For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काल कोठरी

निस्तब्धता

अँधेरे का फैलाव

दिशा से दिशा तक काला आकाश

रात भी है मानो ठोस अँधेरे की

एक बहुत बड़ी कोठरी

सोचता हूँ तुम भी कहीं 

बंधी-बंधी-सी  खोई-खोई

अन्यमनस्क, अवसन्न

इस गहन अँधेरे में भी

परखती होगी तिरछी लकीरों को

इस रात की कोठरी में अकेली रुआँसी

दर्द की दानवी जड़ों से जुड़ती-टूटती

गरमीली यादों की भीगी वाष्प को ठेलती

बेबस, उदास, उसी ज़हरीली भाफ से

बेचैन आँखों को आँज रही होगी

आँजते-आँजते 

कोई तीखी एक सलाई दर्द की

चुभ जाती होगी

तिर आते होंगे गरमीले आँसू ...

सिसकारी भरती  बींधती उदासी

नहीं बदलता दृश्य, नहीं बदलता

रात-देर-तक अपलक गहरे भीतर

अतिशय चिन्ता

नामंज़ूर है फिर भी मन को कोई शर्त

ना ही मंज़ूर है उसे तजुर्बों से समझोता

अकस्मात अनपेक्षित खयालों की कंपकपी

कभी इस कभी उस मजबूरी का तनाव तुममें

मुझमें भी रहा है कब से व्याप

हरदम किसी बेबस कमज़ोरी का संताप

अनुच्चरित विशाद

अजगरी रात, पराजित आस

पास सरकता धुंधलका

काल-कोठरी में हैं फ़ासलों में खोए

दो भीगे हुए मन एकाकार

आर-पार हिमाच्छादित नि:शब्दता

       

                  -------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1092

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:29am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:29am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय महेन्द्र जी

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:28am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय बृजेश जी

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:27am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय तेज वीर सिंह जी

Comment by Samar kabeer on July 12, 2018 at 11:16am

कोई बात नहीं,कोई टेक्निकल दुश्वारी होगी,चेक करवालें ।

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:11am

आज बहुत समय के बाद ओ बी ओ पर आ पाया हूँ। मुझको कई महीनो से न जाने क्यूँ ओ बी ओ पर आए कामेंट्स की notifications नहीं मिल रहीं। आज यहाँ आया तो देखीं इतनी सारी प्रतिक्रियाएँ ... मन गदगद हुआ, और अफ़सोस भी कि इनकी जानकारी न मिलने के कारण आभार प्रकट करने में मुझसे इतनी देर हो गई। 

आपकी प्रतिक्रिया से मन बहुत प्रसन्न हुआ। आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई, समर जी।

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:04am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विजय शंकर जी

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:02am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया नीलम जी

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:01am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी।

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 11:00am

आपका हार्दिक आभार, आदरणीया बबीता जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service