For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद निकला छत पे किसकी कर रहा दीदार कौन(ग़ज़ल 'राज')

बहर-ए-रमल मुसम्मिन मक्सूर व मह्जूफ़
2122 2122 2122 2121

किसके चेह्रे पर लिखा है कौन दुश्मन यार कौन 
क्या पता है आड में गुल की  छुपा है ख़ार कौन

हक़ है किसका सिर पे पहने है मगर दस्तार कौन 
चाँद निकला छत पे किसकी कर रहा दीदार कौन

मतलबी हैं आज रिश्ते खो गया है एतबार 
इस जहां में दिल से सच्चा आज करता प्यार कौन

मर गया  है मुफ़्लिसी में भूख से देखो अनाथ 
सब ही  खाते थे  तरस लेकिन उठाता भार कौन

पेट भरने के लिए जो कुछ मिला उसका नसीब 
फर्क उसको क्या पड़ेगा जानकर सरकार कौन

राह का रोड़ा बना वो झूठी रस्मों का पहाड़ 
चाहते सब तोड़ना लेकिन करेगा वार कौन

रेप मर्डर प्यार धोखा बस यही खबरें तमाम 
बिन मसालों के यहाँ पर बेचता अखबार कौन 
-----मौलिक   एवं अप्रकाशित 

Views: 882

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2017 at 6:23pm

प्रिय कल्पना भट्ट जी ,ग़ज़ल पर शिरकत और आपकी सुखन नवाजी का तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 5:39pm

हक़ है किसका सिर पे पहने है मगर दस्तार कौन 
चाँद निकला छत पे किसकी कर रहा दीदार कौन

मतलबी हैं आज रिश्ते खो गया है एतबार 
इस जहां में दिल से सच्चा आज करता प्यार कौन बहुत खूब दी | हार्दिक बधाई इस ग़ज़ल के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2017 at 7:43pm

आ० लक्ष्मण धामी भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2017 at 7:41pm

आद० सुरेन्द्र कुशक्षत्रप  भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया| आपने सही कहा है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2017 at 7:40pm

आद० उस्मानी जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया| आपने सही कहा है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2017 at 7:39pm

आद० राज नवाद्वी जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2017 at 7:38pm

आद० समर भाई जी,आपकी दूरबीन से बहुत सी ऐसी महीन बातें पकड़ी जाती हैं जिनका हमें भान भी नहीं होता खार व् गुल वाले मिसरे में आपकी बात सोचो तो एक दम दुरस्त है इस गलती को मैं समझ ही नहीं पाई |इसको ठीक कर लूँगी  

फ़र्क़ उसको क्या पड़ेगा है यहाँ सरकार कौन'----बेहतर विकल्प  समझाया 

आद० भाई जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया .मिसरे तो मैं सुधार ही लूँगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2017 at 7:33pm

आद० मोहम्मद आरिफ जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ आपका दिल से शुक्रिया |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 10, 2017 at 4:29pm
आ. राजेश दी , अभिवादन । सुंदर गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2017 at 4:38am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूँ। शेष आद0 समर साहब कह चुके हैं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ग़ज़ल ~2122 1122 1122 22/112 तोड़ कर दर्द की दीवार वो बाहर निकला  दिल-ए-मुज़्तर से मिरे एक…"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service