ल की कोशिश की है जो हिन्दी के शब्दों को तरजह से बात कहने की कोशिश है ।आपने पढ़ा व सटीक टिप्पणी दी बहुत बहुत शुक्रिया जनाब 

Comment by नाथ सोनांचली on January 30, 2019 at 10:32pm

आद0 सूबे सिंह सुजान जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास है, बधाई स्वीकार कीजिये।

एक निवेदन है,, इस मंच पर जिस भी व्यक्ति का नाम लिया जाता है उसकेसाथ आदर सूचक शब्द जैसे आदरणीय, जनाब इत्यादि लगाते हैं। उम्मीद है आप ध्यानदेंगे। एक बात और- यहाँ सोशल मीडिया जैसी एक दो शब्दों की काम चालाऊ प्रतिक्रिया उचित नहीं है। सादर

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 28, 2019 at 11:24am

समर कबीर जी, 

आपने ठीक पकड़ी गलती, बहर,अर्कान तो यही हैं,हाँ इस मिसरे को ठीक करना होगा ।

लेकिन अब एडिट नहीं कर पायेंगे ।

मिसरा यूँ हो जाएगा ।

"जितने पशु पक्षी थे,उतने वाहन हुए "

आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Samar kabeer on January 28, 2019 at 10:51am

जनाब सूबे सिंह सूजन जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

आपने ग़ज़ल के ये अरकान लिए हैं 212 212 212 212 ।

'पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए'

ये मिसरा मुझे लय में नहीं लगा,देखियेगा ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 27, 2019 at 9:22am

Ravi shukla ji, रवि जी 

बहर इस प्रकार है ।

212212212212

Comment by Ravi Shukla on January 26, 2019 at 10:21pm

आदरणीय सूबे सिंह जी गजल के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई ग़ज़ल ख्रआ कान भी लिख दीजिये थोड़ी सुविधा हो जाती

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 25, 2019 at 3:34pm

बहुत बहुत शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
5 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service