For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँ! मैं हूँ परमेश्वर.

हाँ! मैं हूँ परमेश्वर.
मैं बन बैठा भगवान,
मंदिर में,सबके दिल में.
गाँव-गाँव व शहर-शहर,
मैं घूमता रहा पहर-पहर,
चंदे के लिए,मंदिर के वास्ते,
मिल गए मुझे भाग्य के रास्ते.
सुबह निकलता बिना नहाए-खाए,
लंबा चंदन टीका करता,
कंधे में झोला लटकाता,
लगता पंडित भोला-भाला.
मंदिर के नाम की रसीद
हाथ में रहती,कटती रहती,
मैं घूमता रहता,काटता रहता,
अपने अभाग्य को,रसीद के साथ.
लोग चंदे के साथ भोजन भी कराते,
रात को हम वहीं भरते खर्राटे.
धीरे-धीरे कट गई सारी रसीद,
दोस्तों ने समझाया मत बन धर्मी,
कर ले कोई बिजनेस.
मैं भी सोचा,भाड़ में जाए मंदिर,
अब चमकेगी अपनी मंजिल,
होंगे नौकर-चाकर,बंगला अपनी मोटर.
तभी आया मेरा बेटा,बोला,
मंदिर के लिए मैं कर चुका तैयारी,
काम आयी चमचों की यारी.
आप अब नानुकुर छोड़कर,
तन,मन,धन मंदिर को समर्पित कर दें,
अपना सर्वस्व उसमें अर्पित कर दें.
न चाहते हुए भी बेटे की बात मान ली,
भव्य मंदिर बनवाने की ठान ली.
शहर के पास दस एकड़ जमीन,
मंदिर के नाम मिल गई,अहा यह क्या,
मंदिर बनकर हो गया तैयार
और मेरी बुद्धि खुल गई,
मैं बन बैठा पुजारी मंदिर का.
मंदिर पर भक्तों की भीड़
लगी रहती है,प्रतिदिन,प्रतिछड़.
वे आते हैं,प्रभु को भेंट चढ़ाते हैं,
जाते वक्त,मेरे आशिर्वाद के लिए,
शीश झुकाते हैं,मालमुद्रा थमाते हैं.
कुछ दिनों बाद,बेटा फिर बोला,
मंदिर के द्नार पर लगे गेट को,
सबके लिए खोल दीजिए,
लंगड़े,अंधे,भिखारियों को भी
अंदर आने दीजिए.
मैंने कहा बेटा,वे गरीब,बेचारे
भेंट क्या चढ़ाएँगे,
उल्टे शोर मचाएँगे.
बेटा मुस्कुराया,मुझे समझाया,
आज तक आप खुद कहते आएँ हैं
कि मैं हूँ भगवान,
पर अब दूसरे भी मानेंगे आपको ईश्वर,
सत्य,धर्मरक्षक परमेश्वर.
देखते ही देखते,मंदिर के द्नार पर,
भीखमंगों की पंक्ति लग गई,
उनके "हे!मालिक कुछ दे दे
भगवान भला करेगा" की आवाज से,
मंदिर के घंटे की आवाज दब गई.
मैंने किया उनके सोने व रहने का प्रबंध.
इसके बदले मैं उनसे कुछ न लेता,
वे जो भी पाते,आधे मंदिर में चढ़ाते.
यह थी मेरे बेटे की चाल,
बहुत ही अच्छा हो गया मेरा हाल.
बड़े-बड़े व्यापारी,खड्डर टोपीधारी,
"भीखमंगा उत्थान कमेटी"
के नाम,करने लगे लाखों का दान.
अब मैं योगी के साथ-साथ हूँ भोगी.
भीखमंगे और भक्तों का ईश्वर.
हाँ! मैं हूँ परमेश्वर.

-प्रभाकर पाण्डेय "गोपालपुरिया"

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on July 7, 2010 at 4:57pm
हाँ! मैं हूँ परमेश्वर.
मैं बन बैठा भगवान,
मंदिर में,सबके दिल में.
गाँव-गाँव व शहर-शहर,
मैं घूमता रहा पहर-पहर,
चंदे के लिए,मंदिर के वास्ते,
मिल गए मुझे भाग्य के रास्ते.
सुबह निकलता बिना नहाए-खाए,
धरम को आज कारोबार बना दिया गया है. आपने यथार्थ का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है. बहुत-बहुत धन्यवाद, प्रभाकर जी .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 7, 2010 at 11:30am
एकदम से पोल खोल कर रख दी है आपने......धार्मिक श्रद्धा की आड़ में जनता को छलने वाले लोगों का कच्चा चिटठा खोल कर रख दिया है आपने .........एक सुन्दर रचना.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 7, 2010 at 11:00am
बहुत सही प्रभाकर भैया , अब तो धर्म के नाम पर यही सब हो रहा है, धर्म का ठेका अधर्मियों के हाथ मे आ गया है और धर्म को व्यवसाय बनाकर भारत की धर्म भिडू जनता को लूट रहे है वो भी प्रेम से भगवान के नाम पर , लुटाने वाला भी खुश लुटने वाला भी खुश, जय हो ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
5 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
6 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
7 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service