कुदरत की सबसे बडी नेमत है हंसी,
ईश्वरीय प्रदत्त वरदान है हंसी,
मानव में समभाव रखती हैं हंसी,
जिन्दगी को पूरा स्वाद देती हैं हंसी,
बिना माल के मालामाल करने वाली पूंजी है हास्य,
साहित्य के नव रसो में एक रस होता हैं हास्य,
मायूसी छाई जीवन में जादू सा काम करती हैं हंसी,
तेज भागती दुनियां में मेडिटेशन का काम करती हैं हंसी,
नीरसता, मायूसी हटा, मन मस्तिष्क को दुरुस्त करती हैं हंसी,
पलों को यादगार बना, जीने की एक नई दिशा देती हैं हंसी,
जानवरों से अभिन्न बनाती, मानवीय आदत है हंसी,
चिन्ता के हजार रोगों की अचूक,रामबाण दवा है हंसी,
अवचेतन मन के भावों को अभिव्यक्त करती हैं हंसी,
खाने में नमक जैसा महत्व है, जीवन में हंसी का,
'हंसना ही जीवन है', इसे अपना दोस्त बना लो. .....
रचना मौलिक व अप्रकाशित हैं
बबीता गुप्ता
Comment
आदरनीय सर जी, सराहना और सुझाव देने के लिए सधन्यवाद.
आद0 बबिता गुप्ता जी सादर अभिवादन। अच्छी रचना लिखी है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।
एक सुझाव देना चाहूँगा। अगर आप किसी एक निश्चित शिल्प में यह लिखें तो और बेहतर हो जाएगी
धन्यवाद, सर जी.
मोहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।
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